कृष्णमोहन झा


विगत माह संपन्न मध्यप्रदेश विधानसभा सभा के चुनावों में भाजपा ने अपने जिन सात सांसदों को उम्मीदवार बनाया था उनमें नरेंद्र सिंह तोमर सर्वप्रमुख थे और उसी समय यह भी तय हो गया था कि पा‌र्टी का केंद्रीय नेतृत्व उन्हें चुनावों के बाद मध्यप्रदेश में कोई अत्यंत महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व सौंपने का मन बना चुका है। तोमर की विजय में संशय की कहीं कोई गुंजाइश नहीं थी इसीलिए विरोधियों ने उनकी विजय की राह में मुश्किलें पैदा करने के लिए अनीति का सहारा लेने में भी कोई कसर बाकी नहीं रखी परंतु तोमर की त्याग , तपस्या और निस्वार्थ सेवा की राजनीति ने विरोधियों के सारे मंसूबों पर पानी फेर दिया।

दिमनी विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं के लिए इससे बड़े गौरव की बात और क्या हो सकती थी कि उन्हें यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अत्यंत विश्वसनीय केंद्रीय मंत्री को अपना प्रतिनिधि चुनने का सौभाग्य मिल रहा था। चुनाव परिणामों में भाजपा की प्रचंड बहुमत के साथ जीत के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए नरेंद्र सिंह तोमर का नाम भी बहुचर्चित था परन्तु भाजपा नेतृत्व ने अपनी विशिष्ट रणनीति के तहत उन्हें नवनिर्वाचित सदन के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपने का फैसला कर सबको चौका दिया। दरअसल विधानसभा के अध्यक्ष पद के लिए उनका चयन ‌इस बात का प्रमाण है कि प्रदेश की बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों में विधानसभा के अध्यक्ष पद की आसंदी के उत्तरदायित्व का कुशलतापूर्वक निर्वहन करने के लिए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने जो मानदंड तय किए थे उनकी कसौटी पर तोमर पूरी तरह खरे उतरते हैं।

तोमर के सुदीर्घ राजनीतिक जीवन में पार्टी ने उन्हें सत्ता और संगठन में अनेक महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी सौंपी है और हर जिम्मेदारी का बखूबी निर्वहन कर वे पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का विश्वास जीतने में सफल हुए हैं। अपनी इसी विलक्षण कार्यक्षमता और नेतृत्व कौशल के माध्यम से उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के विश्वासपात्र मंत्रियों के बीच जगह बनाने का गौरव अर्जित किया। आज नरेन्द्र सिंह तोमर की गणना पार्टी के उन गिने-चुने नेताओं में प्रमुखता से की जाती है जो सत्ता और संगठन में कोई भी महत्वपूर्ण दायित्व का कुशलता पूर्वक निर्वाह करने में सक्षम हैं।

गौरतलब बात यह है कि तोमर ने कभी सत्ता अथवा संगठन में किसी पद की लालसा व्यक्त नहीं की लेकिन वे उनकी विलक्षण कार्यक्षमता, अद्भुत नेतृत्व कौशल और सबको साथ लेकर चलने की स्वभावगत विशेषता ने उन्हें राजनीति में आज इस गौरवशाली मुकाम तक पहुंचा दिया है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व किसी भी महत्वपूर्ण भूमिका के कुशलता पूर्वक निर्वहन के लिए उनके नाम पर प्रमुखता से विचार करता है। पार्टी ने नरेंद्र सिंह तोमर के लिए जब भी कोई जिम्मेदारी तय की , उसे उन्होंने पूरी शिद्दत के साथ निभाया और सबकी सराहना अर्जित की। उनका पूरा राजनीतिक सफर में उन्होंने जितने महत्वपूर्ण पड़ाव तय किए , उन सभी पड़ावों‌पर पर उन्होंने उल्लेखनीय उपलब्धियां अर्जित करने में सफलता प्राप्त की।

