मुरैना : शुक्रवार, मई 19, 2023/ भगवान शनिदेव की जयंती के अवसर पर देर रात से ही श्रद्धालुओं ने तेलाभिषेक कर धर्मलाभ लिया। भगवान शनिदेव का जन्मोत्सव ऐंती पर्वत पर हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। देशभर के श्रद्धालु बीती रात से ऐंती पर्वत पर पहुंचना शुरू हो गये थे। प्रशासन द्वारा अभिषेक के पश्चात गर्भगृह के द्वार श्रद्धालुओं के लिये दर्शन हेतु खोल दिये गये। प्रशासन द्वारा गर्भ गृ़ह से लेकर मंदिर प्रवेश द्वार तक श्रद्धालुओं को धूप से बचने के लिये मैटी, पंडाल लगाई गई। परिसर को पूरी साज-सज्जा एवं मोंगरा के फूलों से सजाया गया। शनि जयंती के अवसर पर लगभग 20 से 22 हजार श्रद्धालुओं ने दर्शन किये।

कलेक्टर अंकित अस्थाना और पुलिस अधीक्षक शैलेन्द्र सिंह चौहान द्वारा गर्भगृह में पूजा अर्चना की। शनि जयंती के अवसर पर अधिकारियों ने व्यवस्थाओं पर नजर बनाये रखी। इस अवसर पर जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. इच्छित गढ़पाले, अपर कलेक्टर नरोत्तम भार्गव, एसडीएम मुरैना बीएस कुशवाह, पुलिस सहित अन्य अधीनस्थ ड्यूटी पर तैनात कर्मचारी पूरे समय मौजूद रहे।

कलेक्टर द्वारा शनि मंदिर पर सभी व्यवस्थायें करने के लिये अधीनस्थ कर्मचारियों को जिम्मेदारियां सोंपी गई थी। जिसमें गर्मी को ध्यान में रखते हुये पेयजल के पुख्ता प्रबंध किये गये। श्रद्धालुओं को धर्मलाभ लेने के लिये प्रवेश द्वार से लेकर गर्भगृह तक बेहतर व्यवस्था की गई। किसी भी श्रद्धालु को दर्शन में कोई परेशानी नहीं हुई।

जिले के ऐंती पर्वत स्थित भगवान शनिदेव का त्रेतायुगीन मंदिर स्थापित है। देशभर के श्रद्धालु भगवान शनिदेव का आशीर्वाद लेने के लिये शनिश्चरी अमावस्या, प्रत्येक शनिवार तथा शनि जयंती के अवसर पर आते हैं। भगवान को तेलाभिषेक कर काली वस्तुओं का दान कर अपने जीवन में सुख-शांति समृद्धि की कामना करते हैं। आज भी श्रद्धालुओं ने भगवान शनिदेव पर तेलाभिषक कर धर्म लाभ लिया। श्रद्धालुओं द्वारा भगवान शनिदेव के लिये छप्पन भोग लगाये गये। प्रशासन व पुलिस ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिये व्यापक प्रबंध किये गये। प्रशासन व पुलिस के अधिकारी लगातार मंदिर परिसर व बाहर निगरानी बनाये हुये थे। धर्म प्रेमियों द्वारा भण्डारों का आयोजन किया गया। श्रद्धालुओं द्वारा स्वयं व परिवार की शांति हेतु हवन-पूजन किये जा रहे थे।

विदित हो कि मुरैना के ऐंती पर्वत पर भगवान शनिदेव उल्कापिंड के रूप में प्रक्षेपित हुये थे। भारत देश के तात्कालीन महाराजा विक्रमादित्य ने भगवान शनिदेव की त्रेतायुगीन विश्व की इकलौती प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कराई थी। इस मंदिर का जीर्णोद्धार 18वीं सदी में ग्वालियर रियासत के महाराज सिंधिया के महाराष्ट्र अहमदनगर के निकटवर्ती रिश्तेदार ने कराया था। जिसका बीजक आज भी शनि मंदिर पर स्थापित है। भगवान शनिदेव के लिये हनुमान जी द्वारा ऐंती पर्वत पर गुप्त गंगा स्थापित की थी, जो आज भी अनवरत बह रही है। गुप्त गंगा में से जल कुण्ड के रूप में एकत्रित होता है। जहां लोग स्नान करके अपने रोगों का निवारण करते है।


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