बुधवार, अगस्त 24 2022/ 30 जनवरी 1930 को जन्मे बनर्जी की फुटबॉल यात्रा की शुरुआत कुछ स्थानीय क्लबों से हुई थी। उनके पिता शशांक शेखर बनर्जी सख्त अनुशासक थे और चाहते थे कि वह डॉक्टर बनें। बनर्जी ने 'मोहन बागान रत्न' से सम्मानित होने के बाद एक वेबसाइट को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि मेरे पिता बहुत सख्त थे।
उन्होंने कहा था कि वे जहां भी जाते तो मोहन बागान, ईस्ट बंगाल, मोहम्मडन स्पोर्टिंग और मैदान के कई अन्य क्लबों के बारे में बात करते हुए सुनते। कई बार उन्हें भगा दिया गया लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
समर बदरू बनर्जी ने बतौर कोच मोहन बागान को कई ट्रॉफी जिताई। भारतीय फुटबॉल टीम ने अब तक तीन बार ओलंपिक में भाग लिया है। इनमें 1956 का प्रदर्शन सबसे बेहतरीन रहा है। इस ओलंपिक में भारत को कांस्य पदक के मैच में बुल्गेरिया के खिलाफ 0-3 से हार का सामना करना पड़ा था।
इसे भारत में फुटबॉल का स्वर्णिम दौर माना जाता है। इस प्रतियोगिता के पहले मैच में भारत को वॉकओवर मिला था, जबकि दूसरे मैच में टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को 4-2 से हराया था। इस टीम में पीके बनर्जी, नेविल डेसूजा और जे किट्टू कृष्णास्वामी जैसे खिलाड़ी थे।
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