नई दिल्ली : रविवार, अप्रैल 14, 2024/ भारत ने क्वांटम विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनने की आकांक्षा के साथ 14 अप्रैल 2024 को विश्व क्वांटम दिवस 2024 मनाया। परमाणुओं और उप-परमाणु कणों के अध्ययन से संबंधित क्वांटम मैकेनिक्स अब इस हद तक आगे बढ़ चुकी है कि यह अब इंजीनियरिंग क्षेत्र में प्रवेश कर गई है और नवीन और विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोगों की ओर अग्रसर है। दुनिया भर के शोधकर्ताओं ने ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम में उपयोग की जाने वाली एलईडी, लेजर और बेहद सटीक परमाणु घड़ियों (अल्ट्रा प्रेसाइस एटॉमिक क्लॉक्स) जैसी प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए इसके सिद्धांतों का उपयोग किया है। क्वांटम कंप्यूटिंग, क्वांटम कम्युनिकेशंस और क्वांटम सेंसिंग अनुप्रयोगों के लिए क्वांटम सिस्टम को नियंत्रित करने और बदलाव करने पर अब काफी ध्यान दिया जा रहा है। दुनिया भर के लोगों के बीच क्वांटम विज्ञान और प्रौद्योगिकी के बारे में जागरूकता फैलाने और समझ को बढ़ाने के लिए, हर साल 14 अप्रैल को विश्व क्वांटम दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसकी शुरुआत वर्ष 2022 में एक अंतरराष्ट्रीय पहल के रूप में की गई थी।

भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय कुमार सूद ने क्वांटम प्रौद्योगिकी के वैश्विक प्रभाव पर जोर देते हुए कहा: “क्वांटम प्रौद्योगिकी नई प्रौद्योगिकी क्षेत्र है, जिस तक दशकों के मौलिक अनुसंधान के बाद पहुंचा गया है। इससे सुपरपोजिशन, जटिलता (उलझाव) और माप के सिद्धांतों का फायदा उठाने की हमारी क्षमता विकसित हुई है। यह दवाइयों से लेकर उन्नत मैटेरियल्स की खोज और सुरक्षित संचार से लेकर बेहद संवेदनशील सेंसर तक के क्षेत्रों में वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए अपार संभावनाओं वाले अनुप्रयोगों को आगे बढ़ाने का भरोसा दिलाती है।”

प्रोफेसर सूद ने क्वांटम प्रौद्योगिकी की वैश्विक पहुंच और क्वांटम कंप्यूटर द्वारा संभावित खतरों को खत्म करने की आवश्यकता पर चर्चा करते हुए कहा, “वैज्ञानिक रूप से उन्नत लगभग सभी देशों में सरकारें और निजी कंपनियां राष्ट्रीय समृद्धि और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण मानते हुए कंप्यूटिंग, संचार और सेंसिंग क्षमताओं को बढ़ाने के उद्देश्य से इसकी विशाल क्षमता का दोहन करने के लिए इसके विकास और दोहन में भारी निवेश कर रहे हैं। दुनिया को क्वांटम-सुरक्षित बनाने के लिए पारंपरिक कंप्यूटिंग सिस्टम द्वारा उपयोग किए जाने वाले एन्क्रिप्शन एल्गोरिदम का उल्लंघन करने वाले क्वांटम कंप्यूटरों से पैदा होने वाले खतरे का पीक्यूसी और क्यूकेडी द्वारा समाधान निकाले जाने की आवश्यकता है। नए अनुप्रयोगों के विकसित होने के साथ-साथ क्वांटम प्रौद्योगिकी का नैतिक रूप से विकास और लागू किया करना भी महत्वपूर्ण हो जाएगा, और इसके लिए, वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं, उद्योगपतियों, नागरिक संगठनों और जनता जैसे हितधारकों की एक विस्तृत श्रृंखला के साथ जुड़ाव जारी रहना चाहिए।”

वैश्विक मंच पर क्वांटम प्रौद्योगिकी में उत्कृष्टता हासिल करने की भारत की योजनाओं को लेकर, प्रोफेसर सूद ने आशावाद और भरोसा व्यक्त किया। साथ ही उन्होंने बताया कि पिछली अनुसंधान एवं विकास पहलों के माध्यम से तैयार और केंद्रित एवं व्यवस्थित तरीके से मजबूत बनाई गई राष्ट्रीय क्षमताओं के दोहन के द्वारा भारत का राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (एनक्यूएम) भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देगा।

