विजय कुमार जैन राघौगढ़ म.प्र.

 

वर्तमान में युवाओं में नशा करने की आदत तेजी से बढ़ रही है। अनेक प्रकार के नशे के साधन आसानी से उपलब्ध हो रहे हैं।बच्चे किशोर अवस्था में एवं युवा होते ही सदमार्ग पर न चलकर भटक रहे हैं। इस भटकाव के लिये वर्तमान परिवेश तो दोषी है ही साथ ही माता-पिता पालकों की भी यह जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों की हर गतिविधि पर पैनी नजर रखें। यह देखें कि हमारे बच्चे कहाँ जा रहे हैं उनके मित्र कौंन है तथा देर रात तक कहाँ रहते हैं,क्या वे नशा कर रहे हैं।
वर्तमान में हुक्का से कश खींचकर नशा करने की प्राचीन पद्धति को आधुनिक रूप देकर हुक्का लाउंज एंड पब नाम दिया गया है। दिल्ली, मुबंई, कोलकाता, चेन्नई आदि बड़े महानगरों के माँलों में हुक्का पब संचालित हैं। एक घटना जो आज से लगभग दस वर्ष पूर्व की है उसका उल्लेख करना प्रासंगिक है दिल्ली के समीप गुरु ग्राम पूर्व नाम गुड़गांव में डीएलएफ सिटी सेंटर माँल में बबज इन पब एंड लाउंज में 100 लड़के लड़कियां शराब के नशे में पकड़े गये,पकड़े गये लड़के लड़कियों में सभी 14 से 20 वर्ष के बीच के थे और अच्छे स्कूलों में पढ़ते थे।"सेक्स और स्मोक" पार्टी का टाइटल था। एक लड़के के जन्मदिन पर दी जा रही इस पार्टी का निमंत्रण सोशल नेटबर्किग साइड पर दिया गया था। आश्चर्यजनक बात यह है कि इस पार्टी में जिन बच्चों ने भाग लिया था, उन्हे यह पता नही था, जन्मदिन किसका है। भारतवर्ष में अनेक प्रदेशों में विशेष रूप से हरियाणा, पंजाब, राजस्थान एवं राजस्थान से लगे हुए मध्यप्रदेश के कुछ क्षेत्र आदि में आज भी हुक्का से नशा करने का प्रचलन है। गाँव में चार या पाँच बुजुर्ग एक साथ बैठकर हुक्का से नशा करते है।हुक्का में तम्बाकू डालकर धुआं के कश लिये जाते है। कुछ वर्ष पहले तक देश में पब और लाउंज का नाम नहीं था। अचानक इनका जाल फैलता जा रहा है। पब होटलों और माँलों में चल रहे हैं युवाओं के साथ किशोर इनकी ओर जोर-शोर से आकर्षित हो रहे हैं। किशोरावस्था में बच्चों को पार्टी करना, घूमना पसंद होता है इस उम्र में वे हर वह काम करना चाहते हैं जो उन्होंने आज तक नहीं किया है। पब अथवा हुक्का लाउंज में किशोरों को निकोटिन भर कर परोसा जाता है, जिसे आज किशोर बड़े शौक से लेते है। सरकार ने हुक्का बार पर सन 2011 में क्रिमिनल प्रोसीजर कोड के सेक्सन 144 के तहत इसलिए रोक लगायी थी क्योंकि हुक्का बार बाले निकोटिन मिले तम्बाकू को ग्राहकों को दे रहे थे। परन्तु बार मालिकों ने कानून की धज्जियां उड़ा दी,और नये-नये नामों से हुक्का से नशा कराया जा रहा है। हुक्का का होटलों में कानून से बचाव के लिये परशियनसीसा,वोडका फ्लेवर अथवा हर्बल हुक्का के नाम से नशा कराया जा रहा है।। मेरे मित्र ने एक घटना सुनाई वे दिल्ली में