कृष्णमोहन झा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत आजकल झारखंड प्रवास पर हैं। अपने इस महत्वपूर्ण प्रवास के दौरान उन्होंने एक गैर लाभकारी संगठन विकास भारती द्वारा गुमला जिले के विशुनपुर गांव में आयोजित ग्राम विकास सम्मेलन को संबोधित किया। अपने सारगर्भित उद्बोधन में भागवत ने विकास और प्रगति को सतत् प्रक्रिया बताते हुए जो विचार व्यक्त किए उन पर अमल किए जाने की आवश्यकता है। संघ प्रमुख के विचारों में निःसंदेह विकास की प्रक्रिया को गति प्रदान करने की सामर्थ्य है। संघ प्रमुख ने कहा कि प्रगति का कभी अंत नहीं होता। जब हम लक्ष्य पर पहुंचते हैं तब हमें यह ज्ञात होता है कि अभी और कितना किया जाना बाकी है। यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है।

संघ प्रमुख ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि बदलते समय में काम और सेवाओं में निरंतरता बनाए रखने के लिए नये तरीकों को व्यवहार में लाने की आवश्यकता है लेकिन सभी को काम में जुटे रहना चाहिए। संघ प्रमुख ने भारत की विविधतापूर्ण संस्कृति की चर्चा करते हुए कहा कि हमारे देश में पूजा शैलियों में विविधता है। लगभग 3800 तरह की भाषाएं और बोलियां बोली जाती हैं। खान पान में भी अंतर है परन्तु हमारा मन एक है। ऐसा दूसरे देशों में नहीं पाया जाता। संघ प्रमुख ने अपनी इस बात को रेखांकित किया कि कोविड का प्रकोप झेलने के बाद सारी दुनिया को यह समझ में आ गया है कि शांति और खुशी का रोड मैप भारत के पास है क्योंकि सनातन धर्म मानवजाति के कल्याण में विश्वास रखता है। सनातन संस्कृति और धर्म महलों से नहीं बल्कि आश्रमों और जंगलों से आए हैं इसलिए बदलते समय के साथ हमारे कपड़े तो बदल सकते हैं लेकिन हमारा स्वभाव कभी नहीं बदलेगा।जो लोग अपने स्वभाव को बरकरार रखते हैं उन्हें विकसित कहा जाता है। सेवा हमारे स्वभाव में है। एक कार्यकर्ता को कभी संतुष्ट होकर नहीं बैठ जाना चाहिए। पर्यावरण , स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर कार्य करने की आवश्यकता है। हमें विश्व को भी उसी तरह सुंदर बनाने की दिशा में कार्य करना चाहिए जैसी सुंदर भारत की प्रकृति है । हमारे देश में ऐसे लोग भी हैं जो बिना किसी नाम या प्रसिद्धि की इच्छा के देश के कल्याण के लिए कार्य कर रहे हैं।

संघ प्रमुख ने कहा कि आदिवासी समाज अभी भी बहुत पिछड़ा हुआ है। उनके लिए शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत काम करने की आवश्यकता है। भागवत ने कहा कि जनजातीय लोग पिछड़े हुए जरूर हैं परन्तु शांतिप्रिय और प्रामाणिक हैं। उन पर आंख मूंद कर विश्वास किया जा सकता है। आदिवासी समुदाय के विकास के लिए हम जो काम कर रहे हैं वह उन पर उपकार नहीं कर रहे हैं। जब हम दूसरों का विकास करते हैं तो हमारा भी विकास होता है। मोहन भागवत ने विकास भारती द्वारा आदिवासी समुदाय के उत्थान हेतु किए जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि विकास भारती के प्रमुख अशोक भगत बहुत अच्छे काम में लगे हुए हैं। विकास भारती के द्वारा किए जा रहे कार्यों से यहां आदिवासियों के जीवन में बहुत बदलाव आया है। उल्लेखनीय है कि आदिवासियों के कल्याण में विकास भारती के सराहनीय योगदान के सम्मान स्वरूप अशोक भगत को भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार प्रदान किया गया है।


नोट - लेखक राजनैतिक विश्लेषक है।

 


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