कृष्णमोहन झा

आगामी 22 जनवरी को अयोध्या में नवनिर्मित भव्य राम मंदिर में रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का उत्साह अब लगभग 75 से अधिक देशों में अपने चरम पर पहुंच चुका है। यह भी पहली बार हो रहा है कि भारत में संपन्न हो रहे धार्मिक कार्यक्रम में दुनिया के सौ से अधिक देशों के प्रतिनिधि अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए आतुर हैं। राम लला के भव्य गरिमा मय प्राण प्रतिष्ठा समारोह के विशाल मंच से अनेकानेक देशों के मंजे हुए कलाकार अपने जीवन का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए भारत पहुंच चुकी हैं। इसमें दो राय नहीं हो सकती कि विश्व का प्रत्येक रामभक्त अपने आराध्य के प्रति अपनी आस्था को किसी न किसी रूप में अभिव्यक्त करने के लिए बेताब है। उनकी इस बेताबी को शब्दों में व्यक्त करने के लिए शब्द भी कम पड़ रहे हैं। जो इस बेताबी की अनुभूति कर पा रहा है वह भी अपने आप को धन्य मान रहा है।

सारा परिदृश्य अद्भुत है,अनूठा है, अनुपम है, अलौकिक है। करोड़ों लोग जल्द से जल्द अयोध्या में नवनिर्मित भव्य मंदिर के दर्शन करने के लिए व्याकुल हो उठे हैं। ऐसी व्याकुलता पहले कभी नहीं देखी गई लेकिन व्यवस्थागत और सुरक्षागत सावधानियों के चलते सभी एक साथ तो अयोध्या नहीं पहुंच सकते इसलिए जो बाद में अयोध्या पहुंच सकेंगे उन्होंने तब तक के लिए अपने आराध्य की‌ जन्मस्थली अयोध्या‌ को अपने मन में ही सजा लिया है। इस महादेश के अंदर और इसकी सीमाओं के बाहर जो जहां है, वहां उसे अपने मन-मस्तिष्क में अयोध्या जैसी सुखद अनुभूति हो रही है। आज मुझे 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में संपन्न भूमि पूजन समारोह के मंच से दिया गया वह भाषण याद आ रहा है जिसमें उन्होंने कहा था " आज आनंद का क्षण है।एक संकल्प लिया था और मुझे स्मरण है कि तब हमारे सरसंघचालक बाला साहेब देवरस ने कदम आगे बढ़ाने से पहले यह बात याद दिलाई थी कि बीस तीस साल लगकर काम करना पड़ेगा और आज 30 वें वर्ष के प्रारंभ में हमें संकल्प पूर्ति का आनंद मिल रहा है।" सरसंघचालक मोहन भागवत ने ये उद्गार तब व्यक्त किए थे जब अयोध्या में जब भगवान राम के भव्य मंदिर के निर्माण हेतु भूमि पूजन समारोह आयोजित किया गया था। आज जब उस भव्य मंदिर में रामलला की भव्य प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा का पुनीत अवसर निकट आ चुका है तब वह आनंद भी द्विगुणित हो गया है। उस अलौकिक आनंद को शब्दों में व्यक्त कर पाना मुश्किल है।

मोहन भागवत के इस कथन से भला कौन सहमत नहीं होगा कि यह संकल्प पूर्ति का आनंद है। यह आनंद देश के कोने कोने में देखा जा सकता है। दुनिया के सौ से अधिक देशों में भारत का नाम रोशन कर रहे भारतवासियों के मन में भी इसी संकल्प पूर्ति के आनन्द का सागर हिलोरें मार रहा है। उल्लेखनीय है कि विश्व के160 से अधिक देशों में हिन्दू धर्मावलंबी रहते हैं। 30 से अधिक देशों में हिन्दू प्रभावी भूमिका में हैं।

अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठा की नियत तिथि 22 जनवरी के एक पखवाड़े पहले से ही दुनिया अखिल विश्व के राम भक्तों ने अपने अपने शहरों को रामोत्सव के आयोजन प्रारंभ कर दिये हैं। अयोध्या में भगवान राम के नवनिर्मित मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में विभिन्न देशों में रामभक्तों के जो धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं उनकी संख्या 500 से भी अधिक हो सकती है। कहीं रैली निकाली जा रही है, कहीं बैनर- पोस्टर से पूरे शहर को सजा दिया गया है। विभिन्न देशों में सभी हिन्दू मंदिरों में पूजा अर्चना का सिलसिला अयोध्या में रामोत्सव के शुभारंभ के साथ ही शुरू हो गया था और प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम संपन्न होने के कुछ दिन बाद चलता रहेगा। पश्चिम आस्ट्रेलिया के पर्थ शहर में 14जनवरी को भव्य अक्षत कलश यात्रा का आयोजन किया गया। यह यात्रा प्रातः 7 बजे शुरू हुई और रात्रि 9 बजे इसका समापन हुआ। इस यात्रा के माध्यम से शहर 12मंदिरों को जोड़ा गया। आगामी 21 जनवरी को फ्रांस की राजधानी पेरिस में रामभक्तों के द्वारा राम रथयात्रा का आयोजन किया जा रहा है।इस अनूठी रथयात्रा में पूरे यूरोप के एक हजार से रामभक्तों के सम्मिलित होने की संभावना है। इसी तर्ज पर अमेरिका के कैलीफोर्निया, शिकागो और वाशिंगटन शहरों में रामोत्सव के अंतर्गत आयोजित विशाल कार रैली आकर्षण का केंद्र बनेंगी। न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर में 22 जनवरी को अयोध्या में आयोजित प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का सीधा प्रसारण किया जाएगा । मारीशस में हिंदू धर्मावलंबियों को 22 जनवरी को मध्याह्न में 2 घंटे का विशेष अवकाश दिया जाएगा ताकि वे अयोध्या में आयोजित प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का सीधा प्रसारण देख सकें।अयोध्या में धर्म पंथ पर स्थित सतरंगी पुल के समीप रामोत्सव के अंतर्गत 16 से प्रारंभ हुई अनूठी रामलीला का 100 से अधिक विदेशी चैनल सीधा प्रसारण कर रहे हैं। उल्लेखनीय है नेपाल, श्रीलंका, कंबोडिया, इंडोनेशिया, सिंगापुर और थायलैंड आदि देशों की रामलीला मंडलियों को भी अयोध्या में आयोजित अनूठी रामलीला के विशाल मंच से सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देने के आमंत्रित किया गया है । उल्लेखनीय है कि इन सभी देशों में भारत के समान ही रामलीला का आयोजन किया जाता है। इनके अलावा भी विश्व के अनेक देशों में रामायण को पवित्र ग्रंथ के रूप में मान्यता प्राप्त है।