नगर निगम पार्षद से प्रारंभ हुए राजनीतिक सफर में विधायक, शिवराज सरकार में वरिष्ठ मंत्री, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष, राज्य सभा सदस्य, लोकसभा सदस्य और फिर केंद्र सरकार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विश्वासपात्र मंत्री के रूप में उन्होंने अपनी विलक्षण कार्यशैली, सांगठनिक कौशल, मौलिक सूझबूझ, राजनीतिक चातुर्य, अद्भुत नेतृत्व क्षमता से जो मुकाम हासिल किए वे आज नरेन्द्र सिंह तोमर की विशिष्ट पहचान बन चुके हैं। उनका विराट व्यक्तित्व आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। उनका व्यक्तित्व और कृतित्व को किसी दायरे में सीमित करके परिभाषित करना संभव नहीं है। वे अपने आप में एक संस्था हैं। उनके व्यक्तित्व और कृतित्व अनूठी विशेषताओं ने ही मध्यप्रदेश की 16 वीं विधानसभा के अध्यक्ष पद हेतु उनके निर्विरोध निर्वाचन का मार्ग प्रशस्त किया है। अपने निर्विरोध निर्वाचन के लिए उन्होंने जिस तरह सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों के प्रति हृदय की गहराईयों से आभार व्यक्त किया उस स्तुत्य विनम्रता के माध्यम से नवनिर्वाचित विधानसभा अध्यक्ष सदन में अपने पहले संबोधन से ही सभी विधायकों के मानस पटल पर विशिष्ट छाप छोड़ने में सफल हुए। नवनिर्वाचित विधानसभा अध्यक्ष ने पक्ष और विपक्ष लोकतंत्र के दो पाए हैं और इन दोनों पायों के मजबूत होने पर ही लोकतंत्र की सफलता सुनिश्चित की जा सकती है।

तोमर ने सभी सदस्यों को आश्वस्त किया कि अध्यक्ष की आसंदी पर उनके आसीन रहते हुए सत्ता पक्ष और विपक्ष के किसी सदस्य को उसके जायज हक से वंचित नहीं होना पड़ेगा। विधानसभा अध्यक्ष ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि सभी निर्वाचित सदस्यों को हमेशा अपने अंदर विद्यार्थी भाव को जीवित रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजनीतिक जीवन में अधिक से अधिक अध्ययन करके ही सार्थक भूमिका निभाई जा सकती है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि नये और पुराने, सभी विधायकों को विधानसभा की लायब्रेरी में जाकर अध्ययन करना चाहिए। विधानसभा अध्यक्ष ने सभी सदस्यों से सदन के अंदर सहयोग प्रदान करने का अनुरोध किया ताकि वे उनकी अपेक्षाओं के अनुरूप सदन की कार्यवाही का संचालन कर सकें। विधानसभा अध्यक्ष अपने उद्गारों से यह संदेश देने में सफल हुए कि वे मध्यप्रदेश विधानसभा की गौरवशाली परंपराओं को नयी ऊंचाईयों तक ले जाने के लिए कृत संकल्प हैं।

विधानसभा अध्यक्ष के पद पर नरेंद्र सिंह तोमर के सर्वसम्मत निर्वाचन के बाद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, पूर्व मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, गोपाल भार्गव, अजय विश्नोई, विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे‌ आदि सदस्यों ने उन्हें हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देते हुए जो विचार व्यक्त किए उनसे उनके इसी विश्वास की अभिव्यक्ति हो रही थी कि सदन के नये अध्यक्ष निष्पक्ष रहकर सदन की कार्यवाही के सुचारु संचालन के माध्यम से सदन को नयी ऊंचाईयों तक ले जाने में कोई कमी नहीं रहने देंगे। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नरेंद्र सिंह तोमर को उनकी नयी जिम्मेदारी के लिए बधाई और शुभकामनाएं देते हुए उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री स्व अटल बिहारी वाजपेई के समान अजातशत्रु राजनेता निरूपित किया जबकि नये मुख्यमंत्री मोहन यादव ने उनके अंदर मौजूद पुरुषार्थ, पराक्रम, परिश्रम और विनम्रता की भूरिभरि प्रशंसा करते हुए विश्वास व्यक्त किया कि नये विधानसभा अध्यक्ष के ज्ञान और अनुभव का लाभ सदन और संपूर्ण मध्यप्रदेश को मिलेगा। इस अवसर पर वक्ता विधायकों ने नरेंद्र सिंह तोमर के शानदार राजनीतिक सफर पर प्रकाश डालते हुए उनके व्यक्तित्व और कृतित्व में समाहित गुणों को अनुकरणीय निरूपित किया।

 

नोट - लेखक सहारा मीडिया समूह के स्टेट ब्यूरो हेड है।


इस खबर को शेयर करें


Comments