मौसम विभाग ने जारी की एडवायजरी

भोपाल : बुधवार, अप्रैल 3, 2024/ भारतीय मौसम विभाग ने चल रहे मौसमी दृष्टिकोण को देखते हुए प्रदेश सहित समस्त मध्य भारत में अप्रैल-मई-2024 का तापमान औसत तापमान से अधिक होने की संभावना व्यक्त की है। इसके कारण प्रदेश के अधिकांश भागों में लू (तापघात) की स्थिति निर्मित हो सकती है। मौसम विभाग ने लू के प्रभाव, लक्षण और प्राथमिक उपचार की जानकारी दी है। गृह विभाग के मध्यप्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने इस संबंध में प्रदेश स्तर पर विभिन्न विभागों और जिलों को आवश्यक कार्रवाई के लिये निर्देश जारी किये है।

सूर्य दाह - त्वचा पर लाल चकता, सूजन, फफोले, बुखार, सिरदर्द आदि, प्रभावित व्यक्ति को बार-बार नहलाए। यदि फफोले निकल आएं हों, तो स्टरलाइज/ड्रेसिंग करें और चिकित्सक का परामर्श लें।

ताप के कारण शारीरिक ऐठन - पैरों, पेट की मांसपेशियों अथवा शरीर के बाहरी भागों में तकलीफ, शरीर में ऐंठन और अत्यधिक पसीना आना, प्रभावित को छायादार स्थल पर तत्काल ले जाएं। ऐठन वाले शरीर के भाग को जोर से दबाए तथा धीरे-धीरे सहलाएं। प्रभावित को शीतल जल, छाछ अथवा पना पिलाएं। यदि उल्टी आ रही हो, तो शीतल पेय पिलाना बंद कर दें तथा तत्काल नजदीकी प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र पर ले जाएं।


अत्यधिक थकावट एवं शारीरिक खिचाव - अत्यधिक पसीना आना, कमजोरी महसूस होना, शरीर गीला और ठंडा होना तथा पीला पड़ जाना, सिर दर्द, नब्ज कमजोर पड़ जाना, मूर्छित हो जाना। प्रभावित को छायादार स्थल पर लिटा कर शरीर पर ठंडे एवं गीले कपडे से स्पंजिंग करें। संभव हो तो उन्हें वातानुकूलित कमरे में ले जाएं। प्रभावित को शीतल जल, छाछ अथवा पना पिलाएं। यदि उबकाई आ रही हो, तो शीतल पेय पिलाना बंद कर दें तथा प्रभावित व्यक्ति को तत्काल नजदीकी प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र पर ले जाएं।

ताप-दाह - अत्यधिक बुखार, अत्यधिक गर्म एवं सूखी त्वचा, तेज नब्ज और बेहोशी हो सकती है। यह अत्यंत चिंताजनक एवं चिकित्सा की दृष्टि से आपात स्थिति है। तत्काल 108 चिकित्सा वाहन को बुलाएँ और प्रभावित को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराएँ। एम्बूलेंस आने तक प्रभावित व्यक्ति को वातानुकूलित स्थान पर ले जाएँ। कपड़ों को ढीला कर आरामदेह स्थिति में लिटाएँ। प्रभावित व्यक्ति के शरीर पर ठंडे एवं गीले कपड़े से स्पंजिंग करें। किसी भी प्रकार का पेय पदार्थ पीने को नहीं दें। आवश्यकतानुसार सीपीआर शुरू करें।

मध्यप्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने लू से जन-सामान्य के बचाव के लिये समस्त जिला प्राधिकरणों तथा लू प्रबंधन से संबंधित समस्त विभागों द्वारा प्रदेश में संभावित लू के प्रकोप को गंभीरता से लेते हुए इससे होने वाली क्षति को कम करने के लिये विभागीय एवं जिला स्तर पर सभी आवश्यक कदम उठाए जाने के निर्देश दिये हैं।

