56वें ​​इफ्फी में ‘बंदिश बैंडिट्स सीज़न 02’ को सर्वश्रेष्ठ वेब सीरीज का खिताब

नई दिल्ली : शुक्रवार, नवम्बर 28, 2025/ भारत के फलते-फूलते डिजिटल कहानी कहने के परिदृश्य के एक शानदार उत्सव में ‘बंदिश बैंडिट्स सीज़न 02’ को 56वें ​​भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव 2025 में सर्वश्रेष्ठ वेब सीरीज़ (ओटीटी) घोषित किया गया है। आनंद तिवारी द्वारा निर्देशित यह प्रशंसित हिंदी सीरीज़ अमृतपाल सिंह बिंद्रा और आनंद तिवारी द्वारा बनाई गई है, जिसका निर्माण लियो मीडिया कलेक्टिव प्राइवेट लिमिटेड ने किया है और यह अमेज़न प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हुई है।

जूरी ने मजबूत प्रतिस्‍पर्धा सूची में से सर्वसम्मति से इस सीरीज़ का चयन किया है और इसकी इस बात के लिए सराहना की कि ये “कला और संगीत को सभी के लिए सुलभ बनाती है। शो के रचनाकारों अमृतपाल सिंह बिंद्रा और आनंद तिवारी ने आज एक शानदार समारोह में सूचना एवं प्रसारण तथा संसदीय कार्य राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन से यह पुरस्कार प्राप्‍त किया। इस अवसर पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव संजय जाजू भी उपस्थित थे।

राजस्थान के जोधपुर की मनमोहक वादियों और शिमला की शांत पहाड़ियों की पृष्‍ठभूमि में रची गई ‘बंदिश बैंडिट्स सीज़न 02’ राधे और तमन्ना के सफ़र के ज़रिए प्यार, महत्वाकांक्षा और विरासत की अपनी खोज जारी रखता है। जहां राधे का परिवार अपने पैतृक घर में निजी और संगीत संबंधी उथल-पुथल से जूझ रहा है, वहीं तमन्ना रॉयल हिमालयन म्यूज़िक स्कूल में नए सिरे से अपनी राह खुद तय करती है। कहानी चरम पर तब पहुंचती है जब दोनों को एक राष्ट्रीय टेलीविज़न प्रतियोगिता में आमने-सामने आते हैं – एक ऐसा मंच जहां पुराने धाव फिर उभरते हैं, महत्वाकांक्षाएं टकराती हैं और भाग्‍य नए सिरे से लिखे जाते है।

ऋत्विक भौमिक, श्रेया चौधरी, राजेश तैलंग, शीबा चड्ढा, दिव्या दत्ता, कुणाल रॉय कपूर, अतुल कुलकर्णी, सौरभ नैयर, आलिया कुरैशी, यशस्विनी दयामा और रोहन गुरबक्शानी सहित शानदार कलाकारों की टोली वाली यह सीरिज भावनात्मक गहनता और संगीत की उत्‍कृष्‍टता को जोड़ते हुए भारत की प्रिय समकालीन वेब सीरीज़ में अपनी पहचान और मजबूत करती है।

इससे पहले महोत्‍सव के दौरान जूरी के अध्यक्ष भारतबाला और प्रतिष्ठित जूरी सदस्यों – शेखर दास, मुंजाल श्रॉफ और राजेश्वरी सचदेव – ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया को संबोधित किया। उन्होंने डिजिटल कथाओं के विस्‍तृत होती दुनिया और भारतीय रचनात्मक संस्कृति को आकार दे रहे ओटीटी प्‍लेटफॉर्मों में विचार किया। उनकी टिप्‍पणियों ने समकालीन कहानी कहने के बदलते भाषा और देश भर के दर्शकों की प्रामाणिक, विविध और सीमाओं को आगे बढ़ाने कंटेट की बढ़ती मांग को रेखांकित किया।

 

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