गाँधीनगर : मंगलवार, नवम्बर 7, 2023/ केन्‍द्रीय शिक्षा और कौशल विकास मंत्री धर्मेन्‍द्र प्रधान ने कल ऑस्ट्रेलिया के शिक्षा मंत्री और सांसद जेसन क्लेयर के साथ द्विपक्षीय बैठक की। धर्मेंद्र प्रधान ने ऑस्ट्रेलियाई शिक्षा मंत्री जेसन क्लेयर का हार्दिक स्वागत किया। इस वर्ष क्‍लेयर की यह दूसरी भारत यात्रा है। धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि लगातार बैठकें भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच गहरे ज्ञान की साझेदारी की बढ़ती ताकत और गतिशीलता का प्रमाण हैं। उन्होंने अन्‍य बातों के अलावा योग्यताओं की पारस्परिक मान्यता, संयुक्त कार्य समूह की स्थापना, संयुक्त कौशल सहयोग, संयुक्त डिग्री के लिए एचईआई के बीच सहयोग, भारत में अध्ययन, भारत की शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण, भारतीय छात्रों और शोध कर रहे छात्रों के लिए वीजा संबंधी मुद्दों के क्षेत्रों में लगातार प्रगति पर प्रसन्नता व्यक्त की।

दोनों मंत्रियों ने शिक्षा और कौशल में द्विपक्षीय सहयोग की व्यापक समीक्षा की और दोनों देशों के बीच लोगों की अधिक गतिशीलता, रोजगार संबंधी योग्‍यता और समृद्धि के लिए ज्ञान व कौशल साझेदारी को और मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की।

धर्मेंद्र प्रधान ने ऑस्ट्रेलिया के शिक्षा मंत्री जेसन क्लेयर और कौशल एवं प्रशिक्षण मंत्री ब्रेंडन ओ'कॉनर, के साथ गांधीनगर में पहली ऑस्ट्रेलिया भारत शिक्षा एवं कौशल परिषद की बैठक की सह-अध्यक्षता की।

एआईईएससी, जिसे पहले ऑस्ट्रेलियाई भारत शिक्षा परिषद (एआईईसी) के नाम से जाना जाता था, दोनों देशों के बीच शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान साझेदारी की रणनीतिक दिशा का मार्गदर्शन करने के लिए 2011 में स्थापित एक द्वि-राष्ट्रीय निकाय है। इस मंच का दायरा दोनों देशों की राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप बढ़ाया गया ताकि शिक्षा के साथ-साथ कौशल इकोसिस्‍टम में अंतर्राष्ट्रीयकरण, दो-तरफ़ा आवागमन और सहयोग को बढ़ावा देने पर ध्यान केन्‍द्रित किया जा सके। यह पहला मौका है कि शिक्षा और कौशल को एक ही संस्थागत मंच के तहत लाया जा रहा है।

इस बैठक के दौरान, धर्मेंद्र प्रधान ने 2023 के ऑस्ट्रेलिया और भारत के लिए एक ऐतिहासिक वर्ष के रूप में होने पर प्रकाश डाला, विशेष रूप से शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्रों में सहयोग के लिए। ऑस्ट्रेलिया-भारत शिक्षा एवं कौशल परिषद की उद्घाटन बैठक गहरे ज्ञान के सेतु के निर्माण, शिक्षा और कौशल विकास में पारस्परिक प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने, लोगों के बीच आपसी संबंधों को बढ़ावा देने और गहरी जानकारी को भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों के सबसे मजबूत स्‍तम्‍भ के रूप में स्थापित करने के लिए नए रोडमैप तैयार करने में उत्प्रेरक का कार्य करेगी।

उन्होंने कहा कि हमारे द्विपक्षीय संबंधों के प्राथमिक और प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में शिक्षा और कौशल ज्ञान सेतु को मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी एवं ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री, एंथनी अल्बनीस की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया-भारत शिक्षा एवं कौशल परिषद की बेहद सफल उद्घाटन बैठक ने पहचाने गए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में 'अधिक मेल, अधिक सहयोग और अधिक आवागमन' का मार्ग प्रशस्त किया है।