प्रधानमंत्री विज्ञान प्रौद्योगिकी सलाहकार परिषद (पीएम-एसटीआईएसी) द्वारा परिकल्पित राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (एनक्यूएम) को आठ वर्षों के लिए 6003.65 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ 19 अप्रैल, 2023 को कैबिनेट की मंजूरी मिली थी। मिशन का लक्ष्य वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास को शुरू करना, बढ़ावा देना और क्वांटम टेक्नोलॉजी (क्यूटी) में एक जीवंत और नवीन पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना है। इससे क्यूटी आधारित आर्थिक विकास में तेजी आएगी, देश में इसके पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा मिलेगा और साथ ही, भारत क्यूटी और अनुप्रयोगों के विकास में अग्रणी देशों में से एक बन जाएगा।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा एनक्यूएम एक हब-स्पोक-स्पाइक मॉडल के माध्यम से सुव्यवस्थित और एक दूसरे से जुड़े प्रयासों की परिकल्पना करता है, जिसमें सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीओई), कंसोर्टिया परियोजनाएं, व्यक्तिगत वैज्ञानिक-केंद्रित परियोजनाएं आदि शामिल हैं। मिशन को डॉ. अजय चौधरी की अध्यक्षता वाले मिशन गवर्निंग बोर्ड (एमजीबी) द्वारा निर्देशित किया जाता है और भारत सरकार के पीएसए की अध्यक्षता में मिशन टेक्नोलॉजी रिसर्च काउंसिल (एमटीआरसी) द्वारा सहायता प्रदान की जाती है।

मिशन का लक्ष्य (i) क्वांटम कंप्यूटिंग, (ii) क्वांटम कम्युनिकेशन, (iii) क्वांटम सेंसिंग एंड मेट्रोलॉजी, और (iv) क्वांटम मैटेरियल्स एंड डिवाइसेस जैसे डोमेन में चार थीमैटिक हब (टी-हब) स्थापित करना है। शैक्षणिक संस्थानों और आरएंडडी प्रयोगशालाओं से योगदान आमंत्रित करते हुए 20 जनवरी, 2024 को टी-हब स्थापित करने के लिए पूर्व-प्रस्ताव (प्री-प्रपोजल) मांगे गए थे।

भारत के क्वांटम मिशन को आगे ले जाने में डीएसटी की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बताते हुए, डीएसटी में सचिव प्रोफेसर अभय करंदीकर ने कहा, “भारत क्वांटम प्रौद्योगिकियों में छलांग लगाने के लिए ठोस प्रयास करने वाले कुछ देशों में से एक है और इस क्षेत्र में अग्रणी बनने के लिए आशावादी होने की एक वजह यह भी है, क्योंकि यह क्षेत्र अभी भी विकसित हो रहा है। डीएसटी ने क्वांटम प्रौद्योगिकियों में विश्व स्तरीय अनुसंधान एवं विकास की क्षमता तैयार करने की चुनौती स्वीकार की है। क्वांटम कंप्यूटिंग, क्वांटम कम्युनिकेशन, क्वांटम सेंसिंग एंड मेट्रोलॉजी और क्वांटम मैटेरियल्स एंड डिवाइसेस में चार हब की स्थापना इसके प्रयासों के केंद्र में है।

प्रोफेसर करंदीकर ने यह भी कहा कि एनक्यूएम स्टार्टअप और उद्योग के सहयोग से अकादमिक और आरएंडडी प्रयोगशालाओं का एक संघ (कंसोर्टियम) होगा। इससे देश भर में संबंधित क्षेत्रों की प्रतिभाओं को प्रौद्योगिकी के विकास और तमाम क्षेत्रों में इसे लागू करने के लिए एक साथ काम करने में मदद मिलेगी।

