भोपाल : बुधवार, मई 31, 2023/ सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण मंत्री प्रेमसिंह पटेल ने बताया कि ऐसे माता-पिता और वरिष्ठजन जिनके बच्चे उनकी देखभाल नहीं करते हैं, के लिए प्रदेश में माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण कल्याण अधिनियम लागू है। वर्ष 2022-23 में लगभग 500 प्रकरणों का निराकरण किया गया। अधिनियम प्रदेश में 23 अगस्त 2008 से प्रभावशील है। वरिष्ठ नागरिकों की उपेक्षा और परित्याग को संज्ञेय अपराध मानते हुए 5 हजार का जुर्माना या 3 माह की सजाया दोनों का ही प्रावधान किया गया है। सभी सरकारी अस्पतालों में वरिष्ठ नागरिकों को बिस्तर उपलब्ध करने और विशेष लाइन बनवाने के निर्देश हैं।

अभिभावक और वरिष्ठ नागरिक जो अपने स्वयं के अर्जन या अपनी संपत्ति से होने वाली आय से अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ हैं, वे भी व्यस्क बच्चों और संबंधितों से भरण-पोषण पाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। अभिभावक में सगे और दत्तक, सौतेले माता-पिता शामिल हैं। साठ वर्ष से अधिक के वरिष्ठ नागरिक भी उन संबंधितों से भरण-पोषण की माँग कर सकते है, जिनका उनकी संपत्ति पर स्वामित्व है या उनके उत्तराधिकारी हैं।

सभी शासकीय अधिकारी-कर्मचारी जोअपने माता-पिता की उपेक्षा करते हैं, उनके वेतन से 10 प्रतिशत या अधिकतम 10 हजार रूपये काट कर भरण-पोषण भत्ता आवेदक माता-पिता के बैंक खाते में जमा कराने का प्रावधान है। प्रदेश के सभी जिलों के अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) कार्यालय भरण-पोषण अधिकरण और जिला मजिस्ट्रेट कोर्ट अपील अधिकरण घोषित हैं। सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के सभी जिला अधिकारी भरण-पोषण अधिकारी के रूप में पदाभिहित घोषित हैं।

 


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