मुंबई : सोमवार, अक्टूबर 27, 2025/ केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज महाराष्ट्र के मुंबई में India Maritime Week – 2025′ का उद्घाटन किया। इस अवसर पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल, गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत, ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार और केन्द्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्वानंद सोनोवाल सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि मुंबई में विश्व प्रसिद्ध Gateway of India है। उन्होंने कहा कि यह पल India इंडिया का Maritime Moment है जो Gateway of India को Gateway of World में बदल रहा है। पिछले एक दशक में Maritime Summits ने यह सिद्ध कर दिया है कि Maritime Economy में हमने जो गहरे संरचनात्मक सुधार (structural reforms) किए हैं उनके आधार पर भारत अब एक उभरती हुई सशक्त ताकत बनकर वश्व के Maritime नक्शे पर पूरे दमखम के साथ खड़ा है।
अमित शाह ने कहा कि भारत की Maritime Strength और Strategic Location इस बात से पता चलती है कि हमारा समुद्र तट (coastline) 11 हज़ार किलोमीटर से भी अधिक लंबी है। 13 तटीय राज्य और केन्द्रशासित प्रदेशों के साथ GDP में लगभग 60 प्रतिशत योगदान हमारे Maritime राज्यों का है। उन्होंने कहा कि 23.7 लाख वर्ग किलोमीटर का Exclusive Economic Zone (EEZ) दुनियाभर के निवेशकों और मैन्युफैक्चर्रस को आकर्षित करता है और लगभग 800 million की आबादी इन Maritime States में बसती है। श्री शाह ने कहा कि Indian Ocean Region (IOR) के 38 देश Global Exports में लगभग 12 प्रतिशत का योगदान देते हैं। हम इस पूरी क्षमता को इस समिट के माध्यम से विश्व के निवेशकों और Maritime Industry के champions के सामने खुला रख रहे हैं।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भारत अपनी Maritime Position, Democratic Stability और Naval क्षमता के बल पर Indo-Pacific और Global South के बीच एक सेतु की भूमिका निभा रहा है जो विकास, सुरक्षा और पर्यावरण को गति दे रहा है। भारत का Maritime इतिहास लगभग 5000 साल पुराना है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत आज नए Maritime इतिहास को रचने के लिए तैयार खड़ा है। आज इस सम्मेलन में 100 से अधिक देशों के प्रतिनिधि उपस्थित हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि भारत की समुद्री परंपरा आज भी Global Partnership और Regional Stability का केन्द्र बिंदु है।
अमित शाह ने कहा कि Indian Maritime Week, Indo-Pacific क्षेत्र का सबसे प्रतिष्ठित Maritime Dialogue Platform बनकर उभरा है। 2025 की यह समिट 2047 तक मैरीटाइम इंडस्ट्री में भारत का ऊंचा स्थान सुनिश्चित करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में बहुत बड़ा योगदान देगी। उन्होंने कहा इस वर्ष के संस्करण में 100 से अधिक देशों से 350 से अधिक स्पीकर, 500 से अधिक कंपनियां और 1 लाख से अधिक प्रतिनिधियों की सहभागिता होने वाली है। साथ ही यहां 10 लाख करोड़ के निवेश के अवसरों का भी सृजन होगा। गृह मंत्री ने कहा कि भारत प्रतिस्पर्धा में नही बल्कि परस्पर सहयोग पर विश्वास करता है। हम परस्पर सहयोग के माध्यम से पूरे देश की मैरीटाइम इंडस्ट्री को विश्व की मैरीटाइम इंडस्ट्री के साथ जोड़ने के लिए पूरा रोडमैप बना चुके हैँ।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मैरीटाइम विज़न, सुरक्षा, स्थिरता और आत्मनिर्भरता के तीन स्तंभों पर आधारित है। मैरीटाइम इंडिया विज़न 2013 के साथ हमने सागरमाला, ब्लू इकोनॉमी, ग्रीन मैरीटाइम विज़न जैसी पहल के साथ ही हमने यह लक्ष्य रखा है कि दुनिया की शिप बिल्डिंग इंडस्ट्री में भारत शीर्ष 5 देशों में शामिल होगा। नए मेगा और डीप ड्राफ्ट पोर्ट्स का निर्माण भी हम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पोर्ट हैंडलिंग में 10 हज़ार मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष का लक्ष्य रखा है और पोर्ट ट्रांस्पोर्ट को पूरी तरह डिजिटाइज़ कर लिया गया है। इसके साथ ही, भारत, इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरीडोर, ईस्टर्न मैरीटाइम कॉरीडोर, नॉर्थ साउथ ट्रांस्पोर्ट कॉरीडोर जैसे कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स के साथ भी जुड़ चुका है।
