भिंड/    प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत सरकार गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लाभार्थियों को एलपीजी का कनेक्शन बांटती है. इस योजना का लाभ केवल महिलाएं उठा सकती हैं, इसका उद्देश्य महिलाओं को चूल्हे से निकलने वाले धुएं से होने वाली घातक बीमारियों से बचाना है. लेकिन भिंड ज़िले में इसी उज्ज्वला योजना के हितग्राही लगातार बढ़ रही गैस की क़ीमतों से परेशान हैं, नतीजा अब ये सिलेंडर कबाड़ में बिक रहे हैं.
कबाड़ में दिखे उज्ज्वला के सिलेंडर,
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना उज्जवला योजना कबाड़ योजना बनती जा रही है. इसकी ताज़ा तस्वीरें भिंड जिले में एक कबाड़ी की दुकान पर देखने को मिली. इन तस्वीरों में एक या दो नहीं दर्जनों सिलेंडर कबाड़ में पड़े हुए हैं. कई तो कटे हुए दिखाई दे रहे हैं, इन तस्वीरों ने भारत सरकार की मंशा और दावों की पोल खोल कर रख दी है.
रीफ़िल की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हितग्राही
यह कहना ग़लत नहीं होगा की जिले में उज्ज्वला गैस के सिलेंडर महज शोपीस बनकर रह गए हैं. गैस के दाम बढ़ने से 50 प्रतिशत हितग्राही ही गैस रिफिल कराने की हिम्मत जुटा पा रहे है. जिले में उज्ज्वला योजना के तहत 2 लाख 76 हजार गैस कनेक्शन लाभार्थियों को दिए गए है, लेकिन वह एक बार ले जाने के बाद पुनः रिफालिग की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं. कई ग़रीबों के चूल्हे तो घर में दबा कर रख दिए गए हैं .
लगातार बढ़ रहे गैस के दाम से बढ़ी परेशानी
लगातार बढ़ते गैस के दामों ने एक बार फिर गरीब तबके के लोग गोबर के कंडे और लकड़ी जलाकर चूल्हे पर बनाने को मजबूर हो रहे हैं. उज्ज्वला योजना की पड़ताल में सामने आया कि जरूरतमंदों को मुफ्त में मिले गैस चूल्हे और सिलिंडर अब घर पर महज शोपीस बनकर रह गए हैं. जिलेभर में लगभग दो लाख परिवारों को इस योजना का लाभ दिया गया है, लेकिन खुद एजेंसी संचालकों का मानना है कि सिलिंडर के दाम 925 से 1050 रुपये के आसपास पहुंचने से सालभर में 50 फीसदी लाभार्थी ही इस योजना के सिलिंडर रिफिल करबा रहे हैं.
मुफ़्त में सिलेंडर मिला, भरवाने के लिए नहीं पैसा
रसोई गैस के दामों में लगी आग का असर अब साफ दिखने लगा है. बढ़ते दामों ने जहां मध्यम वर्ग के परिवार के लोगों की हालत पतली करनी शुरू कर दी है. वहीं दूसरी ओर इसका सबसे ज्यादा असर मुफ्त में दिए गए रसोई गैस कनेक्शन धारकों पर दिखने लगा है. जिले में करीब एक लाख से ज्यादा गरीब वर्ग के लोग रसोई गैस नहीं भरवा पा रहे हैं. हितग्राहीयों ने बताया कि उन्हें योजना के अंतर्गत मुफ़्त सिलेंडर तो मिला लेकिन इतना पैसा नही है की उसे अब दोबारा भरवा सकें. कई हितग्राहियो ने साल भर से गैस सिलेंडर रीफ़िल नही कराया है, और वह दुबारा फिर से मिट्टी के चूल्हे या फिर लकड़ी जलाकर भोजन पकाने को मजबूर हो रहे हैं.
सिलेंडर नहीं भरवा पा रहे 50 फ़ीसदी हितग्राही
ज़िले भर में 2 लाख 76 हजार लोगों के पास गैस कनेक्शन हैं. जिसमें क़रीब 1.5 लाख कनेक्शन उज्ज्वला के तहत मिले हैं. प्रशासन का कहना है कि लगभग 77% लाभार्थियों को वो गैस दे चुके हैं. बाकी के लिये सर्वे जारी है. रसोई गैस एजेंसी संचालकों का कहना है कि उज्जवला योजना के तहत क़रीब 1.5 लाख रसोई गैस कनेक्शन धारकों में से 50 फीसदी लोग गैस सिलेंडर महंगा होने की वजह से सिलेंडर नहीं भरवा पा रहे हैं. निजी व्यवसायिक दुकानों पर भी घर से निकाल कर सिलेंडर बाहर दुकानों पर दिखाई देने लगे हैं, और प्रसाशन का ध्यान इसकी ओर न के बराबर है.
उपयोग करेंगे तो भरवाना तो पड़ेगा सिलेंडर
इस पूरे मामले में जब ज़िले के ज़िम्मेदार अधिकारियों से बात की गयी तो जहां भिंड के खाद्य आपूर्ति अधिकारी अब भी कह रहे हैं कि ज़िले में 30 फ़ीसदी गैस कनेक्शन प्रधानमंत्री योजना के तहत अभी दिए जाने बाक़ी है. लगातार विभाग लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रहा है साथ ही उनका कहना था कि सरकार इस बार उज्जवला योजना 2.0 में गैस चूल्हा सिलेंडर के साथ रीफिल भी मुफ़्त मुहैया करा रही है. लेकिन अगर लोगों को गैस का इस्तेमाल करना है तो आगे रिफिल ख़ुद भरवाना ही पड़ेगा. वहीं उन्होंने कबाड़ में वाले सिलेंडरों को लेकर कहा है कि इस मामले पर वे जाँच कराएंगे.
प्रशासन ने भी माना सिलेंडर उज्ज्वल योजना के है
वहीं पूरे मामले पर अपर कलेक्टर प्रवीण फ़ुलपगारे का कहना हैं कि इस मामले की जानकारी लगी है. प्रशासन अपने स्तर पर मामले की जानकारी जुटा रहा है. इस मामले में जाँच की जा रही है जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके हिसाब से कार्रवाई की जाएगी. इसके साथ ही वह यह भी मान रहे हैं कि यह सिलेंडर उज्जवला योजना के तहत दिए गए हैं. ऐसे में इन्हें कबाड़ में देना ग़लत है. क्योंकि यह सरकारी सम्पत्ति है इसको नष्ट करने का भी प्रावधान सरकार के नियमों के अनुसार होता है, ऐसे में इस मामले में जो भी दोषी होंगे उन पर कार्रवाई की जाएगी .


इस खबर को शेयर करें


Comments