नई दिल्ली : गुरूवार, अक्टूबर 9, 2025/ केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने आज यहां एक हाइब्रिड कार्यक्रम में तंबाकू मुक्त युवा अभियान 3.0 के तीसरे संस्करण का शुभारंभ किया। इस अवसर पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सचिव अमित यादव, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) डॉ. सुनीता शर्मा और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की अपर सचिव वी. हेकाली झिमोमी भी उपस्थित थीं।
उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए, अनुप्रिया पटेल ने कहा कि “तंबाकू का सेवन सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी एक महत्वपूर्ण चुनौती है और बच्चे विशेष रूप से सिगरेट, बीड़ी एवं धूम्ररहित तंबाकू उत्पादों के प्रारंभिक प्रयोग के प्रति संवेदनशील होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर जीवन भर की लत, दीर्घकालिक बीमारियां और यहां तक कि असमय मृत्यु भी हो जाती है।”
इस तथ्य को रेखांकित करते हुए कि भारत सरकार ने तंबाकू से संबंधित स्वास्थ्य संबंधी खतरों से नागरिकों की सुरक्षा के लिए लगातार कदम उठाए हैं, अनुप्रिया पटेल ने बताया कि “भारत ने स्वास्थ्य संबंधी चेतावनियों और तंबाकू विरोधी संदेशों का विविध दर्शकों तक पहुंचना सुनिश्चित करते हुए फिल्मों, टेलीविजन और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर तंबाकू के चित्रण को विनियमित करने में अग्रणी भूमिका निभाई है। तंबाकू की सुलभता को और सीमित करने के उद्देश्य से, तंबाकू के सभी प्रकार के विज्ञापन, प्रचार और प्रायोजन पर सख्त प्रतिबंध है – जिसमें इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट भी शामिल हैं। तंबाकू के सभी पैकेजिंग पर बड़ी सचित्र स्वास्थ्य संबंधी चेतावनियां भी अनिवार्य कर दी गई हैं, जिसे वैश्विक स्तर पर सबसे कड़े उपायों में से एक माना जाता है।” उन्होंने यह भी कहा, “18 वर्ष से कम उम्र के नाबालिगों को और शैक्षणिक संस्थानों के 100 गज के दायरे में तंबाकू के उत्पादों की बिक्री पर सख्त प्रतिबंध है। देश भर में इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट का उत्पादन, बिक्री, परिवहन और भंडारण भी पूरी तरह से प्रतिबंधित है।”
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के युवाओं को विकसित भारत का अग्रदूत कहा है और इसी दृष्टिकोण के अनुरूप, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने युवाओं को तंबाकू और निकोटीन के खतरों से बचाने हेतु 2023 में तंबाकू मुक्त युवा अभियान की शुरुआत की। उन्होंने जोर देकर कहा कि “इस अभियान का उद्देश्य केवल जागरूकता बढ़ाना ही नहीं, बल्कि हमारे युवाओं को सशक्त बनाना भी है – ताकि वे साथियों के दबाव का विरोध करें, सोच-समझकर चुनाव करें और तंबाकू-मुक्त तथा व्यसन-मुक्त जीवनशैली के दूत बनें।”
इस तथ्य को स्वीकार करते हुए कि तंबाकू का सेवन अक्सर मादक द्रव्यों के सेवन की ओर पहला कदम होता है, यह अभियान भारत सरकार के नशा मुक्त भारत अभियान के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है। केन्द्रीय मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि दोनों पहलों के संयुक्त प्रयासों, युवाओं की सामूहिक ऊर्जा और ‘स्वस्थ भारत, संपन्न भारत’ के दृष्टिकोण के माध्यम से, भारत तंबाकू नियंत्रण और मादक द्रव्यों के सेवन की रोकथाम के मामले में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनने की आकांक्षा रखता है।
इस अवसर पर बोलते हुए, पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने कहा कि भारत की लगभग 65 प्रतिशत आबादी युवा वर्ग की है जो तंबाकू के सेवन के प्रति संवेदनशील हैं। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार ने तंबाकू नियंत्रण पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के फ्रेमवर्क कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए हैं और तंबाकू के उपयोग को नियंत्रित करने तथा भारत के युवाओं के स्वास्थ्य एवं कल्याण की रक्षा हेतु इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध अधिनियम, 2019 जैसे सख्त तंबाकू नियंत्रण कानून बनाए हैं।
केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि वैश्विक तंबाकू सर्वेक्षण ने लोगों में तंबाकू के सेवन को कम करने के सरकार के प्रयासों को मान्यता दी है। उन्होंने कहा, “इसका उद्देश्य क्षमता निर्माण के प्रयासों और जन आंदोलन की भागीदारी के जरिए तंबाकू नियंत्रण से जुड़ी पहल को और मजबूत करना है।”
अमित यादव ने कहा कि दो साल पहले शुरू हुआ तंबाकू मुक्त युवा अभियान अन्य नशीले पदार्थों के सेवन को भी खत्म करने की दिशा में एक बुनियादी कदम है। उन्होंने कहा कि स्कूल और कॉलेज युवाओं के इन आदतों का शिकार बनने की दृष्टि से आमतौर पर प्रवेश बिंदु साबित होते हैं।
इस बात पर जोर देते हुए कि नशा किसी देश को बर्बाद करने का एक मूक हथियार है, उन्होंने कहा कि मादक द्रव्यों के सेवन को रोकने के प्रयास होने चाहिए ताकि भविष्य में नशे की लात की कोई गुंजाइश न रहे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन प्रयासों में सामुदायिक भागीदारी और युवाओं का जुड़ाव महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, “तंबाकू के हानिकारक प्रभावों के बारे में शिक्षकों और अभिभावकों को जागरूक करने के लिए स्कूलों और कॉलेजों को शामिल करना जरूरी है।”
उन्होंने बताया कि भारत सरकार के स्कूली शिक्षा विभागों को पाठ्यक्रम-आधारित कार्यक्रम बनाने और सुसंगत संदेश देने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि सरकार अपनी पहलों के बारे में मार्गदर्शन और जागरूकता पैदा करने हेतु निजी क्षेत्र और नागरिक समाज संगठनों को भी शामिल कर रही है।
यह 60-दिवसीय तंबाकू मुक्त युवा अभियान 3.0 छह उन्नत प्रमुख रणनीतियों को प्राथमिकता देता है: तंबाकू के खतरों के बारे में जन जागरूकता अभियान को तेज करना; स्कूलों और कॉलेजों को तंबाकू मुक्त क्षेत्र के रूप में बनाए रखने हेतु तंबाकू मुक्त शैक्षणिक संस्थानों (टीओएफईआई) के संशोधित दिशानिर्देशों के अनुपालन को मजबूत करना; तंबाकू नियंत्रण कानूनों के प्रवर्तन को मजबूत करना – सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (सीओटीपीए) 2003 और इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध अधिनियम (पीईसीए) 2019; तंबाकू मुक्त गांवों की पहल का विस्तार करना, समुदायों को सामूहिक रूप से तंबाकू के उपयोग को खत्म करने और स्वस्थ वातावरण बनाने के लिए सशक्त बनाना; तंबाकू निवारण के लिए रचनात्मक डिजिटल प्लेटफार्मों और क्षमता निर्माण के जरिए सोशल मीडिया आउटरीच को बढ़ाना।
टीएफवाईसी 3.0 प्रमुख मंत्रालयों – शिक्षा मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, सूचना और प्रसारण मंत्रालय, पंचायती राज मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय, जनजातीय कार्य मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, संचार मंत्रालय, गृह मंत्रालय, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, आदि के बीच मजबूत साझेदारी एवं समन्वय के जरिए ‘संपूर्ण सरकार’ के एक व्यापक दृष्टिकोण पर जोर देना जारी रखे हुए है और साथ ही विकास के भागीदारों के साथ सहयोग को भी बढ़ा रहा है।
इस कार्यक्रम का समापन केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा सभी हितधारकों से सोशल मीडिया चैनलों के साथ निरंतर जुड़ाव के जरिए इस अभियान में सक्रिय रूप से भाग लेने के आह्वान के साथ हुआ। हितधारकों को इस अभियान की विभिन्न गतिविधियों में व्यापक रूप से भाग लेने और अद्यतन प्रगति के बारे में जानकारी साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया गया ताकि संदेश का प्रसार हो और इसकी जानकारी देश भर के विभिन्न समुदायों तक पहुंचे।