विजय कुमार जैन 

वर्तमान में युवक-युवतियों के वैवाहिक संबंध तय करने समाज इतना भ्रमित हो गया है कि रिश्ते तय नहीं हो पा रहे हैं। आज समाज की 27 से 35 वर्ष तक की लड़कियाँ अविवाहित बैठी हैं। इन लड़कियों एवं उनके अभिभावकों के सपने स्वयं की हैसियत से कहीं अधिक है। इस तरह के अनेक उदाहरण हैं जिनके कारण समाज की छवि खराब हो रही है। भारतीय संस्कृति में मनुष्य के जीवन में सोलह संस्कार आते है। जिनमें एक पाणिग्रहण संस्कार माना गया है। पाणिग्रहण संस्कार के बाद सबसे बड़ा मानवीय सुख वैवाहिक जीवन होता है।
वर्तमान भौतिक युग में यह मानकर चल रहे हैं पैसा आवश्यक है। मगर हमारा सोच यह होना चाहिए कि पैसा निश्चित सीमा तक आवश्यक है। पैसा मिलने की आकांक्षा में अच्छे एवं योग्य रिश्ते ठुकराना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। पहली प्राथमिकता सुखी संसार व अच्छा घर परिवार होना चाहिए। ज्यादा धन या दहेज के चक्कर में योग्य रिश्तों को नजर अंदाज करना उचित नहीं है। सम्पत्ति खरीदी जा सकती है, लेकिन गुण नहीं। मेरा व्यक्तिगत मत है
घर-परिवार और लड़का-लड़की अच्छे देखें,लेकिन ज्यादा धन के चक्कर में अच्छे रिश्ते हाथ से न जाने दें। युवक-युवती के सुखी वैवाहिक जीवन के लिये आवश्यक है हम उनका विवाह 25 वर्ष तक की उम्र में कर दें। 30 वर्ष की उम्र या उससे ज्यादा उम्र में हम विवाह करते हैं तो वह विवाह न होकर मात्र समझौता ही होता है। हम चिकित्सीय पक्ष देखें तो जिनका विवाह ज्यादा उम्र में होता है उसमें स्वास्थ्य संबंधी वहुत सी समस्याएं पैदा होती है। आजकल समाज में लोग बेटी के रिश्ते के लिए ऐसा लड़का देखते हैं जो सोने की तरह सौ टंच हो। अच्छा रिश्ता देखने में चार या पाँच वर्ष निकल जाते हैं। उच्च शिक्षा या जाव के नाम पर ही समय व्यतीत कर देते हैं। लड़के देखने का अंदाज भी समय व्यतीत करने का अनोखा उदाहरण हो गया है। खुद का मकान है या नहीं? अगर है तो फर्नीचर कैसा है ? घर में कमरे कितने है ? गाड़ी है या नहीं ? है तो कौंनसी है? ब्रान्डेड है या सेकण्ड हैण्ड ? रहन-सहन,खान-पान कैसा है? कितने भाई-बहन है? बटवारे में माँ -बाप
किनके हिस्से में आये हैं। बहन कितनी हैं उनकी शादी हुई या नहीं? माता-पिता का स्वभाव कैसा है? घर बाले, नाते-रिश्तेदार आधुनिक विचारों के हैं या नहीं? बच्चे का कद कितना है? रंग-रूप कैसा है? शिक्षा, कमाई, बैंक बैलेंस कितना है? लड़का-लड़की सोशल मीडिया पर सक्रिय है या नहीं? उसके कितने दोस्त है? इतनी सारी जानकारी लेने के बाद भी कुछ और प्रश्न पूछने में और सोशल मीडिया पर वार्तालाप करने में वहुमूल्य समय नष्ट हो जाता है। लगभग सभी समाजों में यह हालात हैं कि माँ-बाप की नींद ही जब खुलती है तब लड़के या लड़की की बात उम्र 30 वर्ष हो जाती है। फिर अभिभावक उचित रिश्ता तलाश करने के नाम पर इनकी जबानी बर्वाद कर देते हैं। इस कारण से अच्छे रिश्ते हाथ से निकल जाते हैं, और माँ-बाप अपने ही बच्चों के सपने चूर-चूर कर देते हैं।
