विजय कुमार जैन पत्रकार

प्राचीन वैदिक संस्कृति में व्यक्ति के जीवन में सोलह पवित्र संस्कारों का उल्लेख है। इनमें एक प्रमुख वैवाहिक संस्कार है। युवक युवती के शुभ विवाह से पूर्व ग्रह नक्षत्र एवं जन्म कुण्डली के मिलान का नियम है। हमारी भारतीय परंपरा यह रही है जन्म कुण्डली के मिलान के बाद ही रिश्ते तय होते रहे है। पाणिग्रहण संस्कार या शुभ विवाह जिसके नाम में पहले शुभ शब्द लगा है इसमें अनेक विकृतियों अथवा कुप्रथाओं का समावेश हो गया है। जिनके कारण पवित्र भारतीय संस्कृति अथवा संस्कार कलंकित हो रहे है। वर्तमान में आयोजित होने बाले वैवाहिक कार्यक्रमों का जो स्वरूप हम देख रहे है उससे लगता है पवित्र मांगलिक कार्यक्रम का रूप विकृत हो गया है। मांगलिक कार्यक्रमों में बढ़ रही फूहड़ता से अनेक विघ्न एवं अमंगल हो जाते है।वैवाहिक कार्यक्रमों में वैभव प्रदर्शन की प्रतिस्पर्धा में पैसे की बर्बादी तो होती ही है,जिसकी हैसियत वैभवशाली शादी में जेव से पैसा लुटाने की नही है वह भी अपने प्रति द्वन्द्वी को नीचा दिखाने बाजार से उधार लेकर जोरशोर से शादी कर रहा है।
शुभ विवाह के आयोजन में जो वैभव प्रदर्शन एवं फूहड़ता होती है वह सर्वथा स्वागत योग्य नही है। अभी तक शुभ विवाह उपरांत नवयुगल हनीमून मनाने किसी पर्यटन स्थल या हिल स्टेशन पर जाकर रंगरेलियां मनाते थे। अब इसमें एक और कड़ी जुड़ गई है। नव युगल जिनका शुभ विवाह निकट भविष्य में होना है वे शुभ विवाह से कुछ दिन पूर्व किसी पर्यटन स्थल या ज्यादा सम्पन्न है तो विदेश जाते है। वहाँ कुछ दिन आलीशान होटल में ठहरते है। उनके पल पल की गतिविधियों का फिल्मांकन या वीडियो शूटिंग किया जाता है। इस नई नवेली रश्म का नामकरण प्री वैड़िग शूट pre wedding shoot दिया गया है। नवयुगल जो विवाह पूर्व रंगरेलियाँ मनाने जाते है उनकी यात्रा लगभग 7 से 10 दिन की होती है। जिस दिन अपने निवास से प्रस्थान कार या हवाई जहाज से करते है उसी क्षण से वीडियो शूटिंग प्रारंभ हो जाती है। जिस होटल में नव युगल एक ही शूट में ठहरते है वहाँ की भी शूटिंग की जाती है। शुभ विवाह के दिन आशीर्वाद समारोह में वैवाहिक स्थल पर बड़ी बड़ी टी व्ही स्क्रीन लगा कर उक्त विवाह पूर्व फिल्मांकन या प्री वैडिंग शूट को आगन्तुक अतिथियों को प्रमुखता से दिखाया जाता है। इस कार्य को देश के धनाड्य उधोगपति सम्पन्न वर्ग द्वारा जोर शोर से प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
शुभ विवाह जैस मांगलिक कार्य को भूल कर आज की आधुनिक एवं पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित युवा पीढ़ी लिव एंड रिलेशनशिप, प्रेम विवाह, अन्तर्जातीय विवाह कर रही है। इन सब कार्योँ से समाज का नैतिक पतन हो रहा है। जिन परिवारों में शुभ विवाह हो रहे है उनमें युवक युवती विवाह पूर्व फिल्मांकन या प्री वैडिंग शूट पर परिवार जनों की सहमति से जा रहे है। प्री वैडिंग शूट में नवयुवक के प्रेमालाप, चुंबन, बैडरूम के अश्लील चित्रों का आशीर्वाद समारोह में टी व्ही की बड़ी स्क्रीन पर प्रदर्शित कर हम समाज को क्या संदेश देना चाहते है। क्या विवाह पूर्व नवदम्पत्ति को होटल में ठहरकर प्रेमालाप
अथवा आलींगन करना भारतीय संस्कृति के अनुरूप उचित है ?
दिगम्बर जैन आचार्य विद्या सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि पुंगव सुधासागर जी महाराज का कहना है युवा पीढ़ी सहशिक्षा एवम् परिवार द्वारा उन्हें स्वच्छंदता देने से संस्कारविहीन और पथभ्रष्ट हो रही है। आपका कहना है युवा पीढ़ी को संस्कारविहीन बनाने के लिये अभिभावक सबसे ज्यादा दोषी है अभिभावक अपने लड़के या लड़की को उच्च शिक्षा लेने एवं नौकरी करने उन्हें स्वच्छंद छोड़ देते है। परिवार का नियंत्रण नही होने के कारण युवा पीढ़ी निरंतर पाश्चात्य संस्कृति की ओर आकर्षित होकर स्वंय समाज एवं देश का नैतिक पतन कर रही है। हम मुख्य रूप से विवाह पूर्व फिल्मांकन अथवा प्री वैडिंग शूट की चर्चा कर रहे है।अभी चल रही कुप्रथाओं से यह सबसे घ्रणित एवं समाज को कलंकित करने बाली कुप्रथा अपने पैर पसार रही है। इस प्रथा का जितना विरोध किया जाये उतना अच्छा होगा। मध्यप्रदेश में माहेश्वरी समाज ने प्री वैडिंग शूट पर प्रतिबंध लगाया है। माहेश्वरी समाज का यह निर्णय स्वागत योग्य है। देश में संस्कृति की रक्षा एवं संस्कारों का हनन न हो इसलिये आवश्यक है इसको सभी समाजों को प्राथमिकता से रोकना अति आवश्यक है। कोरोना महामारी के वैश्विक प्रकोप के चलते विवाह पूर्व फिल्मांकन पर विराम लग गया था। अब पुनः फिल्मांकन के लिये होटल एवं रिसोर्ट बुक होने लगे है। विवाह पूर्व इस कार्य को किसी भी स्थिति में उचित नही कहा जा सकता। इस कुप्रथा को बंद किया ही जाना चाहिए।

 

 

नोट:-लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं भारतीय जैन मिलन के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष है।


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