डॉ. सोनवीर सिंह गौतम

नशा एक ऐसी बुराई है जो हमारे समूल जीवन को नष्ट कर देती है। भारत में आज के समय में युवा पीढ़ी में नशे की प्रवत्ति लगातार बढती जा रही है। तेजी से फैलती तम्बाकू व नशीले पदार्थ की जड़ें युवा पीढ़ी को गलत रास्ते पर धकेल रही है जिससे सामाजिक अपराध, मानसिक असंतुलन, पारवारिक विवाद के अलावा कैंसर जैसी बीमारियों को बढावा मिल रहा है I युवा पीढ़ी चाहे पुरुष या महिला हो ,इस जाल में फंसती जा रही है जो की आज की सामाजिक समस्या बन गयी है इससे जिंदगी का नुकसान तो होता ही है साथ में एक अतिरिक्त भार देश की अर्थव्यवस्था के ऊपर बढता जा रहा है I

सबको मालूम है, ध्रूमपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इससे कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी होती है और यह चेतावनी सभी तम्बाकू उत्पादों पर अनिवार्य रूप से लिखी होती है, परन्तु लोग फिर भी इसका सेवन बड़े ही चाव से करते हैं। यह मनुष्य की दुर्बलता ही है कि वह उसके सेवन का आरंभ धीरे-धीरे करता है पर कुछ ही दिनों में इसका आदी हो जाता है, एक बार आदी हो जाने के बाद इसका सेवन करें न करें, तलब ही सब कुछ कराती है। नशे के लिये समाज में शराब, गांजा, भांग, अफीम, जर्दा, गुटखा, तम्बाकू और ध्रूमपान (बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, चिलम) सहित चरस, स्मैक, कोकिन, ब्राउन शुगर जैसे घातक मादक दवाओं और पदार्थो का उपयोग किया जा रहा है । इन जहरीले और नशीले पदार्थो के सेवन से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक हानि पहुंचानें के साथ ही इससे सामाजिक वातावरण भी प्रदूषित होता है। बीड़ी, सिगरेट, गांजा, भांग, अफ़ीम या चरस पीने वालों को जब भरपूर नशा प्राप्त नहीं होता है, तब वे शराब और हेरोइन जैसे मादक पदार्थो की ओर अग्रसर होते हैं । नशा किसी प्रकार का भी हो व्यक्तित्व के विनाश, निर्धनता की वृद्धि और मृत्यु के द्वार खोलता है। इसके कारण परिवार तक टूट रहे हैं। आज का युवा शराब और हेरोइन जैसे मादक पदार्थो का नशा ही नहीं बल्कि कुछ दवाओं का भी इस्तेमाल नशे के रूप में कर रहा है। इस आसुरी प्रवृत्ति को समाप्त करना परमावश्यक है।

यहाँ सवाल लाजिमी है कि आज का युवा आखिर क्यूँ नशीले पदार्थ का शिकार हो रहा है। इसके कई कारण हो सकते हैं लेकिन आज की लाइफस्टाइल की बात करें तो तनाव ,धैर्य शक्ति की कमी ,फैशन व शौक ,पश्चिमी संभ्यता से प्रभावित होना , हाई प्रोफाइल लाइफस्टाइल का दिखावा और दोस्तों से शो ऑफ करना कि सिगरेट पीने से कुछ नहीं होता, एक दो पी सकते हैं, जैसे कारण युवा पीढ़ी को नशे की ओर खींच लेते है और तम्बाकू में पाया में जाने वाला निकोटीन नशे की लत का मुख्य कारण बनता है। युवा इसे शोकिया तौर पर उपयोग करते है पर धीरे धीरे इसकी गिरफ्त में चले जाते है I इस तरीके के नशीले पदार्थ कुछ समय में जीवन की कठिनाई को भुला देते है पर धीरे - धीरे ये लत उन्हें शराब, गांजा, तथा ड्रग्स की ओर खीच लेती है और वह पूरी तरह इसकी गिरफ्त में आ जाते है I

विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में लगभग 80 लाख लोग हर साल तम्बाकू व उससे बने नशीले पदार्थो का सेवन के कारण अकाल मृत्यु का शिकार होते हैं, जिसमे से 13 लाख लोग ऐसे है जो कि धूम्रपान नहीं करते है, परन्तु धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के पास बैठने से सेकंड स्मोकर बनने के कारण उनकी मौत हो रही है I अकेले भारत में लगभग हर साल 10 लाख लोग तम्बाकू का सेवन करने से होने वाली बीमारियों से मर जाते है। आप को जानकर हैरानी होगी की हर घंटे में एक व्यक्ति नशीले पदार्थ के प्रयोग के कारण आत्महत्या कर रहा है I आजकल तम्बाकू युक्त नशीले पदार्थ आसानी से उपलब्ध हो जाते है इसमें तम्बाकू पदार्थ कई तरीकों से बाजार में आते है I धुआं रहित तम्बाकू (स्मोकेलेस टूबैको) - जैसे की खैनी सुपारी गुटका I स्मोक वाले प्रोडक्ट - सिगरेट, सिगार, इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट, हुक्का, वाटर पाइप अदि I कुछ प्रोडक्ट कई लिक्विड फ्लेवर में आते है ऐसे में इनकी लत लगना और भी आसान होता है ज्यादातर युवा पीढ़ी सोचती है कि हम तो ई –सिगरेट पी रहे है इसका बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा परन्तु इसमें खास तौर पर निकोटिन के साथ दूसरे फ्लेवर होते हैं जो इसकी लत को बढ़ाते हैं और फेफड़ों को क्षतिग्रस्त करते हैं I WHO की नसीहत माने तो तम्बाकू हर रूप में खतरनाक है और इससे कैंसर व संक्रमण का खतरा हर समय बना रहता है I अकेले तम्बाकू के सेवन से जो घातक बीमारियाँ होती है उनमे 90% मुंह का कैंसर ,80% फेफड़ों का कैंसर ,इसोफेगस का कैंसर ,पेट का कैंसर ,स्वरयंत्र (फेरिंग) का कैंसर ,मूत्राशय का कैंसर प्रमुख है I तम्बाकू में पाली साइक्लिक एरो मेटिक हाइड्रो कार्बन - एन नायट्रोसमीन - एरोमेटिक अमींस तथा फ्री रेडिकल होते है जो कि कार्सिनोजनिक होते है जिनके कारण कैंसर होता है I इसके अलावा अन्य बीमारियाँ जैसे सांस का फूलना ,अस्थमा, एसिडिटी, ह्रदयघात( दिल का दौरा) खून की नसों का सिकुड़ना, महिला में गर्भ शिशु का क्षीण विकास होना, प्रजनन क्षमता में कमी त्वचा का लचीलापन, तथा आखों के नीचे काले दाग होना है।

सबसे बड़ा सवाल यह है कि युवा पीढ़ी को नशा करने से कैसे रोका जाये। वैसे तो भारत सरकार ने नशामुक्त भारत अभियान चालू किया है जो कि 15 अगस्त 2020 को सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय द्वारा प्रारंभ किया गया। नशा मुक्त भारत अभियान का उद्देश्य स्कूली बच्चों में नशीली दवाओं के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। इसके साथ ही सरकार ने निदान और एनसीओआरडी (NCORD) नामक पोर्टल की शुरूआत की है। यह एक डेटाबेस है जिसमें NDPS अधिनियम के तहत गिरफ्तार किये गए सभी संदिग्धों और दोषियों की तस्वीरें, उंगलियों के निशान, अदालती आदेश, जानकारी एवं विवरण शामिल हैं, जिसे राज्य तथा केंद्रीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा एक्सेस किया जा सकता है। इस अभियान के माध्यम से देश के युवाओं को नशे से दूर रखने में मदद मिली है। इसके तहत देश भर में 500 से ज़्यादा स्वैच्छिक संगठनों की भागीदारी से काम किया जा रहा है। नशे की लत से जूझ रहे लोगों को मदद के लिए एक टोल-फ़्री हेल्पलाइन 14446 भी शुरू की गई है। इसके साथ ही गृह मंत्रालय देश में मादक पदार्थों के उन्मूलन हेतु एक रणनीतिक प्रयास कर रहा है। सरकार का लक्ष्य 2047 तक भारत को "मादक पदार्थ मुक्त" बनाना है। इसके साथ ही सरकार ने कुछ विधायी उपाय भी किये है। सरकार ने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 जैसे विभिन्न कानून बनाए हैं।

वास्तव में नशा एक मानसिक, सामाजिक और चिकित्सकीय समस्या है और इसके इलाज के लिए सरकारी प्रयास के साथ साथ व्यक्ति, परिवार, दोस्त, समाज को साथ मिलकर एक दिशा में काम करना पड़ेगा। माता पिता , समाज के श्रेष्ठी वर्ग के द्वारा समय समय पर युवाओं को नशे से दूर रहने के प्रति समझाइश देनी होगी। युवा पीढ़ी को इससे होने वाले नुकसान के प्रति खुद को जागरूक बनना पड़ेगा I सार्वजानिक स्थानों पर नियमों का पालन किया जाये तथा खुली बिक्री पर रोक लगायी जाये I यह भी जरूरी है कि युवा पीढ़ी तनाव के समय परिवार के साथ समय बिताए तथा परिवार के सदस्यों की भी जिम्मेदारी है कि उन्हें अकेला न छोड़े व् उनपर ध्यान दें I सरकार को भी ये सुनिश्चित करना होगा कि प्रचार प्रसार व प्रमोशन को रोका जाए तथा बिक्री पर टैक्स बढाया जाये।

युवा पीढ़ी को हमेशा ये ध्यान रखना चाहिए की उनसे ही देश का भविष्य है यदि एक-एक युवा यह ठान ले कि हमे एक न एक व्यक्ति की नशे की लत को दूर करवाना तो इस प्रयास से हमारा आधा देश नशे से मुक्त हो जायेगा। आज ही प्रण लें कि "न नशा करेंगे न करने देंगे” सही मायनों में विकसित भारत का सपना तभी सच हो पायेगा जब नशा मुक्त युवा भारत होगा।


नोट- लेखक डॉ. सोनवीर सिंह गौतम (ऑन्कोलॉजिस्ट), भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एन्ड रिसर्च सेंटर, भोपाल।

 


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