नई दिल्ली : शुक्रवार, नवम्बर 8, 2024/ चार दिवसीय छठ पूजा आज सुबह देश के विभिन्न हिस्सों में उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हो गया। बिहार में लाखों श्रद्धालुओं ने विभिन्न नदियों के तटों पर सूर्य देव और छठी मैया को अर्घ्य दिया। इसके अलावा, लोगों ने झीलों, जलाशयों और अस्थायी रूप से छतों पर जल संग्रह कर छठ पूजा मनाई।
छठ महापर्व के आखिरी दिन सूर्योदय के दौरान अर्घ्य देते समय मंत्र-ओम एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते, अनुकंपय माम् भक्तया गृहाणाघ्र्यम् दिवाकर का जाप किया गया। महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान मंगलवार को नहाय-खाय के साथ आरंभ हुआ था। पहले दिन व्रतियों ने यहां गंगा स्नान के साथ सूर्यदेव को जल से अर्घ्य दिया। इसके बाद पूरी पवित्रता के साथ अरवा चावल, चना दाल, कद्दू की सब्जी और आंवले की चटनी आदि का भोग लगाकर प्रसाद तैयार किया। बुधवार को खरना पूजन के दिन व्रतियों ने पूरे दिन उपवास कर शाम में भगवान का भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण किया। इसके बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हुआ। गुरुवार को व्रतियों ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया।
आज उदीयमान सूर्य को नदी-तालाब या अन्य जल स्रोतों के बीच खड़े होकर अर्घ्य देने के साथ ही छठ का चार दिवसीय अुनष्ठान पूरा हो गया। छठ व्रतियों ने अनुष्ठान के समापन की पूर्व संध्या पर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया। इस दिन षष्ठी तिथि को छठी मैया का पूजन विधि-विधान के साथ हुआ। सात नवंबर को धृति व रवि योग का संयोग बना रहा। व्रतियों ने जल में खड़े होकर पवित्रता के साथ फल, मिष्ठान, नारियल, पान-सुपारी, फूल, अर्कपात से भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर परिवार की कुशलता के लिए प्रार्थना की। आज सुबह कार्तिक शुक्ल सप्तमी तिथि को सर्वार्थ सिद्धि योग व रवि योग में उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ चार दिवसीय पर्व संपन्न हुआ। अर्घ्य व पूजन करने के बाद व्रतियों ने घाट पर पारण कर पर्व का समापन किया।
इसी बीच, दिल्ली के कालिंदी कुंज में यमुना घाट पर श्रद्धालुओं ने छठ पूजा के अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया। आज सुबह 6:55 बजे ड्रोन से ली गए तस्वीर में कालिंदी कुंज में यमुना नदी में जहरीला झाग तैरता हुआ दिखाई दे रहा है। गुरुवार को भी छठ पूजा के तीसरे दिन भी श्रद्धालुओं ने झाग से भरी यमुना नदी में खड़े होकर अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया। उत्तर प्रदेश में भी छठ पूजा श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई गई।




