नई दिल्ली : शुक्रवार, फरवरी 7, 2025/ करीब पांच वर्ष बाद भारतीय रिजर्व बैंक ने नीतिगत रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कमी की है और इसे साढे़ छह प्रतिशत से घटाकर सवा छह प्रतिशत कर दिया है। रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर भारत में वाणिज्यिक बैंक रिजर्व बैक से धन उधार लेते है। केन्द्रीय बैंक के गर्वनर संजय मल्होत्रा ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन की बैठक के बाद आज मुम्बई में यह घोषणा की। इसके परिणामस्वरूप, स्थाई जमा सुविधा-एसडीएफ की दर 6 प्रतिशत और मार्जिनल स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर तथा बैंक दर साढ़े 6 प्रतिशत रहेगी।
इससे पहले रेपो दर में 25 आधार अंकों में कटौती मई 2020 में की गई थी। इसमें पिछला संशोधन फरवरी 2023 में किया गया था, जब इसे 25 आधार अंक बढ़ाकर साढ़े 6 प्रतिशत किया गया था। इस निर्णय का औचित्य स्पष्ट करते हुए मल्होत्रा ने बताया कि मंहगाई में कमी आई है और 2025-26 के दौरान इसमें और सुधार होने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि प्रथम अग्रिम अनुमानों के अनुसार चालू वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद- जीडीपी की वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रहने और आगमी वर्ष में आर्थिक गतिविधियों में सुधार आने की संभावना है। इससे पहले जीडीपी में 6.6 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया गया था।
रिजर्व बैंक ने अगले वित्त वर्ष के लिए जीडीपी के वास्तविक अनुमान को भी 6.9 प्रतिशत से संशोधित करते हुए 6.7 प्रतिशत कर दिया है। बैंक के अनुसार इस कमी का कारण वैश्विक घटना क्रम है, जिसका अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है। बैंक ने यह अनुमान भी लगाया है कि चालू वित्त वर्ष के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 4 दशमलव 8 प्रतिशत होगी, जबकि चौथी तिमाही में यह 4 दशमलव 4 प्रतिशत रहेगी। मानसून को सामान्य मानते हुए, वित्त वर्ष 2025-26 के लिए उपभोगता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) की मुद्रास्फीति 4.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
बैंकिंग धोखाधड़ी से बचने के लिए मल्होत्रा ने यह भी घोषणा की कि, रिजर्व बैंक भारतीय बैंकों के लिए एक विशेष इंटरनेट डोमेन- ‘बैंक डॉट इन ’ लागू करेगा। इस डोमेन नाम का पंजीकरण इस साल अप्रैल से शुरू होगा। इसके बाद वित्तीय क्षेत्र के लिए ‘फिन डॉट इन ’ डोमेन लागू किया जाएगा।
आरबीआई ने यह भी निर्णय लिया है कि इस वर्ष वित्तीय साक्षरता सप्ताह में वित्तीय निर्णय लेने और घरेलू बजट बनाने में महिलाओं की भूमिका पर जोर दिया जाएगा। इसकी शुरुआत 24 फरवरी से होगी और गवर्नर ने सभी बैंकों से “वित्तीय साक्षरता महिलाओं की समृद्धि” थीम पर अभियान में सक्रिय रूप से भाग लेने का आग्रह किया। गवर्नर ने रिजर्व बैंक द्वारा विनियमित बाजारों के व्यापार और निपटान समय की व्यापक समीक्षा करने के लिए एक कार्य समूह की भी घोषणा की। समूह इस वर्ष 30 अप्रैल तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।
बॉन्ड पैदावार सख्त हो गई है, उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं में बड़ी पूंजी आउटफ्लो देखी गई है, जिससे उनकी मुद्राओं का तेज अवमूल्यन और वित्तीय स्थिति सख्त हो गई है, उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में मौद्रिक नीति के अलग-अलग प्रक्षेपवक्र, भू-राजनीतिक तनाव और उच्च व्यापार और नीति अनिश्चितताओं ने वित्तीय बाजार की अस्थिरता को बढ़ा दिया है।”
उन्होंने बाजार की अस्थिरता पर भू-राजनीतिक तनाव और नीति अनिश्चितताओं के प्रभाव पर भी जोर दिया, उन्होंने कहा कि इस तरह के अप्रत्याशित वैश्विक वातावरण ने उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए महत्वपूर्ण नीतिगत व्यापार-नापसंद पैदा की है। इन प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद, आरबीआई गवर्नर ने आश्वासन दिया कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत और लचीली बनी हुई है, हालांकि बाहरी दबावों से पूरी तरह से अछूती नहीं है। उन्होंने स्वीकार किया, “हाल के महीनों में भारतीय रुपया मूल्यह्रास के दबाव में आया है।”