11,562 फीट की ऊंचाई पर योग: राष्ट्रीय सोवा-रिग्पा संस्थान का लेह में विशेष कार्यक्रम संपन्न

नई दिल्ली : बुधवार, मार्च 26, 2025/ आयुष मंत्रालय के तहत लेह स्थित स्वायत्त संस्थान राष्ट्रीय सोवा-रिग्पा संस्थान (एनआईएसआर) ने 25 मार्च को संस्थान परिसर में एक विशेष योग कार्यक्रम का आयोजन किया। यह संस्थान सोवा-रिग्पा के संरक्षण, संवर्धन और विकास के लिए है। योग के इस कार्यक्रम को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस – 2025 की 100 दिवसीय उल्टी गिनती कार्यक्रम के तहत आयोजित की जा रही गतिविधियों के एक भाग के रूप में संपन्न किया गया।

हिमालय की गोद में 11,562 फीट (3,524 मीटर) की ऊंचाई पर अपने कर्मचारियों और छात्रों सहित एनआईएसआर की टीम ने आयुष मंत्रालय के मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान की और से विकसित सामान्य योग प्रोटोकॉल (सीवाईपी) के अनुसार योग सत्र का आयोजन किया।

इस आयोजन के लिए बर्फ से ढकी चोटियों, ठंडी पहाड़ी हवा और शांति के माहौल के साथ लेह में एकदम सही जगह मिली। एनआईएसआर की निदेशक डॉ. पद्मा गुरमेत ने कहा, “योग महज एक अभ्यास नहीं, बल्कि जीवन का एक तरीका है जो शरीर और मन दोनों को पोषित करता है। आज की तेज़-रफ़्तार दुनिया में, योग आंतरिक संतुलन, मानसिक स्पष्टता और शारीरिक तंदुरुस्ती हासिल करने का एक शक्तिशाली उपकरण है। योग के माध्यम से, हम न केवल लोगों के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए लचीलापन, सद्भाव और समग्र स्वास्थ्य विकसित करते हैं। लेह की राजसी ऊंचाइयों पर, हम इस बात की पुष्टि करते हैं कि योग सीमाओं से परे है, जो हमें तंदुरुस्ती और शांति की खोज में एकजुट करता है।”

महाबोधि अंतर्राष्ट्रीय योग और ध्यान केंद्र लेह की योग प्रशिक्षक त्सावांग ल्हामो ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने कहा, “योग शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्पष्टता और भावनात्मक संतुलन को बढ़ावा देकर हमारे दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। योग के नियमित अभ्यास से लचीलापन बढ़ता है, मांसपेशियां मज़बूत होती हैं, तनाव कम होता है और समग्र स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह मन की शांति को भी बढ़ावा देता है, जिससे व्यक्ति को रोज़मर्रा की ज़िंदगी की चुनौतियों के बीच आंतरिक शांति और सामंजस्य बनाए रखने में मदद मिलती है।”

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