कृष्णमोहन झा

भगवान राम के अनन्य उपासक चंपत राय का जन्म 1946 में बिजनौर जिले के नगीना कस्बे में हुआ। बचपन से कुशाग्र बुद्धि के धनी चंपतराय राय कालेज के दिनों में विज्ञान के मेधावी छात्र थे। एम एस सी की परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात् बिजनौर जिले के धामपुर स्थित एक कालेज में रसायन शास्त्र के प्रवक्ता के पद हेतु उनका चयन हो गया। अपनी विशिष्ट अध्यापन शैली के कारण चंपतराय कालेज के छात्रों के बीच अत्यंत लोकप्रिय थे। आपातकाल के दिनों में एक दिन जब वे कालेज की एक कक्षा में रसायन शास्त्र पढ़ा रहे थे तभी उन्हें कालेज से ही गिरफ्तार करने पुलिस वहां पहुंच गई थी। प्राचार्य के कक्ष में उनकी गिरफ्तारी के लिए बैठे पुलिस वालों से उन्होंने कहा कि वे कुछ देर में घर से कपड़े लेकर अपनी गिरफ्तारी देने कोतवाली पहुंच जाएंगे और कुछ देर बाद सचमुच खुद ही कोतवाली पहुंच कर उन्होंने अपनी गिरफ्तारी दे दी। 18 माहों के बाद जब उन्हें रिहा किया गया तो1980-81 में उन्होंने कालेज से इस्तीफा देकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्णकालिक प्रचारक बनने का संकल्प ले लिया।

उल्लेखनीय है कि चंपत राय के पिता रामेश्वर प्रसाद बंसल भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक थे इसलिए वे बचपन में ही संघ की विचारधारा से प्रभावित हो चुके थे और थोड़ा बड़े होते ही उन्होंने संघ की गतिविधियों में भाग लेना प्रारंभ कर दिया था। 1980 -81जब वे तरह पूरी संघ से जुड़ गए तो संघ में उन्हें बड़ी जिम्मेदारियां सौंपी गईं और हर जिम्मेदारी का उन्होंने निष्ठापूर्वक निर्वहन किया। सहारनपुर और देहरादून में प्रचारक रहने के बाद उन्हें संघ ने मेरठ के विभाग प्रचारक की जिम्मेदारी सौंपी।1986 में जब विश्व हिन्दू परिषद ने राममंदिर आंदोलन शुरू किया तो संघ ने उनकी सेवाएं विश्व हिन्दू परिषद को सौंप दीं । तब से वे अनवरत रूप से हिंदुओं के सबसे संगठन से जुड़े हुए हैं जिसमें उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए राममंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई।

1991में उन्हें विश्व हिन्दू परिषद ने क्षेत्रीय संगठन मंत्री बनाकर अयोध्या भेजा था। 6 दिसंबर 1992को जब अयोध्या बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराया जा रहा था तब चंपतराय वहां मौजूद थे।1996 में चंपत राय विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय मंत्री मंत्री बने। 2002 में विश्व हिन्दू परिषद में संयुक्त महामंत्री की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आई । बाद में वे परिषद के अंतर्राष्ट्रीय महासचिव पद पर भी आसीन हुए । वर्तमान में इस संगठन के अंतर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी उनके पास है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर फरवरी 2020 में जब केंद्र सरकार ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण हेतु श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन किया तो महंत नृत्यगोपाल दास को ट्रस्ट का अध्यक्ष और चंपतराय को सचिव मनोनीत किया गया।

अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण का शुभारंभ होने के बाद से चंपत राय का नाम सुर्खियों में बना हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर , अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण हेतु फ़रवरी 2020 में केंद्र सरकार ने जो ट्रस्ट गठित किया था उसके सचिव पद की जिम्मेदारी चंपतराय को ही सौंपी गई थी । केंद्र सरकार का यह फैसला निःसंदेह स्वागतेय था। चंपतराय की तो सबसे बड़ी पहचान ही यही है कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण हेतु चार दशक पूर्व उन्होंने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देने का संकल्प लिया था। अपने इस पुनीत संकल्प की पूर्ति हेतु उन्होंने जीवन भर अविवाहित रहने का संकल्प लिया, कालेज में रसायन शास्त्र के प्रोफेसर का सम्माननीय पद त्याग दिया और अपना घर बार छोड़कर कर अयोध्या में जा बसे। इसके लिए उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरसंघचालक रज्जू भैया ने प्रेरित किया था और इसके बाद चंपतराय ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

बताया जाता है कि अयोध्या की कोई ऐसी गली नहीं बची जहां चंपत राय नहीं गये । चंपतराय के बारे में यह आम धारणा है कि पूरी अयोध्या को वे जानते हैं और पूरी अयोध्या उन्हें जानती है। अयोध्या के इतिहास और भूगोल की जानकारी का उनके पास इतना विशाल भंडार है कि लोग उन्हें 'अयोध्या का एन्साइक्लोपीडिया 'कहने लगे हैं । यह सिद्ध करने के लिए अयोध्या में राममंदिर को तोड़ कर ही बाबरी मस्जिद का ढांचा खड़ा किया गया था , चंपतराय ने हजारों लाखों प्रामाणिक दस्तावेज जुटाये । हजारों ग्रंथों का उन्होंने रात-दिन जागकर अध्ययन किया। अयोध्या में भगवान राम की जन्मभूमि होने के पक्ष में उन्होंने जो सबूत जुटाये थे उन्हें सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद पर चले मुकदमे के दौरान प्रमाणों के रूप में पेश किया गया।

सुप्रीम कोर्ट में मुकदमे की हर पेशी में वकील के पाराशरन् के साथ चंपतराय भी जाते थे। चंपतराय का घर आज भी अयोध्या में ही भगवान राम की जन्मभूमि की प्रामाणिकता को सिद्ध करने वाले लाखों दस्तावेजों और ऐतिहासिक धार्मिक ग्रंथों से भरा पड़ा है इसलिए उन्हें ' रामलला का पटवारी ' संबोधन भी मिल चुका है। अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर के निर्माण के पुनीत संकल्प पर चंपत राय हमेशा अडिग रहे । अब जबकि अयोध्या में नवनिर्मित भव्य मंदिर में रामलला की भव्य प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा की शुभ घड़ी नजदीक आ चुकी है, आप धीर, गंभीर मौन साधक चंपतराय के सौम्य चेहरे पर सुकून का भाव अवश्य देख सकते हैं परन्तु उनका मानना है कि अभी उनका काम पूरा नहीं हुआ है ।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सचिव पद की ज़िम्मेदारी उनके कंधों पर आ जाने के बाद से तो उनकी व्यस्तता इतनी बढ़ चुकी है कि उन्हें क्षणिक विश्राम लेने की भी फुर्सत नहीं है। मंदिर निर्माण की प्रगति का पूरा लेखा जोखा उनके पास रहता है। वे इस बात का विशेष ध्यान रखते हैं कि मंदिर निर्माण के कार्य में हर स्तर पर पारदर्शिता बनी रहे।

 

नोट - लेखक राजनैतिक विश्लेषक है।


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