लेखिका - ममता यादव

'जिंदगी और कुछ भी नहीं तेरी मेरी कहानी है' जैसे कई सदाबहार गीत लिखने वाले संतोष आनंद जी कल सोनी टीवी के इंडियन आईडल पर बुलाये गए। प्रोमो बड़ा भावुक बन पड़ा था। Trp के खेल से सब वाकिफ हैं। पर यहां बात कुछ ऐसी हो गई बाद में कि उन जैसे स्वाभिमानी इंसान को धक्का लगा होगा क्योंकि जब हमको बुरा लग रहा है तो उनको तो और बुरा लगा होगा। दरअसल शो के बाद से ही सोशल मीडिया पर इस लाइन के साथ वीडियो चलाया जा रहा है कि मशहूर गीतकार सन्तोष आनन्द भीख मांगकर गुजारा कर रहे हैं। यह तक लिखा जा रहा कि उनके ऊपर बहुत कर्जा है। जबकि हकीकत ये है सन्तोष आनन्द जी अकेलेपन और बेबसी से जूझ रहे हैं। वे स्वाभिमानी हैं मजबूत हैं व्हील चेयर पर ही कवि सम्मेलनों में जाते हैं। नेहा कक्कड़ द्वारा 5 लाख रुपये दिए जाने पर उन्होंने साफ कहा मैं ये नहीं ले सकता मैं बहुत स्वाभिमानी हूँ। यार कुछ तो सोच लो किसी के बारे में कुछ लिखने से पहले, आगे बढाने से पहले। शो में उनके साथ गए Chander Mauli ने साफ साफ लिखा सेट पर कर्जे जैसी कोई बात ही नहीं हुई ये बात कहाँ से निकल पड़ी। वे सर के साथ मंच पर दिख रहे हैं माईक पकड़े। आनन्द जी ने कहा हम पैदल जाते थे देवी के दरबार, मुम्बई से पंछी की तरह उड़कर आते थे जाते थे। फिर हादसों में कई बार पैर टूट गए।।अब चल-फिर नहीं सकते। एक पोती के साथ रहते हैं। उनकी असल तकलीफ है कि वे चल नहीं पाते।। हर तरह से एक चलता-फिरता इंसान जब अचानक बिस्तर पर या व्हील चेयर पर आ जाता है, अकेलेपन से जूझता है चुपचाप अपने घर में। पर जब वह अपनी खूबियों के कारण दुनिया के सामने आता है तो उस तकलीफ को ये वर्चुअल दुनिया तमाशा बना देती है बिना सोचे समझे। जिसने भी उनके भीख मांगने की लाईन चलाई है उन्हें सार्वजनिक तौर पर आनन्द जी के पैर छूकर माफी मांगनी चाहिए। जिस आदमी के जीवन संघर्ष का हथियार उसका हौसला हो, स्वाभिमान हो उसे इस तरह तमाशा मत बनाईये।
ना थका, ना हारा, ना ही कभी झुका
कर्तव्य पथ पर हमेशा मजबूती से रहा डटा
ना जाने कितनी परेशानियों से अकेले लड़ते हुए
एक इंसान हमेशा बस अपनी धुन में गाता रहा

सन्तोष आनन्द जी ने इस लाईन के साथ मंच से विदा ली थी

"हौसला जीतता है हथियार नही"
ऐसे इंसान को आप भीख मांगने वाला कह रहे हैं। शर्मनाक
विविध भारती पर दोपहर में 2 बजे से 3 बजे तक पुरानी गीतकार निर्देशक कलाकार आदि के इंटरव्यू आते रहते हैं विस्तार से। संतोष आनन्द जी का इंटरव्यू मैंने तीन बार सुना है। इतने सम्मानित स्वाभिमानी इंसान के लिये आप भीख शब्द का इस्तेमाल करते हैं। शर्मनाक।


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