साथ ही सलाह दी गई है कि :- पानी, छांछ, ओ.आर.एस. का घोल या घर में बने पेय जैसे लस्सी, नीबू पानी, आम का पना इत्यादि का सेवन कर तरो-ताजा रहें। यथा संभव दोपहर 12 से दोपहर 3 बजे के बीच धूप में बाहर निकलने से बचें। धूप में निकलते समय अपना सिर ढक कर रखें। कपड़े, टोपी अथवा छतरी का उपयोग करें। धूप में निकलने के पहले तरल पदार्थ का सेवन करें। पानी हमेशा साथ रखें। शरीर में पानी की कमी न होने दें। सूती, ढीले एवं आरामदायक कपड़े पहनें। सिंथेटिक एवं गहरे रंग के वस्त्र पहनने से बचें। जानवरों को छाया में रखें और उन्हें पर्याप्त मात्रा में पीने का पानी दें। अत्यधिक गर्मी होने की स्थिति में ठंडे पानी से शरीर को पोछे या कई बार स्नान करें। धूप तथा गर्म हवाओं के संपर्क के तुरंत बाद स्नान न करें। गरिष्ठ, वसायुक्त, ज्यादा प्रोटीन वाले भोजन तथा अल्कोहल, चाय, काफी जैसे पेय पदार्थ का उपयोग कम से कम करें।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के संशोधित दिशा-निर्देशों के अनुसार स्थानीय जिला “लू’’ से बचाव के लिये कार्य-योजना तैयार करने के निर्देश दिये गये है। निर्देशित किया गया है कि प्रत्येक स्तर (जिला, तहसील, ब्लॉक, विभाग आदि) पर लू प्रबंधन के लिये नोडल अधिकारी को नामांकित किया जाये। भारतीय मौसम विज्ञान द्वारा प्रतिदिन जारी तू चेतावनी को जिला कमांड और नियंत्रण केंद्र (District Command, Control and Coordination Centre) के माध्यम से जन-सामान्य तथा संबंधित विभागों तक पहुंचाने की आवश्यक व्यवस्था की जाये।

स्थानीय स्तर पर "लू से बचाव" से संबंधित जन-जागृति कार्यक्रमों का आयोजन किया जाये। लू संबंधित बीमारियों एवं खतरों से जन-सामान्य के बचाव के लिये स्थानीय प्रशासन द्वारा व्यवस्था की जाये। इसके साथ ही किये जा रहे कार्यों के संबंध में नियमित प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया जाये। लू से बचाव के लिये अपनाई जाने वाली सावधानियों से संबंधित सुझाव का प्रचार-प्रसार होर्डिंग, प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया, स्थानीय केबल टीवी नेटवर्क, एफएम और सामुदायिक रेडियो से किए जाने की व्यवस्था की जाये। इस कार्य में स्थानीय गैर-सरकारी संगठनों, सामुदायिक समूहों और समाज सेवियों की सहायता ली जा सकती है।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग तथा मौसम केन्द्र भोपाल द्वारा प्रतिदिन जारी की जाने वाली लू चेतावनी, लू की अवधि, अधिकतम तापमान स्थानवार मौसमी रिपोर्ट आदि को संबंधित विभागों तथा जिलों तक (प्रिन्ट, इलेक्ट्रॉनिक, सोशल मीडिया) द्वारा प्रसारित करने की व्यवस्था करने के निर्देश दिये गये है।

सार्वजनिक स्थलों जैसे बाजारों, प्रमुख शासकीय कार्यालय, जहां अधिक संख्या में जन-सामान्य का आना होता है, उन्हें चिन्हित कर वहां लू से बचाव के लिये पर्याप्त छायादार स्थल (शेड) की व्यवस्था करने तथा आवश्यकतानुसार इन स्थलों को शीतल रखने की व्यवस्था करने का निर्देश नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग को दिये गये है। इन चिन्हित स्थलों पर लू से बचाव के प्राथमिक उपचार के लिये फ़र्स्ट ऐड बॉक्स रख कर आपात स्थिति में इसके उपयोग से संबंधित आवश्यक निर्देश लिखे जाएँ। स्थानीय स्वयंसेवी संगठनों से विचार विमर्श कर आवश्यकतानुसार इन स्थलों पर वॉलिंटियर की तैनाती भी की जा सकती है, जो आपात स्थिति में प्राथमिक उपचार करने में सक्षम हो।