एक माँल में शाँपिंग के लिये गये थे माँल में पब के बाहर एक महिला लम्बे समय से हंगामा कर रही थी वह चिल्ला-चिल्लाकर कह रही थी कि मेरा 14 वर्षीय बेटा पब के अंदर नशा कर रहा है। मुझे उसे लेने अंदर नहीं जाने दिया जा रहा है। यह देख रहे कुछ लोग बच्चे को दिये संस्कारों पर प्रश्न चिन्ह लगा रहे थे, कुछ पब के मैंनेजर के व्यावसायिक दृष्टिकोण एवं मनमानी का विरोध कर रहे थे। पब के मैंनेजर का कहना था कि इस उम्र में लड़के पब में आते ही हैं। कुछ देर में लड़का बाहर आया और महिला अपने बेटे को लेकर चली गई। विचारणीय प्रश्न यह है कि ऐसा क्या आकर्षण है किशोर पीढ़ी में जो अपने परिजनों से झूठ बोलकर पब में जाने मजबूर हो रहे हैं। अचानक आयी पब संस्कृति की ओर किशोर भागे जा रहे है और कानून कागजों की शोभा बढ़ा रहा है। पब संचालकों व कानून के रक्षकों की मिलीभगत से ही यह विकृति नई पीढ़ी में जोर से बढ़ रही है। गत चार वर्ष पूर्व हम सामाजिक मीटिंग में भाग लेने दिल्ली रेल से पहुंचे। रेल से रविवार को प्रातः 6 बजे हजरत निजामुद्दीन रेल स्टेशन पर उतरे। स्टेशन से बाहर निकल कर टेक्सी से गंतव्य की ओर प्रस्थान किया तो हम देखते हैं युवा युवक युवतियों की भारी भीड आ रही है। मैंने अपने अभिन्न मित्र से जिज्ञासा से पूछा यह भीड़ कहाँ से आ रही है? उन्होंने कहा ये लड़के लड़की वे है जो उच्च अध्ययन हेतु दिल्ली आये है। ये शनिवार को रात में होटल पहुंचते हैं, होटल में सारी रात वाय फ्रेंड और गर्ल फ्रेंड के जोड़े तरह तरह के नशे,सेक्स और मौज मस्ती करते हैं। ये सब सुबह होटल से निकल कर घर जा रहे हैं। मित्र ने कहा माता-पिता यह समझ रहे है हमारा बेटा या बेटी पढ़ाई कर रहे हैं। पढ़कर बड़े इंजीनियर या अधिकारी बनेंगे, जबकि बच्चे माँ बाप को धोखा दे रहे हैं।
पाश्चात्य संस्कृति के बढ़ते प्रभाव से संयुक्त परिवार समाप्त होने के साथ एकल परिवार की परंपरा चल रही है। संयुक्त परिवार में चाचा-चाचाजी, बड़े भाई-भाभी,बहन परिवार के छोटे किशोरों को साथ रखकर संस्कार देते थे, परिवार के रीति रिवाज सिखाते थे, उनके क्रियाकलापों पर नजर रखते थे। एकल परिवार में माता-पिता दोनों नौकरी में व्यस्त रहते हैं। ऐसे में किशोर अकेलेपन में दोस्तों की तलाश करते हैं, दोस्तों के साथ अकेलापन दूर करने पब और होटलों के माध्यम से नशा करने की बुरी आदतों में पड़ रहे हैं। सम्पन्न परिवार के बच्चे पब में जाना फेंसन और स्टेट्स की बात मानते हैं। पब एवं हुक्का लाउंज के माध्यम से 14 से 18 वर्ष के बच्चे जो स्कूल कालेज में पढ़ते हैं, उनमें नशे की बढ़ती प्रवृत्ति रोकना माता-पिता के साथ साथ शिक्षकों, प्राचार्यों की जिम्मेदारी है। किशोरावस्था में नशे की लत किशोरों का जीवन बर्वाद कर रही है।


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