एमजीबी के चेयरमैन और एचसीएल टेक्नोलॉजीज के संस्थापक डॉ. अजय चौधरी ने भारत के लिए डिजिटल अर्थव्यवस्था और भू-राजनीति में क्वांटम प्रौद्योगिकी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा: “इस विश्व क्वांटम दिवस पर, राष्ट्रीय क्वांटम मिशन शुरू करने और क्वांटम क्रांति द्वारा प्रस्तुत अवसरों का लाभ उठाने का देश का फैसला असीमित आशाओं और खुशी का स्रोत है। क्वांटम कंप्यूटिंग से दुनिया भर की डिजिटल अर्थव्यवस्थाओं की आर्थिक क्षमताओं में संभावित बढ़ोतरी और इसके प्रभाव भू-राजनीतिक रणनीतियों के लिहाज से बेहद अहम हैं। राष्ट्रीय क्वांटम मिशन में ₹6,000 करोड़ का बड़ा वित्तीय निवेश निस्संदेह कई क्षेत्रों में अनुसंधान और नवाचार की प्रगति को सुविधाजनक बनाएगा, जिससे पूरे देश में वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और स्टार्टअप को लाभ होगा।”

डॉ. चौधरी ने बैंकों और इलेक्ट्रिकल ग्रिड जैसे महत्वपूर्ण संस्थानों की सुरक्षा के एक अनिवार्य घटक के रूप में क्वांटम क्रिप्टोग्राफी और एन्क्रिप्शन के महत्व पर भी जोर दिया, जिन्हें सुरक्षा में सुधार के लिए क्वांटम क्रिप्टोग्राफी को लागू करने की आवश्यकता होगी। उन्होंने अपना भरोसा दोहराते हुए कहा कि देश एनक्यूएम द्वारा क्यूटी के क्षेत्र में पूर्व निर्धारित मानकों को प्राप्त करने का प्रयास करेगा।

विश्व क्वांटम दिवस नेटवर्क पर भारत की प्रतिनिधि और क्वांटम इन्फोर्मेशन एंड कंप्यूटिंग लैब, रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट में प्रोफेसर उर्बसी सिन्हा एनक्यूएम पर अपनी टिप्पणी साझा करते हुए कहा: “विश्व क्वांटम दिवस नेटवर्क के लिए एक देश के प्रतिनिधि के रूप में, मैं क्वांटम प्रौद्योगिकियों के विकास से बहुत उत्साहित हूं। देश वर्तमान में राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के माध्यम से मिले प्रोत्साहन को देख रहा है और मिशन के एक भाग के तहत उपरोक्त सभी प्रयासों में प्रमुख योगदान देने के लिए तत्पर है।

क्वांटम कम्युनिकेशंस पर अनुसंधान एवं विकास के महत्व पर जोर देते हुए प्रोफेसर सिन्हा ने कहा, “भारत ने सुरक्षित क्वांटम संचार के क्षेत्र में, फाइबर के साथ-साथ मुक्त अंतरिक्ष क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण प्रगति की है और पिछले कुछ वर्षों में कई जमीन आधारित उपलब्धियां हासिल की हैं। राष्ट्रीय क्वांटम मिशन और उससे आगे के माध्यम से, हम लंबी दूरी की क्वांटम संचार में और छलांग लगाने की उम्मीद कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य उपग्रह को एक विश्वसनीय नोड के साथ-साथ फाइबर-आधारित क्यूकेडी नेटवर्क के रूप में उपयोग करके एक देशव्यापी मुक्त अंतरिक्ष क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन (क्यूकेडी) नेटवर्क तैयार करना है। हम जटिल वितरण-आधारित क्वांटम संचार के लिए मल्टी-नोड क्वांटम रिपीटर नेटवर्क की दिशा में भी प्रगति करेंगे। समय के साथ, भारत वैश्विक क्वांटम इंटरनेट की खोज में अग्रणी खिलाड़ी बनने की परिकल्पना करता है, जिसमें क्वांटम संचार लिंक के माध्यम से भारत को अन्य देशों से जोड़ना शामिल होगा।”

विश्व क्वांटम दिवस के अवसर पर शुभकामनाएं देते हुए, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के प्रोफेसर आर विजयराघवन ने कहा, “राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के शुभारम्भ के साथ, भारत न केवल क्वांटम सॉफ्टवेयर विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, बल्कि व्यावहारिक अनुप्रयोगों के लिए क्वांटम कम्प्यूटिंग हार्डवेयर भी बना रहा है। विश्व क्वांटम दिवस की शुभकामनाएं!”

 

 


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