अयोध्या में निर्मित हो रहे भव्य मंदिर में रामलला की भव्य प्रतिमा के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की तिथि की घोषणा होते ही रामभक्तों में जो उत्साह, उमंग और उल्लास की लहर दौड़ गई थी वह अब भिन्न भिन्न रूपों में सामने आ रही है। सभी के मन में जल्द से जल्द अयोध्या पहुंच कर ‌अपने आराध्य को अपनी सामर्थ्य से भी अधिक मूल्यवान उपहार भेंट करने की व्याकुलता है। उपहार लेकर अयोध्या पहुंचने वाले हर रामभक्त के मन में 'तेरा तुझको अर्पण' का भाव है।

अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण के लिए न जाने कितने रामभक्त वर्षों से कठोर साधना कर रहे थे।1992 में जिस दिन अयोध्या में बाबरी मस्जिद के ढांचे का विध्वंस किया गया उसी दिन झारखंड की 84 वर्षीया सरस्वती देवी ने इस प्रण के साथ मौनव्रत धारण कर लिया था कि जिस दिन उस स्थान भगवान राम के भव्य मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा संपन्न का कार्य क्र‌‌‌म संपन्न होगा उस दिन वे अपना मौन व्रत समाप्त करेंगी। सरस्वती देवी की कठोर साधना अब प्रतिफलित हो रही है। वे अपने परिवारजनों के साथ अयोध्या प्रस्थान कर चुकी हैं। सरस्वती देवी के समान ही देश के विभिन्न भागों में अनेक रामभक्त अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण के लिए अनेक वर्षों से कठोर साधना कर रहे थे। किसी ने एक पैर पर खड़े होकर साधना की, किसी ने मंदिर निर्माण पूर्ण होने तक अन्न का परित्याग कर दिया। इस बीच मंदिर आंदोलन में अनेक उतार चढ़ाव आए परन्तु उनका विश्वास कभी नहीं टूटा और अब जबकि भव्य मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा संपन्न होने जा रही है, उनके व्रत पर ' विश्वास फलदायकं' सूक्ति पूरी तरह चरितार्थ होती है।

अयोध्या में नवनिर्मित भव्य मंदिर में रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम की तिथि के पूर्व ही देश विदेश से अनेकों आकर्षक, अनूठे और बहुमूल्य उपहार अयोध्या पहुंच चुके हैं। इन उपहारों में 108 फुट लंबी अगरबत्ती, 1100 किलोग्राम वजन का दीपक,2100 किलोग्राम वजन का घंटा 10 फुट ऊंचा ताला,भगवान राम के लिए सोने के खड़ाऊं, माता सीता के लिए पांच हजार अमेरिकी डायमंड जड़ित साड़ी,एक साथ आठ देशों का समय बताने वाली अद्भुत घड़ी, सोने की परत चढ़ा विशालकाय नगाड़ा, 44 फुट लंबा साढ़े टन वजनी ध्वजदंड शामिल हैं। रावण ने श्रीलंका में स्थित जिस अशोक वाटिका में माता सीता को अपहरण करने के बाद रखा था वहां से एक चट्टान उपहार के रूप में श्री राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को उपहार स्वरूप भेंट की गई है।

पड़ोसी देश नेपाल से लगभग तीन हजार बहुमूल्य उपहार अयोध्या पहुंच चुके हैं। सभी उपहार अपने आप में अनूठी विशेषताओं से युक्त हैं। महाकाल की नगरी के नाम से विख्यात उज्जैन से गत दिवस तीन प्रसाद रथों में भरकर पांच लाख लड्डू अयोध्या के लिए भेजे गए हैं।यह तो मात्र थोड़े से उदाहरण हैं। यह सिलसिला अगले कई महीनों तक अनवरत रूप से जारी रहने की संभावना है। प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम की तैयारियां लगभग पूर्ण हो चुकी हैं। आमंत्रित अतिथियों के अयोध्या पहुंचने का सिलसिला भी प्रारंभ हो चुका है।अब देश विदेश के करोड़ों रामभक्तों को इंतजार है उस शुभ घड़ी का जो पांच शताब्दियों के अनवरत त्याग, तपस्या और संघर्ष के बाद भगवान राम की जन्म स्थली में आगामी 22 जनवरी को आ रही है।

नोट - लेखक राजनैतिक विश्लेषक है।


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