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विजय कुमार जैन राघौगढ़ म.प्र.
आजादी से पूर्व 28 फरवरी 1947 को राघौगढ़ के राजपरिवार में तत्कालीन राजा बलभद्र सिंह को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। नामकरण दिग्विजय सिंह हुआ। दिग्विजय सिंह का जन्म इंदौर में हुआ मगर उनकी कर्मभूमि तो राघौगढ़ ही रही है। वे जहां भी होते हैं उनके दिल में राघौगढ़ का जनमानस बसता है। बचपन से ही राजसी ठाठ- बाट के बावजूद दिग्विजय सिंह के मन में राघौगढ़ नगर एवं आसपास के ग्रामीण अंचल की गरीबी, बेरोजगारी, पिछड़ापन दूर करने की चिंता सताती रहती थी। आपके पिता राजा बलभद्र सिंह का स्वर्गवास सन 1967 में हुआ। परिवार की जिम्मेदारी दिग्विजय सिंह पर आ गई। उस समय परिवार का मन राघौगढ़ छोड़कर इंदौर बसने का बन रहा था। मगर राघौगढ़ नगर के गणमान्य नागरिकों की सलाह पर परिवार में राघौगढ़ में ही रहने की मानसिकता बनी । दिग्विजय सिंह ने सन 1969 में नगर पालिका राघौगढ़ का अध्यक्ष पद स्वीकार किया। उस समय नगरपालिका की आर्थिक स्थिति कमजोर थी।
राघौगढ़ नगर में भीषण जल संकट था। गर्मी के मौसम में नगर की जनता पहाड़ी स्थित पचकुईयों से रात्री दो से बजे के बीच पीने का पानी लेकर आती थी। नगर पालिका अध्यक्ष रहते हुए दिग्विजय सिंह ने संकल्प लिया मैं मेरे घर नगर राघौगढ़ की जन समस्याओं को दूर करूंगा और राघौगढ़ की नगर पालिका को सुदृढ़ बनाऊंगा। आज स्थिति यह है कि नगर पालिका राघौगढ़ विजयपुर प्रदेश की धनी नगरपालिका है। नगर पालिका ने इस वर्ष स्वच्छता एवं कर वसूली में राज्य शासन से पुरस्कार प्राप्त किए हैं।
राघौगढ़ क्षेत्र के सुनियोजित विकास के लिए दिग्विजय सिंह ने पहले विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण का गठन कराया फिर विकास प्राधिकरण के स्थान पर विस्तारित नगर पालिका का गठन कराया नगर पालिका क्षेत्र में एनएफएल विजयपुर संयंत्र एवं गेल इंडिया लिमिटेड के विजयपुर संयंत्र को सम्मिलित कर इन संयंत्रों के यूरिया उत्पादन एवं गैस उत्पादन पर सीमा निर्यात कर लगाकर नगरपालिका की आय बढ़ाई। पिछले लगभग 45 वर्ष में जितनी प्रगति औद्योगिक क्षेत्र या शिक्षा के क्षेत्र में राघौगढ़ तहसील की हुई है प्रदेश के किसी भी क्षेत्र में नहीं हुई है एनएफएल विजयपुर, गेल विजयपुर, डोंगर बॉटलिंग प्लांट बड़े संयंत्र यहां स्थापित किए।
शिक्षा के क्षेत्र में जयप्रकाश अभियांत्रिकी एवं तकनीकी विश्वविद्यालय, शासकीय पॉलिटेक्निक महाविद्यालय, शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था, दिल्ली पब्लिक स्कूल विजयपुर, सत्य साईं विद्या विहार गेल विजयपुर, हिंदुपत पब्लिक स्कूल राघौगढ़, हिंदूपत शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान राघौगढ़, हिंदुपत औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था राघौगढ़ जय ज्योति पब्लिक स्कूल आदि अनेक संस्थाएं औद्योगिक क्षेत्र एवं शिक्षा के क्षेत्र में दिग्विजय सिंह के गृह नगर राघौगढ़ की शोभा बढ़ा रहे हैं। औद्योगिक संस्थानों एवं शिक्षण संस्थानों का लाभ राघौगढ़ गुना सहित प्रदेश व देश को मिला है।
