नई दिल्ली : शनिवार, जुलाई 20, 2024/ भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैंकों से ऋण और जमा वृद्धि के बीच अंतराल पर नजर रखने को कहा है। उन्‍होंने बैंकों को ऋण के जमा से अधिक नहीं होने देने का परामर्श दिया। गवर्नर ने ऋण और जमा वृद्धि के बीच अंतराल के कारण वित्तीय प्रणाली के संरचनात्मक तरलता मुद्दों के संपर्क में आने की आशंका की चेतावनी दी।

दास ने कल मुंबई में कहा कि भारत में वित्तीय परिदृश्य एक संरचनात्मक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। उन्‍होंने कहा कि रिजर्व बैंक सक्रिय रूप से यूपीआई जैसे नवाचारों को प्रोत्‍साहन दे रहा है। गवर्नर ने कहा कि भारत में अधिक समावेशी वित्तीय क्षेत्र बनाने के लिए भुगतान प्रणालियों को फिर से तैयार किया है।उन्होंने कहा कि संरचनात्मक परिवर्तन अवसरों के साथ-साथ चुनौतियाँ भी पैदा करते हैं। इसलिए, बैंकों, गैर-वित्‍तीय बैंकिंग कंपनियां और अन्य वित्तीय संस्थानों को अपने व्यवसाय मॉडल, सुगमता और स्थिरता पर इन परिवर्तनों के प्रभाव का सावधानीपूर्वक आकलन करने की आवश्यकता है। दास ने बैंकों से बेईमान गतिविधियों की जांच करने के लिए अपने ग्राहक ऑनबोर्डिंग और लेनदेन निगरानी प्रणालियों को मजबूत करने के लिए कहा।

आरबीआई ने कहा है कि माइक्रोसॉफ्ट सॉफ्टवेयर मामले में केवल 10 बैंकों और एनबीएफसी में व्यवधान थे जिन्हें सही कर लिया गया है या किया जा रहा है। आरबीआई ने कहा कि अधिकांश बैंकों के महत्वपूर्ण सिस्टम क्लाउड में नहीं हैं और इसके अलावा, केवल कुछ बैंक ही क्राउडस्ट्राइक टूल का उपयोग कर रहे हैं। कुल मिलाकर रिज़र्व बैंक के क्षेत्र में भारतीय वित्तीय क्षेत्र इससे अछूता है। रिज़र्व बैंक ने सतर्क रहने और परिचालन लचीलापन और निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए संस्थाओं को सलाह जारी की है।

 

 


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