नई दिल्ली : गुरूवार, मार्च 23, 2023/ केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव, राजेश भूषण ने भारत में डेंगू नियंत्रण के लिए एक रणनीतिक ढांचा और रोडमैप विकसित करने के लिए दो दिवसीय तकनीकी संगोष्ठी का उद्घाटन किया। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल (एनसीवीबीडीसी) द्वारा आयोजित इस संगोष्ठी का उद्देश्य रणनीतिक विकास के लिए चिन्हित मंत्रालयों, राज्यों, सरकारी संस्थानों और विकास भागीदारों को एक मंच पर साथ लाना है। डेंगू नियंत्रण के लिए रूपरेखा और कई आयामों में प्रयासों के माध्यम से दक्षता को अधिकतम करने के उद्देश्य से एक देश रोडमैप की कल्पना करना है।

सभा को संबोधित करते हुए, राजेश भूषण ने प्रभावी प्रबंधन और नियंत्रण के लिए डेंगू के मामलों की समय पर पहचान और रिपोर्टिंग के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने डेंगू को स्वास्थ्य मंत्रालय के एकीकृत स्वास्थ्य सूचना मंच के तहत शामिल करने का भी सुझाव दिया, जहां 33 बीमारियां पहले से ही कवर हैं।

केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में अपने स्वयं के अनुभव का हवाला देते हुए, उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत में डेंगू के मौसमी प्रकोप से निपटने के लिए विभिन्न मंत्रालयों के बीच आपसी तालमेल कैसे बिठाया जा सकता है।

केंद्रीय सचिव ने अंतर-क्षेत्रीय तालमेल और सभी हितधारकों से निरंतर प्रयास पर जोर दिया। उन्होंने सभी राज्यों से दो दिवसीय विचार-मंथन के अंत तक कार्य योजना शुरू करने का आग्रह किया।

रोली सिंह, एएस एवं एमडी (एनएचएम), स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने बताया कि भारत में डेंगू नियंत्रण की दिशा में कई प्रयास किए गए हैं। उन्होंने कहा कि विभिन्न मंत्रालयों के माध्यम से एकीकृत वेक्टर प्रबंधन किया जा रहा है और लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए प्रभावी सामुदायिक भागीदारी और गहन आईईसी अभियानों के महत्व पर प्रकाश डाला।

उन्होंने बताया कि कॉरपोरेट क्षेत्र को भी शामिल करने के लिए कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) के तहत डेंगू नियंत्रण को भी शामिल किया गया है। यह भी बताया गया कि भारत सरकार ने 16 मई को राष्ट्रीय डेंगू दिवस और जुलाई को डेंगू विरोधी माह घोषित किया है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव राजीव मांझी ने कहा कि चूंकि डेंगू के लिए कोई दवा या उपचार उपलब्ध नहीं है, इसलिए सावधानी बरतना और वेक्टर नियंत्रण और रोकथाम सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।

डॉ. ट्रान मिन्ह, समूह प्रमुख (आपातकालीन स्वास्थ्य), डब्ल्यूएचओ इंडिया ने डेंगू के प्रभावी नियंत्रण के लिए एकीकृत वेक्टर नियंत्रण, निगरानी और प्रतिक्रिया, नैदानिक निदान और उपचार और बहु-हितधारक पहल के चार प्रमुख हस्तक्षेपों को बढ़ावा देने के महत्व पर प्रकाश डाला।

दो दिवसीय संगोष्ठी के दौरान डेंगू की रोकथाम और नियंत्रण की रणनीति, अंतरक्षेत्रीय समन्वय और डेंगू नियंत्रण में चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। भारत में डेंगू नियंत्रण के लिए मजबूत रणनीति के साथ एक मंच के दृष्टिकोण के साथ विषय विशेषज्ञों को शामिल करते हुए एक भविष्य का रोडमैप विकसित किया जाएगा।

इस दो दिवसीय आयोजन में आईसीएमआर मुख्यालय और इसके संस्थानों के प्रतिभागी; मेडिकल कॉलेज- एम्स (दिल्ली, भुवनेश्वर, जोधपुर); सशस्त्र बल मेडिकल कॉलेज, पुणे; कई विभिन्न संस्थान- एनसीडीसी, सीएचईबी, एनआईएचएफडब्ल्यू; चिन्हित राज्य; स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के लिए क्षेत्रीय कार्यालय; डब्ल्यूएचओ मुख्यालय, डब्ल्यूएचओ-भारत, विषय विशेषज्ञ; सीजीएचएस अस्पताल और दिल्ली के चिन्हित सेंटिनल सर्विलांस अस्पताल भी शामिल हुए।

कई राज्यों और नए क्षेत्रों से बार-बार फैलने की सूचना के साथ हाल के वर्षों में डेंगू के मामले बढ़ रहे हैं। देश में डेंगू के मामलों में वृद्धि तेजी से शहरीकरण, जनसंख्या वृद्धि, वैश्वीकरण, जलवायु परिवर्तन, सामाजिक-आर्थिक विकास और जीवन शैली में बदलाव के कारण एडीज वेक्टर की शुरुआत के कारण देखी गई है।

डेंगू ट्रांसमिशन मुख्य रूप से स्वास्थ्य क्षेत्र के बाहर के कारकों के कारण होता है और इसलिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और अन्य मंत्रालयों, केंद्र सरकार के अस्पतालों, आईसीएमआर संस्थानों, भागीदारों, चिन्हित राज्यों और नगर पालिकाओं के बीच समन्वय की आवश्यकता वाले एक प्रभावी बहुक्षेत्रीय दृष्टिकोण की आवश्यकता है।


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