नई दिल्ली : शुक्रवार, नवम्बर 1, 2024/ आज पूरे देश में गोवर्धन पूजा मनाई जा रही है। सदियों से दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा मनाने की परंपरा रही है। यह भगवान कृष्ण की वर्षा के देवता इंद्र पर विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। एक अनुष्ठान के रूप में, घर के प्रवेश द्वार के बाहर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाया जाता है और लोग इस दिन गायों की पूजा करते हैं। इस दिन को अन्नकूट के रूप में भी मनाया जाता है और इस शुभ दिन पर भक्त विशेष पूजा करते हैं। इस अवसर पर मथुरा–वृंदावन में विशेष पूजा का आयोजन किया गया है जहां भगवान कृष्ण के अनुयायी बड़ी संख्या में जमा हुए हैं।
इस वर्ष गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त आज दोपहर 03 बजकर 22 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 34 मिनट तक का है। इस शुभ मुहूर्त में गोवर्धन पूजा करना बहुत ही शुभ है। गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त - 06:34 से 08:46 तक, गोवर्धन पूजा सायंकाल मुहूर्त :15:22 से 17:34 तक।
इस अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देशवासियों को शुभकामनाएं दीं। सोशल मीडिया पोस्ट में शाह ने कहा कि भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत के माध्यम से न केवल मानव जाति की रक्षा की, बल्कि पूरे संसार की रक्षा की। उन्होंने कामना की कि भगवान कृष्ण का आशीर्वाद सभी पर बना रहे।
गौवंश रक्षा वर्ष के अंतर्गत आज मध्यप्रदेश के सभी जिलों की गौ-शालाओं में गौ पूजन कार्यक्रम होंगे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर गोवर्धन पूजा कार्यक्रम में मंत्री और स्थानीय जनप्रतिनिधि शामिल होंगे। आगरमालवा जिले में सुहाग पड़वा, गोवर्धनपूजा के साथ ही अनेक स्थानों पर अन्नकूट उत्सव के आयोजन किये जा रहे हैं। पन्ना जिले में गोवर्धन पूजा के अवसर पर अजयगढ़ विकासखंड के कान्हा गौशाला में गोवर्धन पूजन के कार्यक्रम होंगे। इंदौर के गौतमपुरा में दीपोत्सव के गोवर्धन पूजा के दिन पारंपरिक हिंगोट युद्ध का आयोजन किया गया है। स्थानीय लोग इस युद्ध को अपनी सांस्कृतिक धरोहर मानते हैं और पूरे उत्साह से भागीदारी करते हैं।
छत्तीसगढ़ में गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का त्यौहार कल मनाया जाएगा। अब तक लक्ष्मी पूजा के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का त्यौहार मनाने की परंपरा रही है। लेकिन, इस बार यह त्यौहार लक्ष्मी पूजा के एक दिन बाद मनाया जाएगा। गोवर्धन पूजा के दिन गौ-माता की पूजा की जाती है और उसे भोग अर्पित किया जाता है। वहीं, प्रदेश के अनेक स्थानों पर आज गौरी-गौरी का विसर्जन किया गया।
गोवर्धन भगवान की आकृति गोबर से बनाई जाती है और फिर फूलों से उसको सजाया जाता है। भगवान गोवर्धन की पूजा अर्चना के दौरान उनकी परिक्रमा की जाती है और फिर उसके बाद प्रसाद वितरण किया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार ब्रजवासियों ने भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर इंद्र देवता की पूजा को छोड़कर गोवर्धन पर्वत की पूजा शुरू की। इस पर इंद्र ने नाराज होकर मूसलधार वर्षा से ब्रजवासियों पर कहर बरपाना शुरू कर दिया। ब्रजवासियों की रक्षा के लिए श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाया, जिसके नीचे सभी लोग शरण में आ गए। एक हफ्ते तक गोवर्धन पर्वत के नीचे रहकर उन्होंने इंद्र के प्रकोप से स्वयं और अन्य ब्रजवासियों की रक्षा की. इसके बाद श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को पूजनीय बताया और तभी से ब्रजवासियों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा शुरू की।
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