कृष्णमोहन झा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विद्वान सरसंघचालक मोहन भागवत ने धर्म को लेकर अपने विचारों को विभिन्न अवसरों पर इतनी साफगोई और स्पष्टता के साथ प्रस्तुत किया है कि आप उनमें असहमति की कोई गुंजाइश नहीं खोज सकते। हाल में ही उन्होंने मिलिंद पराड़कर द्वारा लिखित एक शोध पूर्ण ग्रंथ ' तंजावरचे मराठे ' के विमोचन समारोह में मुख्य अतिथि की आसंदी से धर्म को जिस तरह परिभाषित किया उससे समारोह में मौजूद श्रोता मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रह सके। भागवत ने कहा कि धर्म का अर्थ केवल पूजा पाठ नहीं है बल्कि धर्म तो एक व्यापक अवधारणा है जिसमें सत्य, करुणा और तपश्चर्या ( समर्पण) सम्मिलित हैं। अपने भाषण में भागवत ने हिंदू शब्द को एक विशेषण बताया जो विविधताओं को स्वीकार करने का प्रतीक है। यह वसुधैव कुटुम्बकं के विचार को आगे बढ़ाने के लिए आया। भागवत ने कहा कि धर्म सृष्टि के आरंभ में था और सदैव उसकी आवश्यकता रहेगी। कुछ तत्व हैं जो वैश्विक मंच पर भारत के उदय से भयभीत हैं। वे नहीं चाहते कि भारत आगे बढ़े इसलिए इसके मार्ग में बाधा खड़ी कर रहे हैं परन्तु उनसे डरने की जरूरत नहीं है। छत्रपति शिवाजी महाराज के समय में भी यही स्थिति थी तब धर्म की शक्ति का प्रयोग करके उन ताकतों से निपटा गया था।

मोहन भागवत ने अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए कहा कि अतीत में भारत पर बाहरी आक्रमण बड़े पैमाने पर होते थे इसलिए लोग सतर्क रहते थे परन्तु अब ये आक्रमण विभिन्न रूपों में हो रहे हैं। भागवत ने भगवान राम के हाथों ताड़का वध और भगवान कृष्ण के द्वारा पूतना वध की घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि पूतना मौसी बनकर कृष्ण को स्तन पान कराने आई थी परन्तु कृष्ण ने उसका अंत कर दिया।

संघ प्रमुख ने कहा कि जिन लोगों को इस बात से डर लगता है कि भारत की प्रगति से उनके कारोबार बंद हो जाएंगे ऐसे तत्व भारत की प्रगति के मार्ग में बाधाएं पैदा करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से हमले कर रहे हैं चाहे वे शारीरिक हों तो अदृश्य लेकिन उनसे डरने की जरूरत नहीं है। उनके प्रयास सफल नहीं होंगे। शिवाजी के समय में भी यही स्थिति थी।जब भारत के उत्थान की कोई उम्मीद नहीं थी

संघ प्रमुख ने जीवनी शक्ति को राष्ट्र का आधार बताते हुए कहा कि यह धर्म पर आधारित है जो सदैव रहेगा। संघ प्रमुख ने भारत को बहुत भाग्यशाली और धन्य देश बताते हुए कहा कि महापुरुषों और संतों के आशीर्वाद से अमर हुआ है। इसीलिए थोड़ा बहुत भटकने के बाद यह पटरी पर आ गया है । यह ईश्वरीय वरदान हमें विशेष उद्देश्य के लिए मिला है क्योंकि ईश्वर ने हमें बहुत जिम्मेदारियां सौंपी हैं।


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