उन्होंने बताया कि कृषि, जल प्रबंधन, महत्वपूर्ण खनिज, स्वास्थ्य देखभाल, एआई, नवीकरणीय ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में अधिक अनुसंधान सहयोग बढ़ाने के लिए आज ऑस्ट्रेलियाई और भारतीय एचईआई के बीच पांच समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान किया गया है। उन्होंने कहा कि इससे शैक्षिक, अनुसंधान और नवाचार प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने, छात्र और संकाय के बीच आदान-प्रदान, अधिक ट्विनिंग कार्यक्रमों/डुअल डिग्री के लिए अधिक अवसर पैदा होंगे।

धर्मेंद्र प्रधान ने आगे कहा कि इस दशक के लिए परिणाम-उन्मुख रोडमैप पर ध्यान केन्द्रित करते हुए, एआईईएससी ऑस्ट्रेलिया और भारत दोनों के एक उज्जवल भविष्य की परिकल्पना करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा। उन्होंने इस मंच को संलग्नता के अगले स्तर पर ले जाने के लिए ऑस्ट्रेलिया के मंत्रियों और उनकी टीम को भी धन्यवाद दिया, जहां भारतीय छात्र और कुशल श्रमिक अपने करियर व आजीविका के लिए बेहतर एवं अधिक सार्थक विकल्प की तलाश कर सकते हैं।

अपने संबोधन में, जेसन क्लेयर, सांसद ने इस बात का उल्लेख किया कि कैसे शिक्षा और कौशल के क्षेत्रों में सार्थक साझेदारी की मदद से दोनों देशों के भविष्य को आकार दिया जाएगा। उन्होंने दोनों देशों के बीच 450 मौजूदा अनुसंधान संबंधी साझेदारियों का उल्लेख किया। उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी, संस्थागत और उद्योग स्तर पर सहयोग से यह जुड़ाव और मजबूत होगा तथा दोनों देशों को लाभ होगा।

धर्मेंद्र प्रधान और जेसन क्लेयर, सांसद ने ऑस्ट्रेलिया-भारत शिक्षा एवं कौशल परिषद (एआईईसीएस) की पहली बैठक के समापन के बाद एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को भी संबोधित किया। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग के सचिव के संजय मूर्ति और भारत में ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त फिलिप ग्रीन, ओएएम भी उपस्थित थे।

दोनों मंत्रियों ने गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (गिफ्ट सिटी) में वॉलोन्गॉन्ग विश्वविद्यालय और डीकिन विश्वविद्यालय के परिसरों के शीघ्र ही होने वाले उद्घाटन का स्वागत किया। दोनों मंत्रियों ने शीर्ष ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों और आईआईटी जैसे शीर्ष भारतीय संस्थानों के बीच अनुसंधान के क्षेत्र में चल रहे संस्थागत सहयोग का भी स्वागत किया।

दोनों मंत्रियों ने योग्यताओं की पारस्परिक मान्यता से संबंधित तंत्र के तहत योग्यता मान्यता व्यवस्था को लागू करने के प्रति अपनी संयुक्त प्रतिबद्धता को दोहराया और ऑस्ट्रेलिया-भारत योग्यता मान्यता संचालन समिति द्वारा किए गए कार्यों को स्वीकार किया। अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग के संबंध में, धर्मेंद्र प्रधान ने उल्लेख किया कि भारत अकादमिक और अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देने की योजना (एसपीएआरसी) कार्यक्रम के तीसरे चरण पर काम कर रहा है और इसके प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में महत्वपूर्ण खनिजों, दुर्लभ धातुओं और अन्य पारस्परिक रूप से सहमति वाले प्राथमिकता के क्षेत्रों से जुडी संयुक्त परियोजनाएं शामिल होंगी। भारत ने ऑस्ट्रेलिया के साथ संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं के लिए 2.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर निर्धारित किए हैं।


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