कृष्णमोहन झा

भाजपा की टिकट पर उज्जैन से तीसरी बार विधायक बने डा. मोहन यादव मध्यप्रदेश के नये मुख्यमंत्री बन गये हैं। उनके शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी यह संदेश देने के लिए काफी है कि उन्हें पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व का आशीर्वाद प्राप्त है इसीलिए कल जब मोहन यादव मोतीलाल स्टेडियम में मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे थे तब अपूर्व आत्म विश्वास से दमकता उनका चेहरा मानों इस बात की गवाही दे रहा था कि वे पार्टी नेतृत्व और मध्यप्रदेश की जनता की हर कसौटी पर खरा उतरने में सक्षम हैं। संक्षिप्त शपथ ग्रहण समारोह के तत्काल बाद उन्होंने यह भी साबित कर दिया कि प्रदेश के नये मुख्यमंत्री के रूप में वे कभी भी कठोर फैसला लेने से परहेज़ नहीं करेंगे। उनके पास मंत्री पद की जिम्मेदारी निभाने का बहुत लंबा अनुभव भले न हो परंतु वे ऊर्जा और उत्साह से लबरेज हैं और इस बात का भी उन्हें पूरा एहसास है कि मध्यप्रदेश की जनता ने उनसे जो उम्मीदें लगा रखी हैं उन्हें पूरा करने के लिए कौन सी कार्य योजना प्रभाव शाली सिद्ध हो सकती है। इसमें कोई संदेह नहीं कि डा. मोहन यादव विलक्षण राजनीतिक सूझ-बूझ के धनी हैं, मृदुभाषी हैं, अच्छे वक्ता हैं और अपने विरोधियों को भी अपने साथ लेकर चलने का हुनर भी उनके अंदर मौजूद है। इसलिए यह मानने में भी संदेह की कोई गुंजाइश नहीं है कि राज्य के 19वें मुख्यमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल उल्लेखनीय उपलब्धियों से भरा होगा। भाजपा हाईकमान ने भी उन पर यही भरोसा कर के मुख्यमंत्री पद के लिए उनका चयन किया है और प्रदेश के नये मुख्यमंत्री को भी अपने आप पर भरोसा है कि वे पार्टी हाईकमान के भरोसे को कायम रखने में कामयाब होंगे।

डा. मोहन यादव इस हकीकत से भी भली भांति वाकिफ हैं कि प्रदेश में भाजपा की प्रचंड विजय नये मुख्यमंत्री के लिए और बड़ी जिम्मेदारियां का पैगाम लेकर आई है। उनके सामने इन जिम्मेदारियों को चुनौतियों के रूप में स्वीकार करने की चुनौती है।‌ नये मुख्यमंत्री जानते हैं कि अगले तीन चार महीनों के अंदर होने वाले लोकसभा चुनावों में मध्य प्रदेश की सभी 29 सीटों में पार्टी की शानदार जीत सुनिश्चित करना उनकी पहली प्राथमिकता है। भाजपा अगर आगामी लोकसभा चुनावों में मध्यप्रदेश में अपनी शानदार जीत का इतिहास दोहराने में कामयाब होती है तो नये मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव उसका श्रेय पाने के मुख्य हकदार होंगे। डॉ. मोहन यादव को पूरा भरोसा है कि वे अपने पहले इम्तिहान में पूरी तरह सफल होंगे।

डा. मोहन यादव ने मुख्यमंत्री के रूप में अपनी पहली पारी की शुरुआत में ही जो कठोर फैसले लिए हैं उनसे मध्य प्रदेश की जनता और भाजपा कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई है जिससे यह साबित हो गया है कि आगे भी उनके हर फैसले को प्रदेश की जनता का पूरा समर्थन मिलता रहेगा। मध्यप्रदेश के जनमानस की नये मुख्यमंत्री से यही अपेक्षा है कि वे जनहित में कठोर फैसले लेने से परहेज़ नहीं करेंगे। चंद दिनों में ही मध्याप्रदेश के नये मुख्यमंत्री मोहन यादव में प्रदेश की जनता को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि दिखाई देने लगी है। मुख्यमंत्री शुरुआती सख्त फैसलों से पार्टी कार्यकर्ताओं और प्रदेश की जनता को यह भरोसा दिलाने में सफल रहे हैं कि उनकी सरकार कानून व्यवस्था की स्थिति को चुनौती देने वाले समाज विरोधी तत्वों से सख्ती से निपटेगी। गौरतलब है कि मोहन यादव के शपथग्रहण के बाद एक भाजपा कार्यकर्ता पर जानलेवा हमले की घृणित वारदात से जुड़े आपराधिक तत्वों के मकानों को बुलडोजर से ढहाने की त्वरित कार्रवाई को जनता का व्यापक समर्थन मिला था। इसी तरह नये मुख्यमंत्री ने धार्मिक पूजा स्थलों पर नियम विरुद्ध लाउडस्पीकर बजाने पर रोक लगा कर यह संदेश दिया कि उनके सारे फैसले समाज के व्यापक हित की भावना से प्रेरित होंगे।

वे किसी भी वर्ग के साथ न तो वे अन्याय को बर्दाश्त करेंगे, न ही तुष्टिकरण की नीति को बढ़ावा देंगे। नये मुख्यमंत्री की आस्था उस हिंदुत्व में है जो सबको साथ लेकर चलने में विश्वास रखता है, जो वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना से ओत-प्रोत है।

यहां यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि भाजपा हाईकमान ने पार्टी के अनेक वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार करते हुए मोहन यादव को मुख्यमंत्री पद की बागडोर सौंपने का फैसला किया है अतएव अब उनके सामने उन वरिष्ठ नेताओं के साथ तालमेल बिठाकर सरकार चलाने की चुनौती भी है वैसे सर्वसम्मति से भाजपा विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद डॉ. मोहन यादव ने वरिष्ठ नेताओं के प्रति जिस तरह अपना आदरभाव व्यक्त किया उसे देखते हुए यह माना जा सकता है कि नये मुख्यमंत्री को सत्ता के सुचारु संचालन में पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं का आशीर्वाद मिलता रहेगा। इसमें कोई संदेह नहीं कि डॉ. मोहन यादव इतने विनम्र ,सहज -सरल और मृदुभाषी हैं कि कोई उनके फैसलों से असहमत हो ही नहीं सकता। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को करीब अठारह वर्षों तक सत्ता की बागडोर संभालने का सौभाग्य मिला। यह अपने आप में एक रिकार्ड था। उन्होंने इस लंबे कार्य काल में भाजपा संगठन पर भी अच्छा खासा प्रभाव कायम कर लिया था।अब यह उत्सुकता का विषय है कि नये मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सत्ता और संगठन के बीच वैसा ही तालमेल बिठाने में कितनी जल्दी सफल होते हैं लेकिन इतना तो तय है कि हमेशा प्रसन्नचित्त दिखाई देने वाले और सबको साथ लेकर चलने वाले डॉ. मोहन यादव को इसमें ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। मुख्यमंत्री पद के लिए वे पार्टी हाईकमान की पहली पसंद बने हैं इसलिए उन्हें सत्ता और संगठन , दोनों में किसी भी वर्ग से कोई चुनौती मिलने की कल्पना भी नहीं की जा सकती। फिलहाल तो वे मंत्रिमंडल गठन की प्रक्रिया में व्यस्त हैं और इसी से संतुलन साधने की कला में उनकी प्रवीणता का परिचय मिलेगा।

 

नोट - लेखक सहारा मीडिया समूह के स्टेट हेड है।


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