इंदौर निवासी सुप्रसिद्ध समाज सेवी सरदार मल जैन को एक अविवाहित युवक का वैवाहिक वायोडाटा मिला, उस अविवाहित युवक की उम्र 36 वर्ष थी। सरदार मल जी ने युवक का वायोडाटा एवं उम्र 36 वर्ष देखकर फोन से अभिभावक से यह जानना चाहा कि आपके बेटे की पहली शादी कब हुई थी। उनका कथन सुनकर अभिभावक ने फोन ही काट दिया।एक समय था जब मात्र खानदान देखकर रिश्ते तय किये जाते थे। वे रिश्ते लम्बे समय तक सौहार्द पूर्ण वातावरण में निभते थे। तलाक, विवाह विच्छेद के प्रकरण उदाहरण नाम मात्र के ही सुनने मिलते थे। समधी-समधिन से रिश्ते आत्मीयता से परिपूर्ण रहते थे। सुख-दुख में एक दूसरे के साथ खड़े रहते थे। रिश्ते नातों की अहमियत का एक अहसास था। पुराने जमाने में चाहे धन कम था मगर खुशियाँ घर-आँगन में झलकती थी। कहीं कोई ऊंची-नीची बात हो जाती थी तो आपस में बड़े-बुजुर्ग संभाल लेते थे। तलाश शब्द रिश्तों में था ही नहीं, दाम्पत्य जीवन खट्टे-मीठे अनुभव में बीत जाया करता था और दोनों एक-दूसरे के बुढ़ापे की लाठी बनते थे और पोते- पोतियों में संस्कारों के बीज रोपते थे। अब कहाँ हैं वह संस्कार ? आज तो संस्कार शब्द का मजाक उड़ाया जा रहा है। आँख की शर्म तो इतिहास हो गई है। अन्तर्जातीय विवाह का प्रचलन चल पड़ा है।
आज समाज में लड़कियाँ और लड़के खुले आम दूसरी जाति की ओर जा रहे हैं। मन पसंद विवाह करने जाति का बंधन समाप्त कर रहे हैं। अन्तर्जातीय विवाह करने से पूर्व यह आरोप लगा रहे हैं कि जाति का लड़का या लड़की मेरे योग्य नहीं है। जब ये लड़के-लड़कियाँ मन पसंद विवाह या प्रेम विवाह करते हैं तब कुण्डली मिलान का क्या होता है? तब तो कुण्डली मिलान की कोई बात ही नहीं होती। माता-पिता उस समय सब कुछ स्वीकार कर लेते हैं। तब कुण्डली, स्टेटस, आमदनी, पैसा बीच में कुछ भी नहीं आता। अगर अभी भी माँ-बाप नहीं जागेंगे तो स्थिति और विस्फोटक हो जायेगी। माता-पिता और समाज को समझना होगा। लड़कियों का विवाह अधिकतम 25 वर्ष की उम्र में हो जाये इसीप्रकार लड़के का विवाह अधिकतम 26 या 27 वर्ष की उम्र में हो जाये। सब में सभी गुण एक साथ नहीं मिलते। युवक-युवती के माता-पिता भी आर्थिक चकाचौंध में वह रहे हैं। पैसे की भागमभाग में मीलों पीछे छूट गये हैं नाते-
रिस्तेदार। टूट रहे हैं घर परिवार। सूख रहा है प्रेम और प्यार। परिवारों का इस पीढ़ी ने ऐसा तमाशा किया है कि आने वाली पीढियाँ सिर्फ किताबों में पढ़ेंगी.... संस्कार। समाज को अब जागने की जरूरत है, अन्यथा रिश्ते ढ़ूढ़ते रह जाओगे।


इस खबर को शेयर करें


Comments