ग्वालियर : मंगलवार, दिसम्बर 17, 2024/ शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में देश के सर्वाधिक प्रतिष्ठित महोत्सव “तानसेन संगीत समारोह” के शताब्दी आयोजन के तीसरे दिन यानि मंगलवार को प्रात:कालीन संगीत सभा में ब्रम्हनाद के शीर्षस्थ साधनों ने अपने गायन-वादन से रसिकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रातःकालीन संगीत सभाओं का शुभारम्भ पारम्परिक रूप से ईश्वर को अर्पित ध्रुपद गायन के साथ हुआ।
तानसेन संगीत महाविद्यालय, ग्वालियर के विद्यार्थियों द्वारा राग देसी ताल चौताल में निबद्ध बंदिश रघुवर की छवि सुन्दर…. से भगवान श्री राम के प्रति अनन्त आस्था एवं श्रद्धा को वर्णित किया। पखावज पर जगतनारायण शर्मा ने संगत दी। वायोलिन व तबले की जुगलबंदी ने छेड़ा राग बैरागी भैरव अगली प्रस्तुति वायलिन जुगलबंदी की थी। मंच पर नमूदार हुए सुप्रसिद्ध वायलिन वादक महेश मलिक एवं अमित मलिक। पिता—पुत्र की इस जोड़ी ने वायलिन की तारों पर राग बैरागी भैरव छेड़ा। सधे हुए हाथों से उस्ताद सलीम अल्लाहवाले की तबला संगत के साथ श्रोताओं को राग का अनुराग प्रदान कराया। इसमें विलंबित एक ताल में बड़ा खयाल की गत और द्रुत तीन ताल में छोटे खयाल की बंदिश से दीर्घा में राग की सुगंध घोली। अंत में राग चारुकेशी की धुन से प्रस्तुति को विराम दिया। गिटार पर राग की जादूगरी और उँगलियों की कारीगरी ने किया मंत्रमुग्ध वायलिन की सुमधुर धुनों को सुनने के बाद अब गिटार की धुनों से साक्षात्कार का समय था।
वाराणसी की सुप्रसिद्ध गिटार वादिका कमला शंकर की तानसेन समारोह के मंच पर आमद हुई। शंकर गिटार वाद्ययंत्र पर कमला ने राग शुद्ध सारंग छेड़ा। उंगलियों की कारीगरी और राग की जादूगरी ने कुछ इस तरह संगीतप्रेमियों की आत्मा पर दस्तक दी कि सब निहाल हो गए। उनके साथ तबले पर पंडित ललित कुमार ने संगत दी। कमला पंडित ने अपनी प्रस्तुति को सुप्रसिद्ध तबला वादक एवं पद्मविभूषण उस्ताद जाकिर हुसैन को समर्पित किया। राग हिंडोल में भव्या सारस्वत ने किया “नाद वेद अपरंपार” बंदिश का गायन अगली प्रस्तुति गायन की थी, जिसमें युवा गायिका रतलाम की भव्या सारस्वत ने अपने मधुर कंठ का परिचय दिया। उन्होंने प्रस्तुति के लिए राग हिंडोल का चयन किया। आपने चौताल में नाद वेद अपरम्पार…. बंदिश प्रस्तुत की। इसके बाद राग मुल्तानी सूलताल में बंदिश गाकर प्रस्तुति को विराम दिया। उनके साथ पखावज पर जयंत गायकवाड़ ने संगत की। सुर बहार के माधुर्य में डूबे रसिक तीसरे दिन की प्रातःकालीन सभा की अंतिम प्रस्तुति में संगीतप्रेमियों ने सुरबहार के माधुर्य का आनन्द प्राप्त किया। यह आनन्द प्रदान करने सुरबहार के सुप्रसिद्ध वादक अश्विन दलवी, जयपुर से पधारे। उन्होंने राग भीमपलासी का चयन करते हुए सुरबहार के तार छेड़े। मौजूदा समय में हमारे देश में इस विरल वाद्य के जो गिने-चुने कलाकार हैं, उनमें अश्विन दलवी प्रमुख हैं। सुरबहार में स्वर-कंपन संग वह माधुर्य की जैसे वृष्टि करते हैं। सुरबहार में उन्होंने नित-नए प्रयोग किए हैं।
समारोह में 18 दिसम्बर को इनकी होगी प्रस्तुति प्रात:कालीन सभा 18 दिसम्बर – तानसेन समाधि स्थल इस सभा की शुरूआत प्रात:काल 10 बजे शंकर गंधर्व महाविद्यालय ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगी। इस सभा में रोहन पंडित ग्वालियर का गायन एवं उस्ताद दानिश असलम खाँ दिल्ली की रबाब प्रस्तुति होगी। प्रात:कालीन सभा 18 दिसम्बर – बटेश्वर मंदिर परिसर, जिला मुरैना सभा की शुरूआत प्रात: 10 बजे होगी। मुरैना जिले के बटेश्वर मंदिर परिसर में सजने जा रही इस संगीत सभा में मुरैना के मोहित खाँ का गायन, महालक्षमी शिनॉय उदयपुर का गायन, उस्ताद अमीर खाँ भोपाल का सरोद वादन एवं सभा के अंत में सुनंदा शर्मा दिल्ली का गायन होगा। सायंकालीन सभा 18 दिसम्बर – तानसेन समाधि स्थल इस सभा की शुरूआत सायंकाल 6 बजे साधना संगीत महाविद्यालय गवालियर के ध्रुपद गायन से होगी। इस सभा में विश्व संगीत के तहत रेमो स्केनो इटली के सितार वादन की प्रस्तुति होगी। इसके बाद तानसेन सम्मान से विभूषित कलाकार पं. स्वपन चौधरी कोलकाता का तबला वादन एवं आरती अंकलीकर टिकेकर मुम्बई का गायन होगा।




