कृष्णमोहन झा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ कर समाजसेवा के क्षेत्र में अप्रतिम योगदान करने वाले यशस्वी चिकित्सकों में अग्रणी जबलपुर की स्वनामधन्य महिला चिकित्सक डॉ उर्मिला ताई जामदार की पावन स्मृति में योग मणि ट्रस्ट द्वारा संस्कारधानी में आयोजित एक व्याख्यान समारोह में मुख्य अतिथि की आसंदी से संघ प्रमुख मोहन भागवत ने "वर्तमान में विश्व कल्याण में हिंदुत्व की प्रासंगिकता" जो सारगर्भित विचार व्यक्त किए हैं उन पर गंभीरता से चिंतन करने की आवश्यकता है। विशेष रूप से रेखांकित किया है।

भागवत ने अपने व्याख्यान में रूस -यूक्रेन और इजरायल - हमास के बीच जारी संघर्ष की चर्चा करते हुए कहा कि दो विश्व युद्धों में बड़े पैमाने पर हुए नरसंहार के बावजूद आज विश्व में तीसरे विश्व युद्ध का जो खतरा मंडरा रहा है उसमें सारी दुनिया भारत की ओर आशा भरी निगाहों से देख रही है। संघ प्रमुख ने अपने सारगर्भित व्याख्यान में आगे कहा कि दो विश्व युद्धों ने दुनिया को आस्तिक और नास्तिक, इन दो विचारधाराओं में बांट दिया। आगे चलकर यही संघर्ष का विषय बन गया। इस समय दुनिया में मौजूद परिस्थितियों ने भारत की भूमिका को और महत्वपूर्ण बना दिया है क्योंकि भारत के पास भौतिक सुख संपदा के साथ आत्मिक शांति देने की शक्ति है। संघ प्रमुख ने पश्चिमी सभ्यता में हुए विकास को अधूरा बताते हुए कहा कि धर्म और राजनीति जैसे क्षेत्रों को व्यापार में बदल दिया गया है। धार्मिक और आध्यात्मिक ग्रंथों का सिर्फ व्यावसायिक उपयोग हो रहा है इसलिए समाज में संघर्ष और विभाजन की स्थिति बनी हुई है। इस स्थिति को दूर करने के लिए जिस आत्मिक शांति की आवश्यकता है वह सारी दुनिया को भारत के माध्यम से मिल सकती है इसलिए दुनिया की निगाहें भारत पर लगी हुई हैं। संघ प्रमुख ने कहा कि आज का विश्व ज्ञान और साधनों से संपन्न है परन्तु उसके पास मानवता के कल्याण का मार्ग नहीं मालूम है। यह मार्ग केवल भारत ही दिखा सकता है परन्तु वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भारत ने अपने उस ज्ञान को विस्मृत कर दिया है। सुख सुविधाओं और शांतिपूर्ण जीवन शैली भी उसके बहुत से कारणों में से एक है। हमें उस विस्मृति के गर्त से बाहर निकलना है। संघ प्रमुख ने आगे कहा कि आधुनिक युग में विज्ञान ने बहुत प्रगति की है परन्तु उसका गरीबों तक नहीं पहुंचा है जबकि विनाशकारी हथियार हर जगह पहुंच गए हैं।

संघ प्रमुख ने सनातन धर्म को मानव धर्म का पर्याय बताते हुए कहा कि सनातन धर्म ही हिंदू धर्म है और हिंदुत्व के मूल में भारत की प्राचीन संस्कृति निहित है जो संपूर्ण विश्व के कल्याण में सहायक हो सकती है । संघ प्रमुख ने कहा कि विविधताओं के साथ एक होकर रहना ही हिंदुत्व है ।हमारे यहां धर्म की अवधारणा सत्य , करुणा, शुचिता और तपस है । यही धर्म दर्शन दुनिया के साथ साझा करने की जिम्मेदारी भारत के ऊपर है।

संघ प्रमुख ने कहा कि सभी चाहते हैं कि भारत विश्व गुरु बने परंतु कुछ लोग इसकी राह में बाधाएं खड़ी कर रहे हैं। संघ प्रमुख ने कहा यदि वे भारत के विश्व का मार्गदर्शक बनने की बात करें तो कोई विवाद नहीं होता लेकिन जब वे यह कहते हैं कि हिंदुत्व में विश्व का मार्गदर्शक बनने की क्षमता है तो विवाद खड़ा हो जाता है।


नोट - लेखक राजनैतिक विश्लेषक है।

 


इस खबर को शेयर करें


Comments