कृष्णमोहन झा

प्रति वर्ष विजयादशमी की पुनीत तिथि को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नागपुर स्थित मुख्यालय में संघ के स्थापना दिवस समारोह के मंच से सर संघ चालक जो उद्बोधन देते हैं उसकी सारे देश में न केवल उत्सुकता से प्रतीक्षा की जाती है अपितु सर संघ चालक का वह उद्बोधन लंबे समय तक चर्चा का विषय बना रहता है। इस उद्बोधन में संघ प्रमुख सभी महत्वपूर्ण राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर संघ का दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं और ज्वलंत समस्याओं के समाधान की राह भी दिखाते हैं। वस्तुत': संघप्रमुख का विजयादशमी उद्बोधन हर ज्वलंत मुद्दे पर उनके गंभीर चिंतन और मनन तथा उचित मार्गदर्शन का परिचायक होता है। इस बार भी विजयादशमी की पावन तिथि को संघ के स्थापना दिवस समारोह के मंच से वर्तमान संघ प्रमुख मोहन भागवत का उद्बोधन उसी गौरवशाली परंपरा का निर्वाह कर रहा था।

संघ प्रमुख ने अपने 55 मिनिट के भाषण के प्रारंभ में नई दिल्ली में गत माह संपन्न जी-20 शिखर सम्मेलन, चंद्र यान मिशन और एशियाई खेलों में भारतीय खिलाड़ियों के उत्कृष्ट प्रदर्शन को भारत के लिए ऐतिहासिक गौरवशाली उपलब्धियों के रूप में रेखांकित किया । संघ प्रमुख ने कहा कि चंद्रयान मिशन पुनर्जीवित भारत की ताकत, बुद्धिमत्ता और चातुर्य का परिचायक है। देश के नेतृत्व की इच्छा शक्ति वैज्ञानिकों के तकनीकी कौशल और वैज्ञानिक ज्ञान से सहजता से जुड़ी हुई है। इन महत्वपूर्ण प्रसंगों के अलावा संघ प्रमुख ने अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर के गर्भगृह में श्री राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा के भावी आयोजन पर जो सारगर्भित विचार साझा किए उन्हें इस परंपरागत विजयादशमी उद्बोधन में विशेष रूप से रेखांकित किया जाना चाहिए।

गौरतलब है कि लगभग तीन वर्ष पूर्व अयोध्या में संपन्न राम मंदिर के भूमि पूजन समारोह में वर्तमान संघ प्रमुख मोहन भागवत को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था और उस मौके पर उनके विद्वतापूर्ण व्याख्यान की सर्वत्र सराहना हुई थी। यह सर्वविदित है कि राममंदिर आंदोलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण थी। संघ प्रमुख ने कहा कि जिस दिन भव्य मंदिर के गर्भगृह में श्री राम लला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा होने जा रही है उस दिन व्यवस्थागत कठिनाईयों और सुरक्षागत सावधानियों के चलते उस तिथि को अयोध्या में तो बहुत कम उपस्थिति में कार्यक्रम का आयोजन संभव हो पाएगा परंतु हम उस समय अपने आसपास संक्षिप्त धार्मिक कार्य क्रम आयोजित कर सकते है एवं अपने मन की अयोध्या को सजाते हुए सद्भावना और पुरुषार्थ का वातावरण निर्मित करने का प्रयास कर सकते हैं।संघ प्रमुख ने कहा कि भगवान राम आचरण की मर्यादा , कर्तव्य पालन और स्नेह व करुणा के प्रतीक हैं। उनका चरित्र हम सब के लिए अनुकरणीय है ।

संघ प्रमुख ने भारत में जी-20 शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन को देश के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताते हुए कहा कि इस सम्मेलन की मेजबानी भारत के लिए ऐतिहासिक गौरव का विषय था भारत ने इस संस्था को नई दिशा दी है और सम्मेलन के पहले दिन ही सम्मेलन के घोषणा पत्र को सर्वसम्मति से पारित कराने में भारत को जो सफलता मिली वह हमारी प्रामाणिक सद्भावना व राजनीतिक कुशलता का प्रमाण है। यह भारत की विशिष्ट विचार दृष्टि का ही प्रभाव है कि आज भारत का वसुधैव कुटुम्बकम् का मार्गदर्शक सिद्धांत संपूर्ण विश्व के दर्शन में समाहित हो गया है। इस अवधारणा ने विश्व के दर्शन को नई दिशा दी है। भागवत ने कहा कि जी 20 शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन ने विश्व मंच पर भारत को प्रमुख राष्ट्र के रूप में स्थापित कर दिया है । इसके लिए वर्तमान नेतृत्व की भूमिका अभिनंदनीय है। संघ प्रमुख ने 55 मिनिट के सारगर्भित उद्बोधन में अपने इस मंतव्य को दोहराया कि आज सारी दुनिया जटिल समस्याओं के समाधान के लिए भारत की ओर देख रही है क्योंकि भारत के पास दुनिया का नेतृत्व करने की सामर्थ्य है।

संघ प्रमुख ने मणिपुर की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं की चर्चा करते हुए प्रश्न किया कि वहां जब दोनों पक्षों द्वारा शांति की बहाली की मांग की जा रही है तो वो कौन सी ताकतें हैं जो वहां शांति स्थापना में रुकावटें पैदा कर रही हैं। संघ प्रमुख का इशारा विदेशी ताकतों की ओर था। उनके कुत्सित इरादों के प्रति सतर्क रहने पर जोर देते हुए संघ प्रमुख ने मणिपुर में अमन-चैन की बहाली के लिए महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए। संघ प्रमुख के अनुसार राजनीतिक इच्छाशक्ति, समवर्ती कार्रवाई और प्रबुद्ध जनों के सहयोग से वहां पर दोनों पक्षों के बीच अविश्वास की खाई को पाटना संभव हो सकता है। मोहन भागवत ने बताया कि संघ के कार्यकर्ताओं के द्वारा वहां व्यापक पैमाने पर राहत कार्य संचालित किए जा रहे हैं। संघ कार्य कर्ता समर्पित भाव से मणिपुर में सेवा कार्य में जुटे हुए हैं।

नोट - लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।


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