भारत-रूस शिखर सम्मेलन में रक्षा से व्यापार तक कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर

नई दिल्ली : शुक्रवार, दिसम्बर 5, 2025/ भारत और रूस ने आज रक्षा, व्यापार, अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, संस्कृति और मीडिया से जुड़े क्षेत्रों में 16 समझौतों पर हस्ताक्षर किए। नई दिल्ली में 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत-रूस मैत्री वैश्विक चुनौतियों का सामना करने की शक्ति प्रदान करेगी और यही विश्वास दोनों देशों का साझा भविष्य सुनिश्‍चत करेगा। उन्होंने कहा कि भारत और रूस आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। उन्होंने भारत के इस अटूट विश्वास को दोहराया कि आतंकवाद मानवता के मूल्यों पर सीधा हमला है और कहा कि वैश्विक एकता आतंकवाद के खिलाफ सबसे बड़ी ताकत है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दोनों देशों ने सरकार-से-सरकार, अकादमिक जगत और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज का विकास और उपयोग तेज हो सके। दोनों देशों ने माना कि क्रिटिकल मिनरल्स, रेयर अर्थ्स उभरती तकनीकों और आधुनिक विनिर्माण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इसलिए, उन्होंने इन खनिजों की खोज, प्रसंस्करण और रीसाइक्लिंग में सहयोग बढ़ाने में गहरी रुचि व्यक्त की।

नेताओं ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार में संयुक्त शोध पर जोर देते हुए कहा कि रोडमैप फॉर साइंस, टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन कोऑपरेशन के तहत सहयोग को और मजबूत किया जाएगा। उन्होंने दोनों देशों के सरकारी और निजी क्षेत्रों के बीच स्टार्टअप्स और स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज-एसएमईज के लिए अवसर बढ़ाने का निर्णय लिया। इसमें संयुक्त अनुसंधान एवं विकास, को-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स और नवाचार के माध्यम से सामाजिक चुनौतियों का समाधान शामिल होगा। दोनों देशों ने डिजिटल तकनीक में भी सहयोग बढ़ाने की इच्छा जताई। इसमें इन्फॉर्मेशन प्रोटेक्शन,क्रिटिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर सिक्योरिटी और लॉ एनफोर्समेंट एप्लिकेशंस जैसे क्षेत्र शामिल होंगे। इसके अलावा, दोनों देशों ने स्टार्टअप्स के लिए कौशल विकास, ज्ञान विनिमय और इनोवेटर्स-उद्यमियों की भागीदारी बढ़ाने के लिए समर्थन कार्यक्रम शुरू करने पर सहमति जताई।

विज्ञान और उच्च शिक्षा में पहले से मौजूद मजबूत संबंधों के आधार पर दोनों देशों ने शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों के बीच सहयोग बढ़ाने की इच्छा व्यक्त की। इसमें छात्र एवं शोधकर्ता विनिमय, संयुक्त शिक्षा कार्यक्रम, वैज्ञानिक अनुसंधान परियोजनाएं और विशेष अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों, सम्मेलनों और सेमिनारों का आयोजन शामिल होगा। दोनों देशों ने रोडमैप फॉर इंडियन-रशियन कोऑपरेशन इन साइंस, टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन्स के तहत सहयोग का विस्तार करने की प्रतिबद्धता दोहराई।

यूक्रेन के मुद्दे पर, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत शुरू से ही यूक्रेन मुद्दे पर शांति का पक्षधर रहा है। उन्होंने इस मामले के शांतिपूर्ण और स्थायी समाधान के लिए किए जा रहे सभी प्रयासों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा अपना योगदान देने के लिए तैयार रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों पक्ष यूरेशियन आर्थिक संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौते को शीघ्र अंतिम रूप देने की दिशा में काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की कि भारत जल्द ही रूसी नागरिकों के लिए 30-दिवसीय निःशुल्क ई-पर्यटक वीज़ा और 30-दिवसीय समूह पर्यटक वीज़ा शुरू करेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि रूस ने भी अंतर्राष्‍ट्रीय बिग कैट एलायंस मे शामिल होने के लिए फ्रेमवर्क समझौता अपनाने का निर्णय किया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देश ध्रुवीय जलक्षेत्र में भारत के नाविकों के प्रशिक्षण पर सहयोग करेंगे। उन्होंने कहा कि इससे न केवल आर्कटिक क्षेत्र में सहयोग मजबूत होगा, बल्कि भारत के युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ऊर्जा सुरक्षा भारत-रूस साझेदारी का एक मजबूत और महत्वपूर्ण स्तंभ रहा है। उन्होंने कहा कि असैन्य परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में दशकों पुराना सहयोग स्वच्छ ऊर्जा की साझा प्राथमिकताओं को सार्थक बनाने में महत्वपूर्ण रहा है। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण खनिजों के क्षेत्र में भारत का सहयोग पूरी दुनिया में सुरक्षित और विविध आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति पुतिन की यात्रा ऐसे समय में हुई है जब द्विपक्षीय संबंध कई ऐतिहासिक मील के पत्थर छू रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दस वर्षों में दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं और इन सबके बीच, भारत-रूस संबंध समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं। प्रधानमंत्री ने बताया कि दोनों देश यूरिया उत्पादन में घनिष्ठ सहयोग करेंगे। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि लगभग 25 वर्ष पहले राष्‍ट्रपति पुतिन ने भारत-रूस की कार्यनीतिक साझेदारी की आधारशिला रखी थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि 15 वर्ष पहले 2010 में साझेदारी को विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त कार्यनीतिक साझेदारी के स्तर तक बढ़ा दिया गया।

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