व्यापार प्रतिनिधि/   कंज्यूमर पर महंगे तेल का डबल अटैक हो गया है. एकतरफ जहां महंगे क्रूड की वजह से पेट्रोल-डीजल की ऊंची कीमतों ने कमर तोड़ रखी है तो खाने के तेल दाम ने किचन का जायका बिगाड़ रखा है. पिछले एक साल में क्रूड कीमतों में जहां 95 परसेंट की तेजी आई है, तो दूसरी तरफ अलग-अलग खाने के तेल के दाम पिछले एक साल में 30 से 60 परसेंट तक महंगे हो गए हैं. यानी कंज्यूमर पर महंगाई की दोहरी मार है.
अब खाने के तेल ने बिगाड़ा किचन का बजट
क्रूड पाम तेल रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है. सोयाबीन, सोया तेल की कीमतें नई ऊंचाई पर आ गईं हैं. एक साल में इनके दाम 30 परसेंट से 60 परसेंट तक बढ़े हैं. जिसकी वजह से खाने का तेल इतना महंगा हुआ है. अब बात उन वजहों की जिसके चलते खाने के तेल की कीमतें इतना ज्यादा बढ़ गई हैं.
खाने के तेल की ग्लोबल सप्लाई घटी है, बाय फ्यूल के लिए क्रूड पाम तेल की डिमांड में तेजी आई है, इधर चीन में भी सोयाबीन की डिमांड लगातार बढ़ रही है. ब्राजील, अर्जेंटीना में खराब मौसम की वजह से उत्पादन पर असर पड़ा है और घरेलू बाजार में भी खपत में बढ़ोतरी देखने को मिली है. फेस्टिव सीजन में खाने के तेल में डिमांड और बढ़ेगी जिससे कीमतें और ऊपर जा सकती हैं.
भारतीय खाद्य तेल प्रोसेसर एसोसिएशन के प्रेसिडेंड सुधाकर देसाई के मुताबिक 'फरवरी में तेजी पाम ऑयल और सन ऑयल की वजह से था, पिछले दो हफ्ते में ये तेजी सोयबीन ऑयल की वजह से है. ब्राजील का मौसम बेहद खराब है, वहां काफी बारिश हुई है. सन फ्लावर तेल 1700 डॉलर पर पहुंच गया है जो कि एक रिकॉर्ड ऊंचाई है. घरेलू मार्केट की बात करें तो फरवरी में शिपमेंट काफी कम रहा था, बमुश्किल ही 4 लाख टन पाम भारत आया था, 4 लाख टन सोया आया है. अप्रैल-मई तक भी मार्केट गिरने की संभावना नहीं है, यानी दो महीने तक खाने के तेल में राहत मिलने की उम्मीद नहीं है'
पेट्रोल डीजल की महंगाई नए रिकॉर्ड स्तर पर है. कच्चा तेल भी रोज नई ऊंचाई को छू रहा है. ब्रेंट क्रूड 14 महीने की ऊंचाई पर पहुंच गया है, जबकि WTI क्रूड 3 साल की ऊंचाई पर ट्रेड कर रहा है. कच्चे तेल में 1 साल में 95 परसेंट की तेजी देखने को मिली है. एक्सपर्ट्स संभावना जता रहे हैं कच्चा तेल 80 डॉलर पहुंच सकता है. फिलहाल कच्चा तेल 65 डॉलर के ऊपर ट्रेड कर रहा है. अब एक नजर कच्चे तेल के महंगा होने की वजहों पर डाल लेते हैं.
कच्चा तेल क्यों महंगा हो रहा है
दरअसल, ओपेक, नॉन ओपेक देशों ने उत्पादन में कटौती कर रखी है, इसके बाद सऊदी अरब की अतिरिक्त कटौती से कीमतों को सपोर्ट मिला है. ग्लोबल इकोनॉमी में रिकवरी के संकेत दिख रहे हैं जिससे कच्चा तेल मजबूत हो रहा है. दुनिया भर में कोरोना वैक्सीनेशन में तेजी आई है.


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