नई दिल्ली : शुक्रवार, मई 26, 2023/ आर्थिक मंदी की आशंका वाले वैश्विक आर्थिक घटनाक्रम के कारण भारत के लिए आर्थिक चुनौतियों के बीच कई आर्थिक मौके उभरकर दिखाई दे रहे हैं। कोरोना महामारी के बाद रूस युक्रेन युद्ध ने दुनिया भर के देशों में आर्थिक मंदी की स्थित पैदा कर दी है। वैश्विक संकट के बीच भी भारत में बने प्रोडक्ट की दुनिया भर में मांग तेजी से बढ़ी है।

वस्तुओं के दाम मे वैश्विक गिरावट और धीमी वैश्विक मांग के बीच भारत एक सुदृढ़ और उन्नतिशील अर्थव्यवस्था के साथ निरंतर देदीप्यमान रहने में सफल है। वैश्विक मंदी से अप्रभावित, भारत का सेवा निर्यात पिछले साल से लेकर अप्रैल में 26% से $30.36 बिलियन बढ़ा है। ऐसा प्रतीत होता है कि जहाँ अन्य पश्चिमी देश और संयुक्त राज्य उच्च वेतन लागत और अधिक बैंक ऑफिस व्यवसाय के साथ संघर्ष कर रहे हैं, भारत व्यापार के लिए एक प्रत्यक्ष गंतव्य प्रतीत होता है। वैश्विक व्यापार में मंदी के बावजूद, भारत का इलेक्ट्रॉनिक निर्यात 26% की बढ़त के साथ एक आशापूर्ण स्थान है।

हालांकि आयात में 14% की गिरावट है, मशीनरी और लोहा और इस्पात का इनबाउंड शिपमेंट (आवक लदान) 15% बढ़ा है, जो कि निश्चित ही मशीनरी और धातु की प्रचुर आवश्यकता के रूप में भारत के प्रगतिशील उद्योग का द्योतक है। साथ ही, अन्य आयात की जाने वाली वस्तुओं में गिरावट का कारण भारत में उनकी खपत में गिरावट की अपेक्षा उनका मूल्य है।

व्यापार प्रवृत्ति का सबसे महत्वपूर्ण निष्कर्ष है – भारतीय अर्थव्यवस्था का बेहतर प्रतिस्पर्धिक रूप जो 2023 में प्रति माह निम्न एकल इकाई (सिंगल डिजिट) व्यापार घाटे के रूप में वैश्विक स्तर पर दिख रही है। $15.26 बिलियन के मालव्यापार घाटे और $13.86 बिलियन के सेवा अधिशेष के साथ कुल घाटा केवल $1.38 बिलियन है।

साथ ही, वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2022-2023 में 14.68% बढ़ कर USD 775.87 बिलयन के निर्यात की उपलब्धि प्राप्त करते हुए भारत का कुल निर्यात नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ा है। संतुलित चालू खाता नीति निर्माताओं को रुपये पर किसी भी प्रकार के प्रभाव की चिंता किए बिना नीति दरों पर स्वतंत्र कार्यवाही करने का मौका देता है।

निष्कर्षत:, विश्व स्तर पर दिखने वाली मंदी के समुद्र में भारत एक आशा का द्वीप सिद्ध हुआ है। यह पूंजीगत माल के उत्तम खपत के साथ विकास के प्रक्षेप पथ पर यह उत्तरोत्तर प्रगति कर रहा है, जो उभरती हुई सेवाओं और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात के साथ उन्नतिशील घरेलू उद्योग का द्योतक है। भारतीय व्यापार, विशेष रूप से निर्यात के बढ़ते हुए प्रदर्शन के अनेक सकारात्मक बाहरी कारक हैं।

RBI इस अनुकूल व्यापार परिदृश्य का सदुपयोग करके भारतीय रुपये को सशक्त करने का सोद्देश्य प्रयास कर रहा है ताकि अर्थव्यवस्था में करीब 2 लाख करोड़ रुपये के इन्फ्यूजन से उसकी मुद्रास्फीति को रोका जा सके। इससे विकास के लिए आवश्यक तरलता प्राप्त हो रही है। नीति दर में बढ़त के साथ RBI महंगाई को भी दूर करने का प्रयास कर रहा है। परिणामत: स्थिर रुपये के साथ लचीले निर्यात RBI को स्वतंत्र आर्थिक नीति का अनुसरण करने के लिए पर्याप्त स्थान देंगे।


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