नई दिल्ली : गुरूवार, अक्टूबर 9, 2025/ केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज नई दिल्ली में प्रेस वार्ता कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शनिवार 11 अक्टूबर 2025 को जारी होने वाली महत्वाकांक्षी योजनाओं के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि महत्वपूर्ण रबी फसल की बुवाई के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों की समृद्धि और कल्याण के लिए ऐतिहासिक योजनाओं की शुरुआत करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने देश के विकास में उल्लेखनीय प्रगति हासिल की है। अब हमारे काम की तुलना पिछली सरकारों के कामकाज से नहीं बल्कि वैश्विक मानदंडों के आधार पर होगी। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र में भारत उत्कृष्ट उपलब्धियां अर्जित कर रहा है और इसी तरह आगे बढ़ते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में निश्चित ही दुनिया का फूड बास्केट बनेगा।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में कृषि और किसान कल्याण के प्रमुख लक्ष्यों; देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना, किसानों की आय बढ़ाना, पोषणयुक्त अनाज उपलब्ध करवाने के लिए प्रतिबद्धता से काम किया जा रहा है।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सरकार खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने को लेकर तत्परता से काम कर रही है। 2014 से अब-तक खाद्यान्न उत्पादन में 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। गेहूं, चावल, मक्का, मूंगफली, सोयाबीन के उत्पादन में रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ोतरी हुई है। चौहान ने कहा कि आज गेहूं और चावल के विषय में हम पूरी तरह से आत्मनिर्भर हैं। 4 करोड़ से ज्यादा कृषि उत्पादों का निर्यात किया गया है। लेकिन दलहन के मामले में अभी और प्रयास करने की जरूरत है।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि भारत दालों का सबसे बड़ा उत्पादक भी है उपभोक्ता भी है लेकिन बावजूद इसके सबसे ज्यादा दालों का आयात भारत ही करता है। दलहन के मामले में अभी हम पूरी तरह से आत्मनिर्भर नहीं हुए हैं। इसलिए दालों में आत्मनिर्भरता के लिए ‘दलहन मिशन’ की योजना बनाई गई है।
केंद्रीय मंत्री ने ‘दलहन मिशन’ के तहत बुवाई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी, उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने की बात कही। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य 2030-31 तक दालों के बुवाई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी करना है। वर्तमान में बुवाई क्षेत्रफल 275 लाख हेक्टेयर है जिसे बढ़ाकर 310 लाख हेक्टेयर किया जाएगा। साथ ही उन्होंने दालों के उत्पादन में बढ़ोतरी का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अभी दालों का उत्पादन 242 लाख टन है जिसे बढ़ाकर 350 लाख टन किया जाएगा। साथ ही प्रति हेक्टेयर उत्पादकता बढ़ाने की दिशा में भी काम किया जाएगा। अभी उत्पादकता 880 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है जिसे बढ़ाकर 1,130 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर करने का प्रयास होगा।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि दलहन से जुड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अनुसंधान और विकास की रणनीति बनाई गई है। उच्च उत्पादकता वाली, कीट प्रतिरोधी और जलवायु अनुकूल किस्मों का विकास करने पर बल दिया जा रहा है और ऐसी किस्में किसानों तक सही समय पर पहुंचे, यह भी सुनिश्चित किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि अच्छे बीज किसानों तक ‘मिनी किट्स’ के रूप में पहुंचाए जाएंगे। 126 लाख क्विंटल प्रमाणित बीज किसानों को वितरित किया जाएगा। 88 लाख नि:शुल्क बीज के किट भी बांटे जाएंगे।
चौहान ने कहा कि दलहन बुवाई वाले क्षेत्रों में ही यदि प्रोसेसिंग का काम हो जाए तो किसानों को उत्पादन के ठीक दाम भी मिलेंगे और प्रोसेसिंग का काम भी वहीं संपन्न हो जाएगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 1,000 प्रसंस्करण इकाइयों जिसपर सरकार 25 लाख रुपये की सब्सिडी देगी, उसे भी स्थापित करने का लक्ष्य है। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा राज्यों की सहभागिता के साथ पूरा कृषि अमला एक राष्ट्र-एक कृषि-एक टीम के लक्ष्य के तहत काम करेगा।
प्रधानमंत्री धन-धान्य योजना पर जानकारी देते हुए चौहान कहा कि पूरे देश में हर क्षेत्र की उत्पादकता एक जैसी नहीं है। अलग-अलग फसलों की उत्पादकता अलग-अलग राज्यों में भी अलग है। यहां तक कि एक राज्य में जिलों की उत्पादकता भी विभिन्न है। इसलिए सरकार ने तय किया है कि कम उत्पादकता वाले जिले छांटे जाएंगे और उनमें उत्पादकता बढ़ाने के लिए कुछ विशेष प्रयत्न किए जाएंगे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कम उत्पादकता वाले जिलों को यदि औसत स्तर पर भी ले आएं, तो देश के कुल उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। जरूरतें भी पूरी होंगी और उन जिलों के किसानों की आय भी बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि फिलहाल ऐसे 100 जिले चयनिय किए गए हैं जिनपर केंद्रित होकर काम किया जाएगा और प्रधानमंत्री धन-धान्य योजना के तहत इन जिलों में उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रयत्न किए जाएंगे। प्रयत्नों में सिंचाई की व्यवस्था में विस्तार, भंडारण की व्यवस्था, दीर्घकालिक और अल्पकालिक ऋणों की सुविधाओं में विस्तार, फसलों में विविधिकरण शामिल हैं। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री धन-धान्य योजना, आकांक्षी जिलों के लिए बनाए मॉडल पर भी आधारित है। नीति आयोग डैश बोर्ड के माध्यम से निगरानी करेगा।
अंत में चौहान ने कहा कि यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि 11 अक्टूबर को लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों इन योजनाओं की शुरुआत होने जा रही है। साथ ही प्रधानमंत्री द्वारा देशभर में कृषि और ग्रामीण विकास से जुड़ी कई महत्वपूर्ण उपलब्धियों को भी रेखांकित किया जाएगा। प्रेस वार्ता में कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक और डेयर सचिव डॉ. मांगी लाल जाट भी उपस्थित रहे।