विजय कुमार जैन 

 

वैश्विक कोरोना महामारी का भीषण प्रकोप पिछले वर्ष से जारी है। इस वर्ष मार्च माह से कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को पूरी ताकत से अपनी चपेट में ले लिया है। भारत में महामारी की भयाभयता पूर्वानुमान नहीं लगाने से स्वास्थ्य सुविधाएं पूरी तरह से चरमरा गई है। यह महामारी कैसे फैली है तथा कोरोना वायरस किस प्रकार मनुष्य को अपना शिकार बनाता है। इस पर दुनिया में अनेक देशों में विशेषज्ञ वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं। मगर अभी तक सही जानकारी उभरकर नहीं आई है। मजदूर एवं किसानों को कोरोना वायरस चपेट में क्यों नहीं लेता है। इसका खुलासा एक अमेरिकी रिसर्च रिपोर्ट में हुआ है। कोविड-19 के 500 से ज्यादा स्टेन पता किये जा चुके हैं और इनमें से कुछ तो वेहद जानलेवा हैं।वह इतने खतरनाक हैं की जॉब रिपोर्ट आने से पहले संक्रमित व्यक्ति की मौत हो जाती है।एक बात  सब ने ध्यान दी है कि कोरोनावायरस सबसे ज्यादा उन लोगों को शिकार बना रहा है जो एयर कंडीशनर में रहते हैं, और फास्ट फूड खाते हैं। उच्च मध्यमवर्गीय और मध्यमवर्गीय मैं वायरस के शिकार हो रहे हैं। लेकिन गरीब मजदूर और किसान वायरस से मरते हुए नहीं दिखाई दिए। हर कोई यह सवाल करता है कि मजदूरों को कोरोना होता है क्या?अमेरिका में हुई एक रिसर्च में इसका खुलासा हुआ है शरीर से मेहनत करने वालों को कोरोनावायरस नुकसान नहीं पहुंचाता। अमेरिका के कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने  कोरोनावायरस की रिसर्च में उल्लेख किया है कि जो लोग शारीरिक श्रम नहीं करते हैं या बेहद कमजोर हैं उनमें कोरोना का संक्रमण घातक हो सकता है।लोगों को संक्रमित होने पर अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है।साथ ही ऐसे मरीजों में मौत का आंकड़ा ज्यादा है वही शारीरिक श्रम करने वाले लोग अगर संक्रमित हो भी गए तो कोरोना  उन्हें ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाता है। कई बार उन्हें पता नहीं चलता कि वह संक्रमित हुए थे।शारीरिक रूप से सक्रिय ना रहने वाले लोगों में संक्रमण का खतरा- ब्रिटिश जर्नल आफ सपोर्ट मेडिसिन में प्रकाशित इस रिसर्च में बताया गया है कि धूम्रपान, मोटापा, डायबिटीज,उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और कैंसर जैसी बीमारी से पीड़ित  लोगों में भी कोरोना संक्रमण गंभीर होने का खतरा है। लेकिन शारीरिक रूप से सक्रिय ना रहने वाले लोगों में संक्रमण का खतरा उक्त बीमारियों से पीड़ित मरीजों से भी ज्यादा है। शरीर से निकलने वाला पसीना कोरोनावायरस को कमजोर करता है रिसर्च से यह बात साफ हो गई है कि गांवों में कोरोना संक्रमण उतना घातक नहीं है जितना वह शहरों में है। दर असल  गांव के लोगों की जीवन शैली शारीरिक श्रम वाली है। जिसके चलते कोरोनावायरस गाँव के लोगों में ज्यादा नुकसान नहीं कर पाया। शरीर से निकलने वाला पसीना कोरोनावायरस के संक्रमण को प्रभावी होने से रोकता है।कोरोना वायरस के शिकार वहीं हो रहे हैं जिनके शरीर में पसीना नहीं निकलता। माना जा रहा है कि यही वजह है कि अमेरिका सहित विकसित देशों में कोरोना का संक्रमण बेकाबू होने की प्रमुख वजह वही हो सकती है क्योंकि जीवन शैली और तकनीक के चलते यूरोपीय, अमेरिका आदि देशों में लोग ज्यादा शारीरिक श्रम नहीं करते हैं जिसके कारण वहाँ संक्रमण बेकाबू भी हुआ है। मेरे भानजे श्री जिनेश कुमार जैन गोहिल उज्जैन निवासी से इस रिपोर्ट आने से पूर्व विस्तार के चर्चा हुई थी। आपका स्पष्ट कहना है पंखा, कूलर एवं एयरकंडीशनर हमारे स्वास्थ्य के लिये घातक है। हमारे शरीर से पसीना निकलना ही बंद हो गया है। उन्होंने बताया वे प्रतिदिन उज्जैन में माधवनगर फ्रीगंज क्षेत्र में सुबह 10 बजे से दोपहर 11 बजे तक सड़क पर घूमते हैं। वे निवास पर दिन भर बिना पंखे, कूलर के रहते हैं। पंखा शाम को जब मच्छर आने लगते है तब चलाते हैं। आपका यह भी कहना है वे प्रतिदिन प्रातःकाल व्यायाम करते हैं। व्यायाम में लगभग दस मिनट अनुलोम विलोम करते हैं। जिनेश जी स्वयं उज्जैन में कपड़ा व्यापारी हैं। आपने मुझे बताया उज्जैन में विक्रमादित्य क्लाथ मार्केट में लगभग पाँच सौ हम्माम एवं मुनीम हैं। पिछले एक वर्ष में इनमें से कोई भी कोरोना संक्रमण की चपेट में नहीं आया है। हम आधुनिक सुख सुविधाओं के इतने आश्रित हो गये हैं कि इन संसाधनों के बिना हम एक पल भी नहीं रह पाते हैं।


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