नई दिल्ली : शुक्रवार, मार्च 24, 2023/ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के लाभार्थियों को प्रति वर्ष 12 रिफिल तक 14.2 किलोग्राम के एक सिलेंडर पर 200 रुपये की सब्सिडी को मंजूरी दे दी है। पीएमयूवाई के 1 मार्च 2023 तक 9.59 करोड़ लाभार्थी हैं।

इस पर वित्त वर्ष 2022-23 के लिए कुल व्यय 6,100 करोड़ रुपये और 2023-24 के लिए 7,680 करोड़ रुपये होगा। सब्सिडी सीधे पात्र लाभार्थियों के बैंक खातों में जमा की जाती है। सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियां अर्थात् इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड ( आईओसीएल), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) 22 मई, 2022 से पहले ही यह सब्सिडी प्रदान कर रही हैं।

विभिन्न भू-राजनीतिक कारणों से एलपीजी की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई है। पीएमयूवाई लाभार्थियों को एलपीजी की ऊंची कीमतों से बचाना महत्वपूर्ण है।

पीएमयूवाई उपभोक्ताओं को नियत सहयोग उन्हें एलपीजी के लगातार उपयोग के लिए प्रोत्साहित करता है। पीएमयूवाई उपभोक्ताओं के बीच निरंतर एलपीजी अपनाने और उसका उपयोग सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है ताकि वे पूरी तरह से खाना पकाने के स्वच्छ ईंधन पर निर्भर हो सकें। पीएमयूवाई उपभोक्ताओं की औसत एलपीजी खपत 2019-20 में 3.01 रिफिल थी जो बढ़कर 2021-22 में 3.68 रिफिल हो गई। सभी पीएमयूवाई लाभार्थी नियत सब्सिडी के पात्र हैं।

ग्रामीण और वंचित गरीब परिवारों के खाना पकाने के लिए उपलब्‍ध तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) को स्वच्छ ईंधन बनाने के लिए, सरकार ने मई 2016 में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना शुरू की, ताकि गरीब परिवारों की वयस्क महिलाओं को नि:शुल्क एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध कराया जा सके।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 2023-24 सीजन के लिए कच्चे जूट के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को अपनी मंजूरी दे दी है। यह मंजूरी, कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों पर आधारित है।

2023-24 सीजन के लिए कच्चे जूट (टीडी-3, पहले के टीडी-5 ग्रेड के बराबर) का एमएसपी 5050 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। यह उत्पादन की अखिल भारतीय भारित औसत लागत पर 63.20 प्रतिशत की अतिरिक्त आय सुनिश्चित करेगा। 2023-24 सीज़न के लिए कच्चे जूट का घोषित एमएसपी, उत्पादन की अखिल भारतीय भारित औसत लागत के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर एमएसपी तय करने के सिद्धांत के अनुरूप है, जिसे सरकार द्वारा 2018-19 के बजट में घोषित किया गया था।

यह लाभ के रूप में न्यूनतम 50 प्रतिशत का आश्वासन देता है। यह जूट उत्पादकों को बेहतर पारिश्रमिक सुनिश्चित करने और गुणवत्ता वाले जूट फाइबर को प्रोत्साहित करने की दिशा में विभिन्न महत्वपूर्ण और प्रगतिशील कदमों में से एक है।

जूट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (जेसीआई) मूल्य समर्थन संचालन करने के लिए केंद्र सरकार की नोडल एजेंसी के रूप में काम करना जारी रखेगा और इस तरह के संचालन में होने वाली हानि, यदि कोई हो, तो केंद्र सरकार द्वारा इसकी पूर्ण प्रतिपूर्ति की जाएगी।


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