मध्यप्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद के लिए पिछले कुछ दिनों से जिन नामों की सबसे अधिक चर्चा थी उस सूची में हेमंत खंडेलवाल का नाम सबसे ऊपर नहीं था परन्तु जब भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें निवृत्तमान अध्यक्ष बीडी शर्मा का उत्तराधिकारी बनाने का फैसला किया तो उसके इस फैसले पर शायद पार्टी के उन महत्वाकांक्षी दिग्गज नेताओं को भी आश्चर्य नहीं हुआ होगा जो लंबे अरसे से प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठने का सुनहरा स्वप्न संजोए बैठे थे।
दरअसल लगभग डेढ़ साल पहले पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद की बागडोर संभालने के लिए जिस तरह डा. मोहन यादव के चयन का आश्चर्यजनक फैसला किया था उसे देखते हुए यही प्रतीत हो रहा था कि भाजपा के नये प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए भी सबसे अधिक चर्चित नामों से इतर कोई नाम पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व तय कर चुका है और नामांकन प्रक्रिया प्रारंभ होते ही जब बैतूल के विधायक हेमंत खंडेलवाल ने नामांकन दाखिल किया तभी यह स्पष्ट हो गया कि वे भाजपा के नये प्रदेशाध्यक्ष बनने जा रहे हैं और स्वयं मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव द्वारा उनके नाम का प्रस्ताव किये जाने के बाद तो इसमें संशय की कोई गुंजाइश ही बाकी नहीं रही कि भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए हेमंत खंडेलवाल मुख्यमंत्री मोहन यादव की भी पहली पसंद थे इसलिए भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष पद की कुर्सी पर बैठने का सौभाग्य भी उन्होंने अर्जित किया। इसमें दो राय नहीं हो सकती कि भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष चयन में मुख्यमंत्री की राय को भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने तरजीह दी और उनकी सहमति से ही भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष पद पर हेमंत खंडेलवाल के निर्विरोध निर्वाचन का मार्ग प्रशस्त हुआ।
हेमंत खंडेलवाल को प्रदेश भाजपाध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचाने में संघ की भूमिका भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि संघ की मुहर लग जाने के बाद ही हेमंत खंडेलवाल को भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष बनने का सौभाग्य मिला। अब यह तय माना जा रहा है कि आगे आने वाले समय में प्रदेश में सत्ता और संगठन के बीच समन्वय को और मजबूती मिलेगी। हेमंत खंडेलवाल का कार्यकाल तीन वर्षों का होगा।
राज्य में निगम और मंडलों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के रिक्त पदों पर बहुप्रतीक्षित नियुक्तियों को हेमंत खंडेलवाल के सामने पहली चुनौती माना जा रहा है। प्रदेश भाजपाध्यक्ष का चुनाव होते ही निगमों और मंडलों में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पदों पर नियुक्ति के महत्वाकांक्षी नेताओं की सक्रियता बढ़ना स्वाभाविक है। निश्चित रूप से इन नियुक्तियों में हेमंत खंडेलवाल की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। अब यह उत्सुकता का विषय है कि हेमंत खंडेलवाल इस मामले में सरकार के साथ संतुलन बिठाने में कितने सफल होते हैं। 2028 में होने वाले विधानसभा चुनावों और 2029 में होने वाले लोकसभा चुनावों में भाजपा की शानदार विजय सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक पृष्ठभूमि तैयार करने में भी हेमंत खंडेलवाल की राजनीतिक सूझ बूझ और सांगठनिक कौशल की परीक्षा होना है। गौरतलब है कि प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष बीडी शर्मा के कार्यकाल में भाजपा ने लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनावों में शानदार प्रदर्शन किया था । राज्य में नगरीय निकायों के आगामी चुनावों में भी पार्टी की जीत की पटकथा लिखने की जिम्मेदारी हेमंत खंडेलवाल के कंधों पर है। भाजपा हाईकमान का वरद हस्त , मुख्यमंत्री मोहन यादव के साथ मधुर संबंध और संघ का साथ ,ये तीनों फैक्टर हेमंत खंडेलवाल की राह को आसान बना सकते हैं।
प्रदेश भाजपा के 28 वें अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल के बारे में कहा जाता है कि वे विवादों से दूर रहना पसंद करते हैं। अपने राजनीतिक कैरियर में उन्होंने शायद ही कभी कोई ऐसा बयान दिया होगा जिसे विवादित बयान की श्रेणी में रखा जा सकता है।’ बात कम , काम ज्यादा ‘ की नीति में विश्वास रखने वाले हेमंत खंडेलवाल को यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलते ही अब उनके व्यक्तित्व की उन विशेषताओं की चर्चा स्वाभाविक है जिसने उन्हें पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष पद का हकदार बना दिया।
हेमंत खंडेलवाल के बारे में यह जगजाहिर है कि जरूरतमंदों की मदद करने में उनके जैसे दिलदार नेता विरले ही होते हैं। जो उनके पास मदद की आस लेकर पहुंचता है वह कभी निराश होकर नहीं लौटता। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में आगे बढ़ने के लिए छल-कपट की राजनीति का कभी सहारा नहीं लिया। राजनीति में शुचिता के पक्षधर हेमंत खंडेलवाल ने प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष के रूप में अपनी पार्टी की शुरुआत करते ही पार्टी में दाएं बाएं की राजनीति करने वालों को सचेत करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी के लिए समर्पित कार्यकर्ताओं को पूरा सम्मान मिलेगा परंतु दाएं बाएं करने वालों को दिक्कत आएंगी । सीधी सी बात है कि हेमंत खंडेलवाल के कार्यकाल में पार्टी की नीतियों और आदर्शों के प्रति निष्ठावान् कार्यकर्ताओं को तरजीह मिलेगी। ऐसे निष्ठावान कार्यकर्ताओं को ही हेमंत खंडेलवाल पार्टी की असली ताकत मानते हैं।
कृष्णमोहन झा (लेखक राजनैतिक विश्लेषक हैं)