विभाग को कहा गया है कि चिन्हित स्थलों पर शीतल जल की पर्याप्त व्यवस्था तथा पेय जल-स्रोत में पीने के लिये पर्याप्त जल की उपलब्धता सुनिश्चित की जाये। इस कार्य की निगरानी के लिये नगर निगम/नगरपालिका/नगर पंचायत के कर्मियों की क्षेत्रवार जिम्मेदारी निर्धारित की जाये। चिन्हित स्थलों पर जन-सामान्य के बैठने तथा लू से प्रभावित लोगों के आराम करने की व्यवस्था की जाये। इन चिन्हित स्थलों पर "लू से बचाव" से संबंधित आवश्यक निर्देश/सुझाव के बैनर लगाए जाएँ। सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जाये। शासकीय और सार्वजनिक भवनों में कूल रूफ तकनीक को बढ़ावा दिया जाये।

स्कूल तथा शैक्षणिक संस्थाओं का कार्य समय, भारतीय मौसम विज्ञान द्वारा लू से संबंधित दी गई चेतावनी अनुसार आवश्यकतानुसार विधिवत परिवर्तन करने के लिये आवश्यक आदेश जारी करने के निर्देश स्कूल शिक्षा विभाग को दिये गये है। शैक्षणिक संस्थाओं के क्लास रूम को शीतल रखने की यथोचित व्यवस्था की जाये। शैक्षणिक संस्थाओं में छायादार स्थानों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाये। लू से प्रभावित होने पर प्राथमिक उपचार के लिये प्राथमिक उपचार बॉक्स की पर्याप्त संख्या तथा विद्यालय में इसकी उचित स्थान पर उपलब्धता सुनिश्चित की जाये।

विभाग को निर्देशित किया गया है कि शैक्षणिक संस्थाओं में शीतल पेय जल की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता सुनिश्चित की जाये। विद्यालय के पेय जल स्रोत के आसपास सफाई एवं स्वछता सुनिश्चित की जाये। अस्पतालों/आपातकालीन सेवा प्रदान करने वाले संस्थाओं और विभागों के संपर्क नम्बर का विवरण विद्यालय में रखने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाये। गंभीर रूप से लू से प्रभावित होने वाले विद्यार्थियों को अस्पताल पहुंचाने के लिये वाहन की व्यवस्था तथा इस कार्य के लिये विद्यालय के जिम्मेदार शिक्षक का नामांकन किया जाये। शैक्षणिक संस्थाओं में "लू से बचाव" से संबंधित विद्यार्थियों के लिये आवश्यक निर्देश/सुझाव के बैनर लगाए जायें। लू प्रबंधन के संबंध में शिक्षकगण विद्यार्थियों को कक्षाओं में अवगत करायें।

प्रत्येक जिले में स्थित सभी शासकीय अस्पतालों में लू प्रभावितों के उपचार के लिये विशिष्ट कार्य-योजना बनाने के निर्देश दिये गये है। निर्देशित किया गया है कि लू से बचाव के लिये जन-सामान्य द्वारा अपनाए जाने वाले उपाय से संबंधित सुझाव, जिले के सभी अस्पतालों के बाहर प्रदर्शित किये जायें। लू ग्रसित रोगियों की चिकित्सा के लिये आवश्यक दवाइयाँ, भंडार की उपलब्धता, सभी शासकीय चिकित्सालयों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में डिपो होल्डर आशा कार्यकर्ता के पास सुनिश्चित की जाये। विशेषकर ओआरएस घोल, लू से उपचार हेतु अन्य दवाइयाँ आदि का पर्याप्त भंडारण रखने के निर्देश दिए जायें। लू ग्रसित रोगियों की संख्या बढ़ने की स्थिति में अतिरिक्त अमले की व्यवस्था सुनिश्चित की जाये। ग्रसित रोगियों की चिकित्सा के लिये जिला चिकित्सालय तथा सिविल चिकित्सालय में अलग चिकित्सा वार्ड की व्यवस्था की जाये।

