विजय कुमार जैन राघौगढ़ म.प्र.


वर्तमान में भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं से वरिष्ठ नागरिकों को वंचित रखा जा रहा है। योजनाओं का लाभ नहीं मिलने से वरिष्ठ नागरिक दुखी एवं आक्रोशित हैं। वरिष्ठ नागरिकों का तर्क है कि जीवन के अंतिम पड़ाव में उन्हें वरिष्ठ नागरिक मानकर योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए। हमने भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं का विवरण एकत्रित किया है। इन योजनाओं का लाभ वरिष्ठ नागरिकों को नहीं मिल रहा है।

इन योजनाओं का उल्लेख हम कर रहे हैं:-

1.वरिष्ठ नागरिक को 70 वर्ष की आयु के बाद चिकित्सा बीमा की पात्रता नहीं है।
2. वरिष्ठ नागरिक को ई एम आई पर नहीं ऋण नहीं मिलता है।
3. वरिष्ठ नागरिक को ड्राइविंग लाइसेंस जारी नहीं किया जाता है।
4. इन्हें आर्थिक काम के लिए कोई नौकरी नहीं देता है इसलिए वह दूसरों पर निर्भर हैं।
5. इन्होंने युवावस्था में सभी करों का भुगतान किया था अब वरिष्ठ नागरिक बनने पर उन्हें सभी टैक्स चुकाना आवश्यक है भारत सरकार की वरिष्ठ नागरिकों के लिए कोई योजना नहीं है।
6. कोरोना काल में वरिष्ठ नागरिकों को रेल किराए में मिलने वाली 50% छूट कोरोना काल के बाद भी समाप्त कर दी है। रेल किराए में मिल रही छूट एकमात्र सुविधा को भी भारत सरकार ने बंद कर दिया इससे वरिष्ठ नागरिक दुखी एवं आक्रोशित हैं। वरिष्ठ नागरिकों का तर्क है देश में चुने हुए सांसदों एवं विधायकों को रेल किराए में छूट कोरोना काल में भी जारी रही और जो छूट आज भी जारी है मगर वरिष्ठ नागरिकों को रेल किराए में छूट समाप्त करना सरकार का उपेक्षा पूर्ण व्यवहार है।

भारतीय स्टेट बैंक के सेवानिवृत्त प्रबंधक अभय गुप्ता ने वरिष्ठ नागरिकों को सुविधाएं न मिलने का मुद्दा उठाया है। आपने कहा है सुविधाएं ना मिलने से वरिष्ठ नागरिक दुखी एवं आक्रोशित हैं। वरिष्ठ नागरिक के जीवन में कोई कठिनाई ना आए इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। यह क्या न्यायोचित है। गैर नवीकरणीय योजनाओं पर सरकार बहुत पैसा खर्च करती है। लेकिन कभी यह महसूस नहीं करती है कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक योजना आवश्यक है। इसके विपरीत बैंक की ब्याज दर कम कर वरिष्ठ नागरिकों की आय कम कर रहा है। आपका कहना है वरिष्ठ नागरिक एकजुट होकर अपने वोट की ताकत से सरकार भी बदल सकते हैं। एक ओर भारत में वरिष्ठ नागरिक सरकार की उपेक्षा के शिकार हैं। वहीं दूसरी ओर वरिष्ठ नागरिक परिवार की उपेक्षा के भी शिकार है। वरिष्ठ नागरिक के वृद्ध बीमार एवं असहाय होने पर परिवार में बेटे बहू को बोझ लगने लगते हैं। उनकी सुख सुविधाओं का ध्यान नहीं रखा जाता है। बात बात में उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। जिनके बेटे बहू नौकरी करने अन्य नगरों एवं विदेशों में चले जाते हैं वे अपने वृद्ध माता-पिता को अपने हाल पर छोड़ जाते हैं या वृद्ध आश्रम में भर्ती कर देते हैं। जिन माता पिता ने पालन पोषण किया। दिन रात मेहनत करके पढ़ाया। उच्च शिक्षा दिलाने बैंक से ऋण लिया। उस ऋण को पटाने दिन रात मेहनत की। बेटा इन सब उपकारों को भूलकर वृद्ध माता पिता को वृद्ध आश्रम में भर्ती कर देते हैं। भारत में वृद्ध आश्रम पाश्चात्य संस्कृति की देन है। हम यही कहेंगे कि भारत में वरिष्ठ नागरिक होना अभिशाप बन गया है।

 


नोट:-लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं भारतीर जैन मिलन के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष हैं।


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