प्रयागराज महाकुम्भ 2025 में माघ पूर्णिमा के अवसर पर करोड़ो श्रद्धालुओं ने संगम में किया अमृत स्नान

नई दिल्ली : गुरूवार, फरवरी 13, 2025/ विश्व के सबसे बड़े धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन महाकुम्भ 2025 में माघ पूर्णिमा के शुभ अवसर पर कल महाकुम्भ का चौथा अमृत स्नान पर्व संपन्न हो गया। अविरल और निर्मल त्रिवेणी संगम में करोड़ो श्रद्धालुओं ने चौथा अमृत स्नान किया। महाकुंभ का आयोजन न केवल आस्था, विश्वास और श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि एकता, समता और सांस्कृतिक विविधता के अद्भुत उदाहरण के रूप में भी है।

संगम के तट पर श्रद्धालु माघ पूर्णिमा के अवसर पर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंचे। इस अवसर पर भारतीयों के साथ-साथ भारी संख्या में विदेशियों ने भी त्रिवेणी संगम पर अमृत स्नान किया । प्रदेश सरकार के सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग द्वारा जारी आंकड़ो के अनुसार माघ पूर्णिमा के अवसर पर शाम 6 बजे तक कुल 1.90 करोड़ श्रद्धालुओं ने पवित्र त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई। ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना के साथ देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं ने संगम में पुण्य स्नान किया। दुनिया के कई देशों से आए साधु-संत, योगी, विद्वान और श्रद्धालु इस दिव्य आयोजन का हिस्सा बने। पंचांग के अनुसार, इस शुभ तिथि पर स्नान का विशेष महत्व है, और इसी कारण रात से ही संगम क्षेत्र में श्रद्धालुओं की कतारें लग गईं। माघ पूर्णिमा का पुण्यकाल 11 फरवरी की शाम 6:55 बजे से शुरू होकर 12 फरवरी की शाम 7:22 बजे तक रहा।

श्रद्धालुओं के इतने बड़े जनसमुद्र के संगम तक पहुंचने और पवित्र स्नान के बाद उनकी सुरक्षित वापसी के लिए मंगलवार रात से ही मेला क्षेत्र में बड़े बड़े वैरिएबल मैसेजिंग डिस्प्ले (वीएमडी) पर जरूरी संदेश दिए जाने लगे। जिससे श्रद्धालुओं को स्नान में बड़ी सहूलियत हुई। महाकुम्भनगर प्रशासन ने देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पूरे मेला क्षेत्र में व्यापक इंतजाम किए थे, ताकि उन्हें किसी प्रकार की असुविधा न हा। इसके अलावा स्नान के बाद घाटों पर अधिक समय न बिताकर शीघ्र गंतव्य की ओर बढ़ने की लोगों से बराबर अपील भी की जाती रही। जिससे श्रद्धालुओं को माघ पूर्णिमा के स्नान के लिए बड़ी सुविधा मिली।

महाकुम्भ में अखाड़ों के वैभव के अलावा जप, तप और साधना की त्रिवेणी के प्रवाह के साक्षी रहे कल्पवासियों की माघ पूर्णिमा के स्नान पर्व के साथ विदाई हो गई। ब्रह्म मुहूर्त में त्रिवेणी में माघ पूर्णिमा की डुबकी लगाकर कल्पवासी अपने शिविर पहुंचे। यहां से अनुष्ठान के बाद दस लाख से अधिक कल्पवासी महाकुम्भ की आध्यात्मिक ऊर्जा लेकर यहां से प्रस्थान कर गए। मेला क्षेत्र से कल्पवासियों की सकुशल घर वापसी के लिए महाकुम्भ प्रशासन ने अलग योजना बनाई गई और उसपर अमल भी किया गया। श्रद्धालुओं के स्नान के सकुशल सम्पन्न होने के बाद कल्पवासी अपने वाहनों से अपना सामान लेकर विदा हो गए।

माघ पूर्णिमा के स्नान पर्व को सफल बनाने में महाकुम्भ मेला प्रशासन और स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ पुलिस प्रशासन, स्वच्छताकर्मियों, स्वयंसेवी संगठनों, नाविकों और केंद्र व प्रदेश सरकार के सभी विभागों का योगदान रहा, जो इस ऐतिहासिक आयोजन को सुरक्षित और सुव्यवस्थित बनाने में लगे रहे।

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