अमित शाह ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी जी ने भारत के समुद्री क्षेत्र को राष्ट्रीय शक्ति, रीजनल स्टेबिलिटी और ग्लोबल प्रॉस्पेरिटी के रूप में परिभाषित किया है और इन तीनों लक्ष्यों को सिद्ध करने के लिये हमने कई पहल की हैं। आज दुनिया का दो तिहाई व्यापार इंडो पैसीफिक समुद्री मार्ग से होता है और भारत का 90 प्रतिशत व्यापार समुद्री मार्ग से होता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी की मैरीटाइम पॉलिसी अब विकसित होकर MAHASAGAR (Mutual And Holistic Advancement for Security And Growth Across Regions) भारत के बढ़ते ग्लोबल फुटप्रिंट्स का प्रतीक बन चुकी है। शाह ने कहा कि सागर से महासागर का प्रधानमंत्री मोदी का विज़न हमें 2047 तक भारत को इस क्षेत्र में गलोबल लीडर बनाने के लक्ष्य की पूर्ति की दिशा में आगे बढ़ाएगा। इसके लिए मोदी सरकार ने बजट में 6 गुना वृद्धि की है और 40 मिलियन डॉलर के बजट को बढ़ाकर आज 230 मिलियन डॉलर तक कर दिया है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि सागरमाला परियोजना में हमने मार्च, 2025 तक 70 बिलियन डॉलर की 839 परियोजनाओं की पहचान की है, जिनमें से 17 बिलियन डॉलर की 272 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। 5 बिलियन डॉलर वाला ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट बन रहा है, जो भारत के मैरीटाइम वैश्विक व्यापार को अनेक गुना बढ़ाएगा। हम 200 मिलियन डॉलर के निवेश से कोचीन शिपयार्ड में भारत की सबसे बड़ी डॉक का निर्माण करने के लिए आगे बढ़े हैं। इसके अलावा गुजरात में मैरीटाइम हेरिटेज कॉम्प्लेक्स का विकास भी हो रहा है। शाह ने कहा कि ज़रूरी अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के साथ तालमेल बैठाने के लिए पुराने भारतीय कानूनों का भी रिफॉर्म कर लिया है। हमारी संसद ने 2025 में 117 साल पुराने भारतीय बंदरगाह विधेयक को आज के परिप्रेक्ष्य में और ग्लोबल दृष्टिकोण के साथ पारित किया है। प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण अधिनियम, 2021 के माध्यम से हमने बंदरगाहों को अधिक स्वायततता देने और उनके संस्थागत ढांचे के आधुनिकीकरण का मार्ग खोला है। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम, 2016 के तहत 106 नए जलमार्ग घोषित किए हैं।
अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने सुरक्षा, कोस्टल सुरक्षा और मछुआरों की सुरक्षा के लिए ब्लू इकोनॉमी के विकास को सुनिश्चित किया है। पिछले एक दशक में तटीय शिपिंग में 118 प्रतिशत और कार्गो हैंडलिंग में 150 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। उन्होंने कहा कि हम Turn-Around-Time (TAT) में भी कमी कर वैश्विक मानांकों के नज़दीक पहुंचे हैं। मैरीटाइम सेक्टर में सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लए शिप बिल्डिंग को आगे बढ़ाने के लिए हमने नीतिगत फैसले लिए हैं। गृह मंत्री ने कहा कि भारत का लक्ष्य एक ऐसे Green Maritime Future का निर्माण करना है जो विकास को गति दे, लेकिन साथ ही प्रकृति के साथ संतुलन भी बनाए रखे। उन्होंने कहा कि भारत यह भी नहीं भूलता कि Small Island States और Global South के कई देश समुद्र से ही जीवन और जीविका प्राप्त करते हैं। इन देशों के लिए Climate Change अस्तित्व का प्रश्न है और भारत इसे ध्यान में रखते हुए एक ग्रीन, समृद्ध और साझा महासागर के निर्माण के विज़न के साथ आगे बढ़ रहा है।




