राष्ट्र निर्माण में योगदान हम सब की जिम्मेदारी

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने गत दिवस नागपुर में सुप्रतिष्ठित साहित्यकार उदय जोशी द्वारा रचित चार उपन्यासों और भालचंद्र हार्डस की दो कृतियों के विमोचन समारोह में मुख्य अतिथि की आसंदी से बोलते हुए यह बताया कि सौ वर्ष पूर्व डा केशव बलीराम हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के लिए नागपुर का चयन क्यों किया। संघ प्रमुख ने कहा कि देश में बहुत से लोग हिंदुत्व पर गर्व करते थे और हिन्दू एकता की बात करते थे लेकिन संघ जैसे संगठन की स्थापना के लिए नागपुर ही उपयुक्त था क्योंकि यहां पहले से ही त्याग और निस्वार्थ सेवा की भावना मौजूद थी। यहां मौजूद त्याग और सामाजिक प्रतिबद्धता की भावना ने संघ की स्थापना में मदद की। संघ प्रमुख ने कहा कि संघ की स्थापना समाज में अनुशासन, सेवा, सांस्कृतिक जागरूकता और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना पैदा करने के उद्देश्य से की गई थी। नागपुर में संघ के स्वयं सेवकों के लिए विशेष स्थान प्रदान किया गया है परन्तु यह अपने लिए किसी विशेष दर्जे का दावा नहीं करता। संघ प्रमुख ने अपने भाषण में इस बात को विशेष रूप से रेखांकित किया कि कि अपने देश का निर्माण व उसे और बेहतर बनाना हम सभी नागरिकों की जिम्मेदारी है। ऐसा करने से हमारे अपने हितों की रक्षा भी होती है। जो देश अच्छा प्रदर्शन करता है वह सारी दुनिया में सुरक्षित और सम्मानित होता है।

मोहन भागवत ने छत्रपति शिवाजी महाराज के शासनकाल की विशेषताओं की चर्चा करते हुए कहा कि ‌उन्होंने स्वराज्य की स्थापना अपने लिए नहीं बल्कि ईश्वर,धर्म और राष्ट्र के लिए की थी। उन्होंने एक महान उद्देश्य के लिए लोगों को संगठित किया। शिवाजी महाराज की एकता की भावना ने समाज को ताकत प्रदान की। जब तक उनके आदर्श जीवित रहे समाज में प्रगति और विकास प्रतिबिंबित होता रहा। शिवाजी महाराज के विचारों से देश भर के शासक और स्वतंत्रता सेनानी प्रभावित हुए। उनके विचारों ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरित किया। ब्रिटिश शासकों ने योजनाबद्ध तरीके से उन प्रेरणादायक भारतीय परंपराओं और प्रतीकों को नष्ट करने का प्रयास किया जो भारतीयों को एकजुट करती थीं। संघ प्रमुख ने लोगों का आह्वान किया कि हम इतिहास से सीखें और उन लोगों की निस्वार्थ भावनाओं को याद रखें जिन्होंने देश और समाज के लिए कार्य किया। हमारे इतिहास में भारत को एक ऐसा शांत और समृद्ध देश बनाने की पर्याप्त शक्ति है जो विश्व में अपना योगदान दे सकता है।

उल्लेखनीय है कि सरसंघचालक मोहन भागवत ने उक्त समारोह में जिन 6 कृतियों का विमोचन किया उनमें नागपुर के भोंसले राजवंश की समृद्ध आध्यात्मिक विरासत और उस काल की मनमोहक वास्तुकला का सुंदर वर्णन किया गया है। उदय जोशी ने अपने चार उपन्यासों आदि पर्व, संघर्ष पर्व, कलह पर्व और हर्ष पर्व तथा भालचंद्र हार्डस ने अपनी दोनों कृतियों महलची भ्रमंची और धर्म भूषण राजे लक्ष्मण राव महाराज भोंसले में भोंसले राजवंश के वीरता पूर्ण गौरवशाली इतिहास पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए उसका जो प्रभावी प्रस्तुतीकरण किया है उसके लिए संघ प्रमुख ने लेखक द्वय की सराहना की।

कृष्णमोहन झा ( लेखक राजनैतिक विश्लेषक है)

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