भगवान जगन्नाथ 15 दिनों के एकांतवास के बाद 6 जुलाई को आयेंगे बाहर, 7 जुलाई को प्रभु जगन्नाथ की रथ यात्रा

पुरी : शनिवार, जुलाई 6, 2024/ ओडिशा में, तीर्थनगरी पुरी में भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान सुदर्शन की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा की सभी तैयारियां अंतिम चरण में पहुंच गई हैं। इस रविवार से शुरू होने वाली वार्षिक रथयात्रा के सुचारू संचालन के लिए व्यापक इंतजाम किये गये हैं। रविवार को ‘नबजाउबाना दर्शन’, ‘नेत्र उत्सव’ और ‘गुंडिचा यात्रा’ जैसे प्रमुख अनुष्ठानों को देखते हुए, श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने अनुष्ठानों और उत्सव के सफल समापन के लिए सामूहिक सहयोग का आह्वान किया है।

भगवान जगन्नाथ भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ 15 दिनों के एकांतवास के बाद आज शनिवार को बाहर आयेंगे। इतने दिनों तक भगवान की प्रतिमा का अलौकिक शृंगार किया गया। शनिवार को वैदिक मंत्रोच्चार के साथ नेत्रदान होगा। फिर भगवान भक्तों को दर्शन देंगे। भगवान के दर्शन के लिए दोपहर दो बजे से भक्तों की भीड़ जुटने लगेगी। शाम 4 बजे नेत्रदान अनुष्ठान शुरू होगा। फिर 108 दीपों से मंगलआरती, जगन्नाथ अष्टकम, गीता के द्वादश अध्याय का पाठ और भगवान की स्तुति की जायेगी। भगवान जगन्नाथ को मालपुआ सहित अन्य मिष्ठानों का भोग लगाया जायेगा। शनिवार को भगवान रात नौ बजे तक दर्शन मंडप में दर्शन देंगे और यहीं रात्रि विश्राम करेंगे।

इसके बाद 7 जुलाई को प्रभु जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जायेगी। सुबह 4 बजे से ही भक्त पूजा करने के लिए कतारबद्ध होने लगेंगे। महिला और पुरुष भक्तों के लिए अलग-अलग कतार बनायी जायेगी। दोपहर 2 बजे सभी विग्रहों को बारी-बारी से रथारुढ़ किया जायेगा। रथ के ऊपर सभी विग्रहों का शृंगार होगा। विष्णु सहस्त्रनाम अर्चना होगी। इस अनुष्ठान के बाद विष्णु सहस्त्रनाम अर्चना में शामिल भक्त रथ पर सवार होकर भगवान को पुष्प अर्पित करेंगे। मंगल आरती होगी। रथ में रस्सा बंधन होगा।

रविवार शाम पांच बजे रथयात्रा शुरू होगी। भक्त रस्सी के सहारे रथ को खींच कर मौसीबाड़ी लायेंगे, जहां महिलाएं भगवान की पूजा करेंगी। शाम सात बजे तक सभी विग्रहों को मौसीबाड़ी में रखा जायेगा। फिर आरती और भोग निवेदन होगा। रात आठ बजे भगवान का पट बंद कर दिया जायेगा, जो अगले दिन सुबह पांच बजे खुलेगा।

आठ जुलाई को सुबह छह बजे मंगल आरती व बाल भोग लगाया जायेगा। दोपहर 12 बजे अन्न भोग लगाया जायेगा और 12:10 बजे पट बंद हो जायेगा। दोपहर तीन बजे मंदिर का पट पुन: खुलेगा, जो रात आठ बजे तक खुला रहेगा। शाम 7:30 बजे आरती व भोग निवेदन होगा। रात आठ बजे पट बंद हो जायेगा। यह क्रम 16 जुलाई तक चलेगा।

16 जुलाई को रात में भगवान को गुंडिचा भोग लगाया जायेगा। खीर, खिचड़ी और सब्जी का भोग लगेगा। पूरे साल में सिर्फ एक ही दिन रात्रि में गुंडिचा भोग लगता है। 17 जुलाई को घुरती रथ यात्रा है।

 

 

 


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