कृष्णमोहन झा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की परंपरागत त्रिवार्षिक बैठक गत दिनों नागपुर में संपन्न हुई। इस बैठक की समाप्ति के पश्चात् आयोजित पत्रकार वार्ता में संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले जब राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर संघ का दृष्टिकोण को प्रस्तुत कर रहे थे तब उसमें असहमति की कोई गुंजाइश नहीं थी। कहीं कोई लाग लपेट नहीं, कोई भटकाव नहीं,हर मुद्दे पर एक दम साफ़ सुथरा नजरिया। राष्ट्र हित और समाज हित से जुड़े हर मुद्दे पर संघ का यही स्पष्ट किंतु संतुलित दृष्टिकोण उसकी सबसे बड़ी पहचान रहा है।संघ न तो कभी अपनी दिशा बदलता है और न ही अपना दृष्टिकोण बदलता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने विगत दिनों संपन्न त्रिवार्षिक बैठक में भी यही संदेश दिया है।

उल्लेखनीय है कि संघ की इस बैठक के मात्र दो माह पूर्व ही अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर में राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा का अनुष्ठान कार्यक्रम संपन्न हुआ है जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ संघ प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद थे और उस ऐतिहासिक अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी के साथ उनके विद्वतापूर्ण व्याख्यान ने भी समारोह में आमंत्रित विशिष्ट अतिथियों को मंत्रमुग्ध कर दिया था। मोहन भागवत ने अपने उस व्याख्यान में जो सारगर्भित विचार व्यक्त किए थे वे संघ की त्रिवार्षिक बैठक में पारित प्रस्ताव में भी प्रतिध्वनित हुए हैं जिसमें इस बात को विशेष रूप से रेखांकित किया गया है कि देश में हर तरह के परस्पर वैमनस्य और भेदभाव को समाप्त कर समरसता युक्त पुरुषार्थी समाज का निर्माण ही भगवान राम की सच्ची आराधना है ।

संघ की बैठक में पारित इस प्रस्ताव में अयोध्या में कहा गया है कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण हेतु पांच शताब्दियों के सतत संघर्ष और बलिदान तथा पूज्य संतों और महापुरुषों के मार्गदर्शन में चले राष्ट्रव्यापी आंदोलन एवं समाज के विभिन्न घटकों के सामूहिक संकल्प के परिणामस्वरूप संघर्ष काल के दीर्घ अध्याय के सुखद समाधान हुआ। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने राममंदिर आंदोलन में प्राण अर्पण करने वाली हुतात्माओं को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए आंदोलन में योगदान देने समाज के हर वर्ग के लोगों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। प्रस्ताव में कहा गया है कि अयोध्या में भव्य मंदिर का निर्माण से भारत में श्री राम के आदर्शों के अनुरूप समरस और सुगठित राष्ट्रजीवन खड़ा करने का वातावरण बना है।यह भारत पुनरुत्थान के गौरवशाली अध्याय के प्रारंभ का संकेत है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का जीवन हमें सामाजिक दायित्वों के प्रति प्रतिबद्ध रहते हुए समाज व राष्ट्र के लिए त्याग करने की प्रेरणा देता है।

संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की त्रिवार्षिक बैठक में लगातार दूसरी बार सरकार्यवाह निर्वाचित दत्तात्रेय होसबोले ने बैठक के समापन पर आमंत्रित पत्रकार वार्ता में कहा कि रामलला की अयोध्या में नवनिर्मित भव्य मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की ऐतिहासिक घटना से समाज की सक्रिय भागीदारी का अनुभव सबने किया है। उन्होंने सामाजिक समरसता संघ की रणनीति का हिस्सा नहीं अपितु अटूट निष्ठा का विषय है।समाज की सज्जन शक्तियों के एकत्रीकरण और सभी के सामूहिक प्रयास से संभव होगा। संघ ने सभी को जोड़कर सामाजिक परिवर्तन की दिशा में आगे बढ़ने का संकल्प लिया है। सरकार्यवाह ने कहा कि संघ जो कार्य कर रहा है उसका प्रभाव सारे समाज पर दिखाई दे रहा है। संपूर्ण समाज को संगठित करने का स्वप्न साकार करने के लिए संघ कृतसंकल्प है। उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया कि पर्यावरण की रक्षा और सामाजिक समरसता के अभियान में संपूर्ण समाज की सहभागिता आवश्यक है।

दत्तात्रेय होसबोले ने चुनावों को लोकतंत्र का महापर्व निरूपित करते हुए कहा कि संघ आगामी लोकसभा चुनावों में 100 प्रतिशत मतदान सुनिश्चित करने के लिए अपने स्वयंसेवकों के माध्यम से जनजागरण अभियान चलायेगा। संघ के कार्यकर्ता बिखराव, अलगाव और वैमनस्य के प्रति सचेत रहने के लिए लोगों को जागृत करेंगे । उन्होंने इलेक्टोरल बांड को नियंत्रण और संतुलन की अवधारणा पर आधारित प्रयोग बताते हुए कहा कि समय ही बताएगा यह कितना कारगर और फायदेमंद रहा। सरकार्यवाह ने कहा कि संघ हमेशा ही अल्पसंख्यकवाद की राजनीति का विरोधी रहा है। द्वितीय सरसंघचालक चालक गुरुजी से लेकर अभी तक सभी सरसंघचालकों ने मुस्लिम और ईसाई समुदाय के नेताओं से संवाद के द्वारा समन्वय बनाने का काम किया है। दत्तात्रेय होसबोले ने संदेशखाली और मणिपुर की घटनाओं को पीड़ा दायक बताया।


नोट - लेखक राजनैतिक विश्लेषक है।


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