इसके साथ ही बहुद्देशीय कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता तथा आशा पर्यवेक्षकों को स्थानीय स्तर पर लू से ग्रसित रोगियों की जानकारी प्राप्त करने, उनके समुचित इलाज को सुनिश्चित करने तथा इसकी जानकारी खंड चिकित्सा अधिकारी को प्रदान करने के निर्देश दिये जायें। सार्वजनिक स्थलों पर एम्बुलेंस-108 को विशेषकर दोपहर में तैयारी की स्थिति में रखा जाये। लू प्रभावितों के उपचार के लिये रैपिड रिस्पांस टीम का गठन किया जाये। कमजोर समूह- बच्चों, दिव्यांगों, महिलाओं और वृद्धों की विशेष देखभाल के लिये व्यवस्था की जाये। लू से संबंधित मामलों और मौतों की दैनिक रिपोर्ट तैयार की जाये और इसकी रिपोर्ट राजस्व विभाग को भी दें।

राज्य स्तर से जारी निर्देशों में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को पंचायत भवनों में लू से बचाव के उपायों से संबंधित प्रचार-प्रसार करने को कहा गया है। निर्देशित किया गया है कि पंचायत भवनों में लू से बचाव के उपायों का प्रचार-प्रसार किया जाये। पंचायत भवन में प्राथमिक उपचार बॉक्स रखा जाये और इसकी देखभाल सुनिश्चित की जाये। मनरेगा तथा अन्य विकास योजनाओं के श्रमिकों का कार्य समय आवश्यकतानुसार एवं सुविधानुसार परिवर्तित किया जाये। कार्य-स्थल पर छाया एवं शीतल जल की व्यवस्था सुनिश्चित हों। श्रमिकों को लू से बचाव संबंधी आवश्यक जानकारी दी जाये।

औद्योगिक और अन्य क्षेत्रों के कामगारों को लू से बचाव संबंधी आवश्यक जानकारी दी जाये। इन क्षेत्रों के श्रमिकों का कार्य समय आवश्यकतानुसार एवं सुविधानुसार परिवर्तित किया जाये। खेतों, बाजारों, उद्योगो, भवन निर्माण आदि में कार्यरत श्रमिकों के कार्य स्थल पर शीतल जल एवं आपात स्थिति के लिये पर्याप्त शेड की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निेर्देश श्रम विभाग को दिये है।


लोक निर्माण विभाग को शासकीय भवनों, अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थाओ के भवनों में कूल रूफ तकनीक को बढ़ावा देने के निर्देश दिये है।

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को ग्रामीण क्षेत्र में पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित की जाये। नलकूपों, तालाबों के यांत्रिक और विद्युत फाल्ट की मरम्मत प्राथमिकता के आधार पर निर्देश दिये है।

सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण विभाग को ऐसे स्थलों को चिन्हित करने के निर्देश दिये है। साथ ही कहा गया है कि जहाँ भिक्षुक, शारीरिक रूप से कमजोर और निःशक्तजन अधिक संख्या में रहते हों, उन जगहों पर शीतल जल तथा छाया की व्यवस्था की जाये। लू से प्रभावित होने पर तत्काल चिकित्सालय पहुँचाने की व्यवस्था हो।

वन विभाग को सार्वजनिक स्थलों में पर्याप्त वृक्षारोपण सुनिश्चित करने के निर्देश दिये है। साथ ही कहा गया है कि जंगली पशुओं और पक्षियों के लिये जंगल में पर्याप्त जल की व्यवस्था हो। वन-अग्नि को रोकने के लिये लगातार निगरानी सुनिश्चित की जाये। आग लगने की व्यापक संभावना वाले क्षेत्रों में फायर-लाइन और जल-संचयन संरचनाओं का निर्माण तथा वन अग्नि को रोकने के लिये अन्य आवश्यक उपाय किए जायें।

पर्यटन विभाग को प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में IMD द्वारा जारी लू चेतावनी को प्रदर्शित करने की व्यवस्था करने के निर्देश दिये है। साथ ही कहा गया है कि पर्यटन स्थलों में पर्याप्त छाया तथा शीतल जल की व्यवस्था हो।