राजनैतिक दृष्टि से जब हम दिग्विजय सिंह के जीवन पर प्रकाश डालते हैं तो उनके मन को समझना बहुत कठिन कार्य है फिर भी उनके राजनीतिक जीवन की प्रमुख विशेषताओं को बहुत निकट से देखा है अपने विरोधी को कभी विरोधी नहीं मानकर मित्रवत व्यवहार करना, विरोधी द्वारा मदद मांगने पर पिछली बातों को याद ना कर हर संभव सहयोग किया है। जिसने हमे सहयोग किया है उसे जीवन भर वे याद रखते हैं। हर व्यक्ति की प्रमुख आदत रहती है कि जब हम किसी की मदद करते हैं तो उसका स्मरण बार-बार कराते हैं । इस आदत पर विपरीत दिग्विजय सिंह की प्रमुख विशेषता है जिसकी मदद करते हैं उस बात को भूल जाते हैं जिसकी मदद की है काम होने के बाद व्यक्ति कृतज्ञता व्यक्त करता है तो उससे स्पष्ट कह देते हैं मैं मदद करता हूं उस मदद को भूल जाने की मेरी आदत है।
नगर पालिका राघौगढ़ के अध्यक्ष पद से लेकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव के सर्वोच्च पदों तक पहुंचने की राजनीतिक यात्रा में उनकी मिलन सारिता, निरंतर सक्रियता, सद्वयवहार का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। राघौगढ़ राजपरिवार में जन्म लेकर आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिग्विजय सिंह ने अपनी पहचान बनाई है। उनके गृह नगर राघौगढ़ को भी राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है। दिग्विजय सिंह वचन के पक्के हैं जो प्रतिज्ञा करते हैं या फायदा करते हैं उसे पूरा करते हैं सन 2003 में मध्यप्रदेश में कांग्रेश की पुणे सरकार नहीं बनने पर उन्होंने अपनी है प्रतिज्ञा निवाई की मैं अगले 10 वर्ष तक कोई चुनाव नहीं लड़ूंगा।
दिसंबर 2003 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद से निवृत्त होकर जब दिग्विजय सिंह गृह नगर राघौगढ़पधारे थे उस समय की मेरी आंखों देखी घटना है मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्यामाचरण शुक्ल का फोन आया उन्होंने दिग्विजय सिंह से पूछा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद अब आगे क्या सोचा है इस पर दिग्विजय सिंह ने शुक्ल को कहा मैं मुख्यमंत्री पद से निवृत हुआ हूं निष्क्रिय नहीं हुआ हूं मैं और अधिक सक्रियता से काम करूंगा।
दिग्विजय सिंह राजनेता ही नहीं धर्म परायण व्यक्ति है। हिंदू धर्म के प्रति अपार श्रृद्धा उनमें कूट कूट कर भरी है। उन्होंने नर्मदा परिक्रमा 30 सितंबर 2017 से 9 अप्रैल 2018 कुल 192 दिन में कुल 3100 किमी पैदल चलकर पूरी की। दिग्विजय सिंह कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा अभियान के अध्यक्ष थे। आपने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा गत 7 सितंबर 22 से 30 जनवरी 23 कुल 136 दिन कन्या कुमारी से कश्मीर तक पैदल की। भारत जोड़ो यात्रा देश के 75 जिलों,12 राज्यों 2 केन्द्र शासित प्रदेशों में कुल 4000 किमी हुई। दिग्विजय सिंह ने 76 वर्ष पूर्ण कर लिये उनकी सक्रियता जीवनशैली आज के युवा वर्ग के लिये प्रेरणादायक है।
नोट:-लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।
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