राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत अपने व्याख्यानों में इस बात को विशेष रूप से रेखांकित करते हैं कि आज सारी दुनिया संकट के दौर से गुजर रही है और उसे इससे बाहर निकालने में भारत को महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करना है। इसी लिए सारी दुनिया भारत की ओर आशा भरी निगाहों से देख रही है। संघ प्रमुख ने विगत दिनों जबलपुर में स्वामी नारायण संस्था द्वारा आयोजित जीवन उत्कर्ष महोत्सव के मंच से अपने इस मंतव्य को पुनः दोहराते हुए कहा कि दुनिया भारत से यह अपेक्षा इसलिए रखती है क्योंकि भारत ने अपनी संस्कृति और आध्यात्मिकता की धरोहर को आज भी संजोकर रखा है और उसने हमेशा धर्म और संस्कृति के मार्ग का अनुसरण किया है। यही कारण है कि भारत ने समय समय पर दुनिया को सही मार्ग दिखाने का दायित्व निभाने में सफल हुआ है। भागवत ने कहा कि सामान्य भाषा में संस्कृति का अर्थ है संस्कार युक्त आचरण।एक दूसरे के प्रति सद्भावना और आत्मीयता का भाव होने से समाज में सौहार्द्र बना रहता है अन्यथा शत्रुतापूर्ण संबंध होते हैं और झगड़े बढ़ते हैं।
संघ प्रमुख ने कहा कि वास्तव में हम सब एक हैं और एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। यह जुड़ाव भारत के पास है दुनिया के पास नहीं है इसलिए दुनिया भारत की ओर आशा भरी निगाहों से देख रही है। संघ प्रमुख ने जोर देकर कहा कि यह जुड़ाव संतों की वजह से है।संत ईश्वर का अंश हैं । संत और भगवंत में कोई अंतर नहीं है। संतों की वाणी समाज को उचित मार्ग दिखाती है इसीलिए संघ के स्वयंसेवक संतों की सेवा में हैं। संघ प्रमुख ने कहा कि संतों के प्रवचन चलते रहें इसलिए हम डंडा लेकर खड़े हैं। यही हमारी संतों के प्रति सेवा है।संघ प्रमुख ने कहा कि यदि हमें ज्ञान नहीं है, वेद पुराण मालूम नहीं है तो भी संत आपके भाव की वजह से आपके साथ रहकर आपका उद्धार कर सकते हैं।इस अवसर पर मोहन भागवत ने बताया कि वे दीर्घकाल से अक्षर धाम स्वामी नारायण संस्था से जुड़े रहे हैं और प्रमुख स्वामी महाराज से उनकी भेंट होती रही है। इसके साथ ही महंत स्वामी महाराज के साथ भी वे सतत संपर्क में रहे हैं।
बीएपीएस स्वामी नारायण संस्था के आध्यात्मिक गुरु ईश्वरी चरण स्वामी भी इस पंच दिवसीय जीवन उत्कर्ष महोत्सव के उद्घाटन समारोह में उपस्थित थे।यह कार्यक्रम बीएपीएस संस्था के आध्यात्मिक प्रमुख महन्त स्वामी महाराज के जीवन और शिक्षा को समर्पित है। इस अवसर पर संघ प्रमुख ने स्वामी भद्रेशदास की एक पुस्तक का विमोचन भी किया। पुस्तक की विषय वस्तु को महत्वपूर्ण बताते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि प्रमुख स्वामी महाराज के जीवन पर प्रकाश डालने वाली यह पुस्तक हमें अनुभूति कराती है कि हमारा जीवन कैसा होना चाहिए। हमें इसका पालन कर स्वयं को सुधारना है और साथ के लोगों को भी सुधारना है इसके साथ ही पूरे देश को भी सुधारना है क्योंकि सारी दुनिया ने भारत से उम्मीदें लगा रखी हैं। उल्लेखनीय है कि दुनिया भर में स्वामी नारायण संस्था से जुड़े 200 से अधिक प्रमुख संत जीवन उत्कर्ष महोत्सव में सम्मिलित होने के लिए पहुंचे। गौरतलब है कि विश्व के 55 से अधिक देशों में अक्षरधाम स्वामी नारायण संस्था के लगभग 1800 अधिक मंदिर हैं।
बीएपीएस स्वामी नारायण संस्था के पंच दिवसीय भव्य जीवन उत्कर्ष महोत्सव में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव की उपस्थिति भी उल्लेखनीय रही। इस अवसर पर उन्होंने अपने भाषण में सनातन संस्कृति को अद्भुत बताते हुए कहा कि संस्कारों की जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका होती है और उत्तम संस्कारों से जीवन में बदलाव आता है। मोहन यादव ने कहा कि अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने की संभावनाओं को बलवती बनाने की सामर्थ्य भारत के पास है इसीलिए भारत को दुनिया विश्व गुरु के रूप में देखती आई है। मुख्यमंत्री ने अबूधाबी में बीएपीएस स्वामी नारायण संस्था द्वारा निर्मित हिंदू मंदिर को अद्भुत बताते हुए कहा कि जबलपुर में आयोजित इस पंच दिवसीय जीवन उत्कर्ष महोत्सव में स्वामी नारायण संस्था के प्रमुख महन्त की उपस्थिति हम प्रदेश वासियों के लिए गौरव का विषय है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री मोहन यादव की इस घोषणा का विशेष रूप से स्वागत किया गया कि ” चलो बनें आदर्श ” कार्यक्रम के अंतर्गत स्वामी नारायण संस्था द्वारा मध्यप्रदेश के स्कूलों में छात्रों को नैतिक शिक्षा प्रदान की जाएगी। इसी तरह संस्था द्वारा देश के 30 विश्वविद्यालयों और 200 महाविद्यालयों में संचालित इंटीग्रेटेड पर्सनेलिटी डेवलपमेंट कार्यक्रम जबलपुर के रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय और एक निजी महाविद्यालय में भी प्रारंभ किया जाएगा।
मध्यप्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री राकेश सिंह ने भी इस कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। राकेश सिंह ने मंच से दिए गए अपने भाषण में महंत स्वामी महाराज की निस्वार्थ सेवा भावना और विनम्रता को स्तुत्य बताते हुए उनके जीवन को सभी के लिए अनुकरणीय बताया और जबलपुर में भी स्वामी नारायण संस्था के भव्य मंदिर के निर्माण की अभिलाषा व्यक्त की । इस गरिमामय कार्यक्रम में ज्ञानेश्वर स्वामी जी महाराज ने अपने सारगर्भित विचार व्यक्त करते हुए दूसरों के उत्कर्ष में सहयोग को ही सेवा का श्रेष्ठ मार्ग बताया।

कृष्णमोहन झा (लेखक राजनैतिक विश्लेषक है)