परिवहन विभाग को बस स्टैंड, टैक्सी स्टैंड आदि सार्वजनिक वाहन स्थलों पर फर्स्ट ऐड बॉक्स की व्यवस्था, लू प्रभावितों के उपचार की व्यवस्था, पर्याप्त छाया की व्यवस्था के साथ शीतल जल की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिये है। साथ ही कहा गया है कि जिला प्रशासन से विचार-विमर्श के बाद अधिकतम लू के दौरान पब्लिक ट्रांसपोर्ट के समय को परिवर्तित करने के लिये विचार किया जाये।

जोनल एवं डिवीजनल रेलवे भोपाल/जबलपुर को रेलवे स्टेशनों और यात्री प्रतीक्षालयों में शीतल शेड और पेयजल की व्यवस्था करने के निर्देश दिये है। साथ ही कहा गया है कि लू ग्रसित यात्रियों के उपचार की व्यवस्था की जावे।

पशु-पालन विभाग को पशुओं को लू से बचाव के लिये विभागीय योजना और जन-जागृति कार्यक्रमों का आयोजन कर पशुपालकों को जानकारी देने के निर्देश दिये है। साथ ही कहा गया है कि पशु चिकित्सा से संबंधित दवाओं और उपकरण की स्थिति का पर्याप्त भंडारण किया जाये। लू से बचाव के लिए पशु-शेड का निर्माण किया जाये। इसके साथ ही पशुओं के लिए पानी की पर्याप्त व्यवस्था हो।

मध्यप्रदेश पुलिसको ट्रैफिक पुलिस के लिये शेड एवं शीतल जल की व्यवस्था करने के निर्देश दिये है। साथ ही कहा गया है कि की उन्हें कूल जैकेट दिये जायें।

आपदा प्रबंधन संस्थान को वार्षिक ट्रेनिंग कैलेण्डर में लू के प्रबंधन से संबंधित प्रशिक्षण कार्यक्रम करने के निर्देश दिये है। साथ ही कहा गया है कि जन-जागृति कार्यक्रम आयोजित किये जायें। प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिये शोध कार्य किया जाये।

एस.डी.ई.आर.एफ/होमगार्ड्स एवं सिविल डिफेंस विभाग द्वारा जन-जागृति एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश दिये है। साथ ही कहा गया है कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा उपयोग में लाये जा रहे "कॉमन अलर्टिंग प्रोटोकॉल (सीएपी) आधारित एकीकृत अलर्ट सिस्टम (सचेत)" प्लेटफार्म द्वारा चेतावनी प्रसारण। इसमें सेल प्रसारण, एसएमएस, मोबाइल ऐप, टीवी, रेडियो, सोशल मीडिया के माध्यम का उपयोग करते हुए जन-सामान्य को चेतावनी का प्रसारण किया जाये। इस प्लेटफार्म को कार्यरत रखने के लिये हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और मानव संसाधन स्टेट कमांड सेंटर में प्रदाय किये गये हैं।

किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग को विभागीय जन-जागृति एवं प्रशिक्षण कार्यक्रमों में कृषकों को लू से बचाव संबंधित देने के निर्देश दिये गये है।

ऊर्जा विभाग को बिजली संयंत्रों में सभी रख-रखाव गतिविधियों को समयानुसार पूरा करने के निर्देश दिये गये है। लू के दौरान पॉवर कट की स्थिति निर्मित न हो।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग को राज्य में लू की स्थिति की निगरानी के लिये डेशबोर्ड/इंटरफेस तैयार कर लू संबंधी बल्क चेतावनी भेजने की व्यवस्था करने के निर्देश दिये गये है।

राज्य स्तर से जारी निर्देशों में कहा गया है कि लोकसभा चुनाव में मतदान में संलग्न अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिये लू पर दिशा-निर्देश जारी किये जायें। राजनीतिक दलों के कार्यकर्मों मे लू प्रबंधन के लिये दिशा-निर्देश जारी किये जायें। मतदान कर्मियो के प्रशिक्षण के दौरान लू से बचने के लिये फर्स्ट ऐड की व्यवस्था की जाये।

 


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