नई दिल्ली : बुधवार, सितम्बर 27, 2023/ केंद्रीय रसायन, उर्वरक, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने कल भारत में फार्मा-मेडटेक क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास और नवाचार पर राष्ट्रीय नीति और फार्मा मेडटेक क्षेत्र (पीआरआईपी) में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने की योजना का शुभारंभ करते हुए कहा, “आज एक ऐतिहासिक दिन है, फार्मा और चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में 'आत्मनिर्भर' की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। हमें भारतीय फार्मा और मेडटेक क्षेत्रों को लागत-आधारित और मूल्य-आधारित और नवाचार-आधारित उद्योग में बदलने की आवश्यकता है।” नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. पॉल, रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय की सचिव (फार्मा) सुनंदा एस. अपर्णा और आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।

योजना के लाभों पर प्रकाश डालते हुए डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा कि यह योजना भारत को फार्मास्यूटिकल्स के वैश्विक बाजार में एक अधिक मात्रा, अधिक मूल्य वाले भागीदार के रूप में बदलने पर ध्यान केंद्रित करेगी, ताकि गुणवत्ता, पहुंच और सामर्थ्य से जुड़े लक्ष्यों को पूरा किया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि यह नीति शिक्षाविदों और निजी क्षेत्रों सहित कौशल और क्षमताओं का एक इकोसिस्‍टम बनाने में मदद करेगी, और स्टार्ट-अप के माध्यम से युवाओं के बीच नई प्रतिभा को गति देगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह भारतीय दवाओं और मेड-टेक क्षेत्र में एक परिवर्तनकारी चरण है, जहां विभिन्न सरकारी संस्थानों और एजेंसियों जैसे फार्मा विभाग, भारतीय चिकित्‍सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), राष्ट्रीय भेषज शिक्षा एवं अनुसंधान संस्‍थान (एनआईपीईआर) आदि के बीच तालमेल कायम किया जा रहा है।

उन्होंने 'जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान' के नारे को दोहराते हुए विस्तार से बताया कि भारत मस्तिष्क शक्ति और जनशक्ति के संदर्भ में विकास और नवाचार को प्राथमिकता देता है, जिसमें कोविड का दौर एक सटीक उदाहरण है जहां हम समय की कसौटी पर खरा उतरे हैं। हमें अपने फार्मास्युटिकल उत्पादों और चिकित्सा उपकरणों का बड़े पैमाने पर उत्पादन करने की आवश्यकता है। इसके लिए हमने हिमाचल प्रदेश, विशाखापट्टनम और गुजरात में तीन बल्क ड्रग पार्क और हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु में चार मेडिकल डिवाइस पार्क बनाए हैं, जिससे इस सेक्टर को मजबूत करने में मदद मिलेगी।

योजना के महत्व पर जोर देते हुए, केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा, "भारत केवल अपने अनुसंधान और विकास संबंधी बुनियादी ढांचे को मजबूत करके फार्मास्यूटिकल और चिकित्सा उपकरणों में आत्मनिर्भरता प्राप्त कर सकता है जो जीवन रक्षक दवाओं और औषधियों तक पहुंच के विस्तार को आगे बढ़ाएगा और भारत को एक वैश्विक फार्मास्यूटिकल और चिकित्सा निर्यात केंद्र बनने में मदद करेगा। हमें उद्योगों और शिक्षाविदों के परामर्श से अपने देश और दुनिया की जरूरतों के अनुसार नीतियां, नए उत्पाद और नए अनुसंधान को साकार करने की आवश्यकता है। हमें इतना आत्‍मनिर्भर हो जाना चाहिए कि हमें अपनी महत्वपूर्ण जरूरतों के लिए किसी पर निर्भर नहीं होना पड़े।

नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी. के. पॉल ने कहा कि अतीत से सबक सीखने के बाद भारत दुनिया का नेतृत्व कर रहा है। सुधारों के ये समूह फार्मा मेडटेक क्षेत्र को बदल देंगे। हमें शिक्षाविदों, सार्वजनिक और निजी संस्थानों के बीच सहयोग पर भी ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। यह योजना और ये पहल हमें भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करने और राष्ट्रीय जैव सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करेगी।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और रसायन और उर्वरक मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवा और फार्मास्युटिकल क्षेत्र के नीति निर्माता, विशेषज्ञ, शिक्षा जगत के प्रतिनिधि, थिंक टैंक, उद्योग और मीडिया के प्रतिनिधि भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।

 


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