बीसीसीआई यानी बोर्ड ऑफ़ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया के लिए फ़ैसले की घड़ी आखिर आ गई है. करीब डेढ़ साल से सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के बाद फ़ैसला सोमवार को आने की उम्मीद है. पूरे मामले की सुनवाई करते आए चीफ़ जस्टिस टीएस ठाकुर रिटायर होने से पहले इस पर फ़ैसला सुना सकते हैं. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था और अपने तेवर भी साफ़ कर दिए थे.
सुप्रीम कोर्ट बोर्ड के तमाम अधिकारियों को हटाने का निर्देश दे सकता है. जस्टिस लोढ़ा कमेटी की सिफ़ारिश पर पूर्व केंद्रीय गृह सचिव जीके पिल्लई को पर्यवेक्षक नियुक्त किया जा सकता है और लोढ़ा कमेटी की सारी सिफ़ारिशों का पालन करने का ऑर्डर भी जारी हो सकता है. बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर के लिए साल की शुरुआत से ही मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
पिछली सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें चेतावनी देते हुए कहा कि झुठी गवाही के लिए बोर्ड अध्यक्ष को सज़ा क्यों ना दी जाए. उन पर कोर्ट की अवमानना का केस चलाया जा सकता है अगर बिना शर्त माफ़ी ना मांगी तो उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है. अनुराग पर आरोप है कि उन्होंने कोर्ट से झूठ बोला और सुधार प्रक्रिया में बाधा पहुंचाने की कोशिश की. हालांकि अनुराग ने इन आरोपों से इनकार किया है.
वैसे ये नौबत इसलिए आई क्योंकि बोर्ड अपने रुख पर कायम रहा. बोर्ड के मुताबिक लोढ़ा कमेटी की ज़्यादा सिफारिशें मान ली गई हैं, लेकिन कुछ बातें व्यवहारिक नहीं है जिसको लेकर गतिरोध बना रहा. मसलन अधिकारियों की उम्र और कार्यकाल का मुद्दा, अधिकारियों के कूलिंग ऑफ़ पीरियड का मुद्दा और एक राज्य, एक वोट की सिफ़ारिश बोर्ड को मंज़ूर नहीं है.
हालांकि बोर्ड का कहना है कि उन्हें लोढ़ा कमेटी ने अपनी बात रखने का पूरा समय नहीं दिया लेकिन अब बातों का समय बीत गया है. संभव है कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से भारत में क्रिकेट की दशा और दिशा में बड़ा बदलाव आए !
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