कृष्णमोहन झा

मध्यप्रदेश की नवनिर्वाचित विधायकों के लिए विगत दिनों विधानसभा भवन के मानसरोवर सभागार में जो दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम आयोजित किया गया वह निःसंदेह एक बहुपयोगी आयोजन था । नयी विधानसभा के शपथग्रहण सत्र के बाद आयोजित इस प्रबोधन कार्यक्रम की उपयोगिता की अनुभूति विशेष रूप से उन नवनिर्वाचित विधायकों को आगामी सत्र में अवश्य होगी जो पहली बार सदन में चुनकर आए हैं। कार्यक्रम के मंच से मुख्य अतिथि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्य विधानसभा के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, मुख्यमंत्री मोहन यादव सहित सभी अतिथि‌ वक्ताओं के उद्बोधनों का सार यही है कि सदन के अंदर किसी भी महत्वपूर्ण विषय पर अपने विचार व्यक्त करने के लिए खड़े होने के पूर्व हर विधायक को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि संबंधित विषय की उन्हें पूरी प्रामाणिक जानकारी है।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने निर्वाचित सदन की गरिमा और मर्यादा बनाए रखने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि कोई अध्यक्ष सदन के किसी सदस्य का निलंबन नहीं चाहता। सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चले , यह जिम्मेदारी सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की है। उन्होंने कहा कि सदन में सार्थक बहस होना चाहिए और कामकाज में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सदन की अधिक से अधिक बैठकें होना चाहिए। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि लोकतंत्र हमारे विचारों, कार्यों और कार्य प्रणाली में समाया हुआ है,पंचायत से लेकर सदन तक लोकतंत्र है। सदन में शालीनता बनाए रखने पर विशेष जोर देते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि सदन के अंदर निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का आचरण सदन की गरिमा और मर्यादा के अनुरूप होना चाहिए।

इस प्रबोधन कार्यक्रम में , पहली बार मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष बने नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा व्यक्त किए गए विचारों से यह संदेश मिलता है कि वे मध्यप्रदेश की 16 वीं विधानसभा में उन विधायकों को भी अपनी बात कहने के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान करने के पक्ष में हैं जो पहली बार चुनकर सदन में आए हैं। विधानसभाध्यक्ष ने कहा कि प्रथम बार निर्वाचित सदस्यों को पत्र भेजकर उनसे यह जानकारी भी ली जानी चाहिए कि इस प्रबोधन कार्यक्रम से वे खुद को कितना लाभान्वित महसूस कर रहे हैं।

विधानसभाध्यक्ष का यह सुझाव भी सराहनीय है कि यदि यह प्रबोधन कार्यक्रम अपने उद्देश्यों में सफल होता है तो 16वीं विधान सभा के लिए निर्वाचित सदस्यों के लिए ऐसा ही एक और कार्यक्रम आयोजित करने की दिशा में विचार किया जाना चाहिए। नरेंद्र सिंह तोमर ने अपने व्याख्यान के माध्यम से यह संदेश भी दिया कि वे नये सदन में कुछ नयी शुरुआत करने के इच्छुक हैं। इसी क्रम में उन्होंने कहा कि अभी सदन में शून्य काल के दौरान सदस्यों को लिखित सूचनाओं के आधार पर ही अपने विचार चार व्यक्त करने का प्रावधान है लेकिन आगामी सत्रों में उनका पूरा प्रयास होगा कि शून्य काल के दौरान सदस्यों को महत्वपूर्ण तात्कालिक घटनाओं पर भी अपने विचार व्यक्त करने का अवसर मिल सके।

नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि जो सदस्य सदन में पहली बार चुनकर आए हैं उन्हें आगामी सत्र में अपने विचार व्यक्त करने हेतु प्राथमिकता प्रदान की जाएगी । विधानसभाध्यक्ष ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि सदन की कार्यवाही के दौरान सदस्य शांत और संयत रहकर सदन की गरिमा और मर्यादा को बनाये रखने में सकारात्मक योगदान दे सकते हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने आश्वासन दिया कि प्रबोधन कार्यक्रम में जो भी महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं उन पर अमल करने के लिए सरकार हमेशा तैयार रहेगी।

इस कार्यक्रम में नवनिर्वाचित विधायकों को संबोधित करने के लिए लोकसभा के महासचिव उत्पल कुमार सिंह, उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना, लोकसभा में लाभ के पदों संबंधी संयुक्त समिति के अध्यक्ष सत्यपाल सिंह, पूर्व राज्य सभा सदस्य सुरेश पचौरी मध्यप्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष डा सीताशरण शर्मा , पूर्व उपाध्यक्ष राजेंद्र कुमार सिंह को भी आमंत्रित किया गया था।

उत्तरप्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि मध्यप्रदेश की 16 वी विधानसभा के लिये गर्व की बात है कि इस विधानसभा को देश के विख्यात राजनेता नरेन्द्र सिंह तोमर जैसा विधानसभा अध्यक्ष मिला है हमे पूरा विश्वास है कि तोमर के संरक्षण में नवनिर्वाचित विधायक देश की संसदीय परंपरा को आगे बढ़ाने में मील का पत्थर स्थापित करेंगे | तोमर ने जल्द ही ई विधान व्यवस्था लागू करने की बात कही साथ ही विधायको के लिये नवीन आवासीय परिसर की निर्माण प्रक्रिया भी शीघ्रता से प्रारंभ करने को कहा है।

विधान सभा में नवनिर्वाचित विधायकों के प्रबोधन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि विधायक आम नागरिकों की अपेक्षाओं को पूरा करने का प्रयास करें,उन्होंने कहा कि जरूरी नहीं की सभी कार्य आप करा पायें, पूरा करने का पूरा प्रयास करें। उन्होने विधायकों को सलाह दी कि विधानसभा में अध्ययन करके आयें और तर्कपूर्ण बातें करें। नई तकनीक के साथ समन्वय बनायें। जिन कामों से नियम कानून का उल्लंघन हो तो नही कहना भी सीखे। उन्होने कहा कि सार्वजनिक जीवन में हैं तो आपका व्यवहार भी अच्छा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसा माना जाता है कि जिसको सबकुछ आता है वही नेता होता है। क्षेत्र के लोगों के साथ सतत सम्पर्क बनाये रखें। महाना ने कहा कि यह बात हमेशा ध्यान रखें कि विधायक पूरे क्षेत्र के विधायक है, का प्रतिनिधित्व करते हैं सिर्फ कुछ मतदाताओं का नहीं। पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष डा राजेंद्र कुमार सिंह ने नवनिर्वाचित सदस्यों को बजट निर्माण और सीताशरण शर्मा ने शून्यकाल की प्रक्रिया के बारे में सदस्यों को उपयोगी जानकारी प्रदान की। विपक्ष के नेता उमेश सिंघार ने सदन‌ की अधिकाधिक बैठकें किये जाने पर जोर दिया।

नोट - लेखक राजनैतिक विश्लेषक और विधानसभा की शोध पूर्ण पत्रिका "विधायनी" के पूर्व संपादक मंडल सदस्य है।


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